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vishnu thore
लाज फ़ुलांची विकली कोणी माळल्यावर सुकली वेणी पेरुन झाले वावर सारे अन पावसाला मुकली बेणी अजाणतेचा गर्भ जळाला थुंक विड्याची थुंकली कोणी
ragini sharma
*दोहे* --------- 🍃🍁 ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार। पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार 🍁🍃 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार । तनमन सुरभित हो गया,खिली कली कचनार 🍁🍃 हुई अलंकृत रागिनी,पाया प्रीतम प्यार । बाहों के बंधन कसे,अधर सुर्ख गुलनार 🍁🍃 मन से मन ने नेह के ,लिखे अनगिनत छंद । धड़कन ने भी लिख दिये,नये गीत के बंद । *रागिनी स्वर्णकार(शर्मा )* इंदौर* *दोहे* --------- 🍃🍁 ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार। पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार 🍁🍃 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार । तनमन सुर
Naresh Chandra
मित्रों रचना अनुशीर्षक मे पढ़ें कृपया ©Naresh Chandra अंगना बुहार के द्वार सजाई के गोरिया करे ला श्रंगार सजन अब आवत होहिहै सजन अब आवत होहिहै। नथुनी होठों को चूमे झूमका कानों मे झूमे
vijay rishi
Santosh Jadhav
आठवते का ताई तुला...? आठवते का ताई तुला मी लहानपणी पहिल्यांदा ताई म्हणालो बोबड्या बोलांनी आनंदाला तुझ्या ताई पारावार न उरला उचलून लाडे लाडे मला तू मिठीत भरला..! आठवते का ताई तुला मी लहानपणी तुझ्या मागे मागे फिरे इवल्या पावलांनी हट्ट तुझ्याकडे ताई माझा.. मी होई रडवेला स्वतःला विसरून हजर ताई या दादाच्या सेवेला...! आठवते का ताई तुला मी लहानपणी सतावत होतो तुझी खेचूनी ती वेणी लहान होतो जरी माझा दरारा तो मोठा तुझ्यामुळे पडे मला पाठीत धपाटा...! आठवते का ताई तुला मी लहानपणी किती वेळा डोळा तुझ्या आणले ते पाणी खरोखर झालेली पण भांडणं ती खोटी कितीदा व्याकूळ झाली माझ्या काळजीपोटी..! जाताना सासरी तू ताई डोळा आले पाणी आता कोणाला चिडवू प्रश्न आला मनी तुझ्याशिवाय ताई आता घरात शुकशुकाट रक्षाबंधनाला ताई तुझी पाहतो.. मी वाट... ! -संतोष लक्ष्मण जाधव. 9890064001. #rakshabandhan #आठवते का ताई तुला? आठवते का ताई तुला...? आठवते का ताई तुला मी लहानपणी पहिल्यांदा ताई म्हणालो बोबड्या बोलांनी आनंदाला तुझ्
Yashpal singh gusain badal'
"उत्तराखंड" गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका मस्तक है, ममता का सागर है नैनी, रानीखेत जिसका चंचलपन, रामगंगा है जिसकी वेणी, गंगोत्री-यमुनोत्री जिसके कर्णपट, उन्नत नासिका जिसकी है नंदा, बिन्सर-नीलकंठ जैसे दो पलकेँ, देवप्रयाग माथे पर चंदा। त्र्रिषिकेश पूजा की थाली, मंसूरी-नैन ीताल मुख की लाली, अल्मोड़ा-पौड़ी जिसकी साँसेँ हैँ, हल्दवानी जिसकी है खुशहाली। नयनाभिराम स्थल कसौनी, द्रोणनगरी बिद्या का मंदिर, मुस्कान है फूलोँ की घाटी, स्वाभाव उत्तरकाशी सा सुन्दर, पिथोरागढ सा ह्रदय निर्मल, चमोली सी शालीनता जिसमेँ टिहरी सा अनोखापन, शिवालिक सी कठोरता है जिसमैँ । देशप्रेम मेँ रंगा हुआहै जिसका कण-कण कोना-कोना । वही स्वर्ग सी सुन्दर धरती जिसका हर टुकड़ा है सोना प्रक्रति सिँगार करती है जिसकी, भारत माँ का अँग अखण्ड। पर्वत श्रँखलाओँ से घिरा हुआ, अद्यितीय अनुपम उत्तराखण्ड ।। ले0 यशपाल सिँह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #yogaday गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका म
Somya Tiwari (Poetic_Girl_Somu)
सर्द दिसंबर उफ्फ ये दिसंबर कृपया कैप्शन में पढ़े #season अटके से ठहरे-ठहरे से जज्बात, लबों पे रूकते लफ्जों की बंदिश। दिल में खलिश-सी तेरी मौजूदगी और..... उफ ! ये दिसंबर का महीना।कोहरे की चा
vasundhara pandey
प्रेम में लिखे जा चुके हैं, न जाने कितनी कविताएं, कितने लेख, हर रस, छंद, अलंकार, उपमा अनेक, मैं क्या विशेष हूँ? क्या तुमको लिखूँ? हे विशेष! प्रेम में लिखे जा चुके हैं न जाने कितनी कविताएं, कितने लेख, हर रस, छंद, अलंकार, उपमा अनेक, मैं क्या विशेष हूँ? क्या तुमको लिखूँ? हे विशेष
atrisheartfeelings
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥ जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥ एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥ पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥ तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥ जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवन सुत बिदा कराई॥ करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ। बन असोक सीता रह जहवाँ॥ देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥ कृस तनु सीस जटा एक बेनी। जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥ #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥
Arunima Thakur
ऐ सुनों (Please Read in caption) #yqhindi #yqpoetry #merikalamse ऐ सुनों. . . . ऐ सुनो मुझे कुछ कहना है . . . वह अनकहे सच जो दफन है मेरे सीने में,