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Irfan Saeed
White मुस्कुराते चेहरे साजिश का इशारा करते अपने भी मुफ़्लिसी मै अब किनारा करते मुझे तो मारी है दुनिया ने भी ऐसी ठोकर ज़ख्म पर हंसते है ये फिर से दोबारा करते मेने रिश्तों की तिजारत मै मुनाफा चाहा इनकी औकात यही है कि खसारा करते बदलते चेहरे है हर बार बदल जाते हैं वो गम-ख़्वार बनने का अब दिखावा करते मैं तो मिलने को तड़पता हूं मेरे अपनों से वो है कि मेरे गमों से भी किनारा करते इरफ़ा" पैसों का है खेल अपने भी खफा है मेरी बर्बादी का अब सब ही नजारा करते ©Irfan Saeed मुस्कुराते चेहरे साजिश का इशारा करते अपने भी मुफ़्लिसी मै अब किनारा करते मुझे तो मारी है दुनिया ने भी ऐसी ठोकर ज़ख्म पर हंसते है ये फिर से
Devesh Dixit
मौत हूँ मैं मौत हूँ मैं, जी हाँ, मौत हूँ मैं। दिलों को दहला दूँ सबके, वो ख़ौफ़ हूँ मैं, मेरा कोई दिन समय स्थान नहीं, यही सब भी जानते हैं। गलती मेरी भी होती कभी नहीं, सब ही यही मानते हैं। फिर भी देखो खौफ़ है मेरा, मुझसे ही सब काँपते हैं। मैं दिखता नहीं किसी को मगर, मुझको भी सब भाँपते हैं। गलती खुद ही ये करता मानव, फिर मैं ही क्यों दिखता दानव। ऐब ग्रस्त से यह लिप्त हो गया, देखो अंधकार में खुद खो गया। मारा-मारी का जो दौर चला है, मुझको भी वहाँ जाना पड़ा है। दिया कार्य जो ईश्वर ने मुझको, कैसे छोड़ूं, बता अब मैं तुझको। शेष कविता कल प्रेशित होगी................................. ©Devesh Dixit #मौत_हूँ_मैं #nojotohindi #nojotohindipoetry मौत हूँ मैं मौत हूँ मैं, जी हाँ, मौत हूँ मैं। दिलों को दहला दूँ सबके, वो ख़ौफ़ हूँ मैं,
Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
INDIA CORE NEWS
Rathva Sanjay
White वो आँख बड़ी प्यारी थी जो उसने हमें मारी थी हम तो मुफ्त लुट गये यारो हमें क्या मालूम था उसे बाद रामदेव वाली बीमारी थी !! ©Rathva Sanjay #वो आँख बड़ी प्यारी थी जो उसने हमें मारी थी हम तो मुफ्त लुट गये यारो हमें क्या मालूम था उसे बाद रामदेव वाली बीमारी थी !!
Devesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे
healthy tips
Kavi Aditya Shukla
आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आज़ाद - आज भी कोई यह नाम लेता है, तो मूंछ पर ताव देते एक ऐसे पुरुष की छवि सामने आती है जो देशसेवा में अपना सबकुछ बलिदान कर गया। वीर सपूत आज़ाद के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन। मलते रह गए हाथ शिकारी... उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी.. अंतिम गोली ख़ुद को मारी ... जियो तिवारी जनेऊधारी ©Kavi Aditya Shukla आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आ