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Deepak Pandey
आँखों से आंसू आये तो उन्हें सरबत बना कर पीलो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! जब रस्ते में अकेले पढ़ जाओ तो अपनी परछाई को हमसफ़र बनालो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! जब कभी भी चोट में दर्द पाओ तो उस दर्द को दवा बनालो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! मौसम बलदलने का इन्तजार न करो हर पल को नया मौसम बनालो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! परेशां होने से अच्छा, दुखो पर हँसकर आने वाली खुशियों को गले लगालो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! मौत तो कई कोसो दूर है तूमसे बस यही सोचकर ये जीवन बीतालो कल का सूरज किसने देखा है आज इसी नर्क में जीलो !!! #yqdidiquotes #yqdidihindi #yqdidihindipoetry #yqdidifeelings #suraj #nark यह कविता सभी के लिए, जैसा कि आप सभी जानते हैं तालाबंदी का माह
om patil writer
जिगर का टुकड़ा मेरे जिगर के टुकड़े मैं शर्मिंदा हूं माफी चाहता हूं तुम्हारा गुनहगार हूं क्योंकि जिसे तुम्हारे हवाले क्या उसे तुम्हारी कदर नहीं मेरी जिगर के टुकड़े गुनहगार हूं माफी चाहता हूं मुझे माफी मांगना है मेरे अरमानों और सपनों को उनका भी मैं गुनहगार हूं माफी चाहता हूं जिसे उनकी कदर नहीं उनके हवाले कर दिया उसके लिए माफी चाहता हूं तुम्हारा गुनाहगार हूं मैं अपनी बात लिख रहा हूं जिगर का टुकड़ा का अर्थ है दिल उसके हिसाब से इसे पढ़ें और समझें Nishant Kamboj Mangi Vishnoi Prince yadav Vamik suma
Pyare ji
धरती-चांद चलो आज चांद का विवाह करवाते हैं। धरती को उसकी दुल्हन बनवाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों से उसे सजाते हैं। तारों से सजी बारात बुलवाते हैं। चलो आज चांद का विवाह करवाते हैं। सूरज के चारों ओर सात फेरा करवाते हैं। आकाश को शादी का मंडप बनवा कर। मेघ की गर्जन से ढोल डफली बज बातें हैं। चलो आज धरती का विवाह करवाते हैं। सौर मंडल के ग्रह के उपस्थिति में । साथ रहने की कसम खिलवाते हैं। जुपिटर से धरती की कन्यादान करवाते हैं। धरती शनि से रिंग लेकर चांद को पहनाएगा। सूर्य अग्नि को साक्षी मानकर, चांद -जमीं का विवाह संपन्न हो जाएगा। सभी ग्रहों का आशीर्वाद लेकर , धरती हमेशा के लिए चांद का हो जाएगा। ©Pyare ji #poetrymonth #parent Note:- ये कविता , एक कल्पना मात्र है, तो इसमें लॉजिक न ढूंढे बस इसे पढ़ें और आनंद लें और बताएं कैसा लगा। शायरा "माही"
مومن
मेरा आखरी खत..... It's your wish to read in caption. Note:No reality in this stuff. मेरा आखरी खत....... 25 सितंबर 2021, मेरी प्यारे हमसफर, अस्सलाम अलैकुम,
@nil J@in R@J
कंधार में बंधकों की रिहाई, उस अफगानिस्तान में रहकर कराई जब तालिबान का शासन था। इतना होने के बावजूद डोभाल ने तालिबानी आतंकियों को 36 की बजाय सिर्फ 3 आतंकवादियों को छोड़ने की बात कही।अपने देश के 1400 करोड़ बचाए। तारीफ डोभाल की इस लिए भी करनी चाहिए क्योंकि तालिबानी आतंकी और कमांडर के चंगुल से सभी यात्रियों को छुड़ाया। डोभाल जो किया उसे इतिहास में याद रखा जाएगा।ऑपरेशन करते तो क्या होता ? यह नहीं भूलना चाहिए कि वहां तालिबान के साथ पाकिस्तान भी था और हम कोई भी ऑपरेशन करते हैं तो वह हमारा विमान पाकिस्तान के ऊपर से नहीं जाने देता। दूसरी तरफ आतंकी फिदायीन थे। ऐसी हालत में 190 भारतीय नागरिक मारे जाते। तब तो अटल सरकार का देश के नेता जीना मुहाल कर देते। मौलाना मसूद अजहर को इसके पहले भी दो बार छुड़ाने की कोशिश है पाकिस्तानी आतंकवादी कर चुके थे। एक बार जेल पर हमला करके और दूसरी बार कश्मीर में विदेशी नागरिक की हत्या कर लेकिन भारत सरकार ने आतंकियों की किसी भी धमकी की परवाह नहीं की।भूल गये डॉक्टर रुबिया सईद किडनैपिंग कांड? देश के तत्कालीन गृह मंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ रुबिया सईद का आतंकियों ने अपहरण कर लिया इसके एवज में कितने आतंकी छोड़े गए क्या इस पर किसी दल का कोई नेता बोलता है? क्योंकि बोलने से उन्हें डर है की वोट में कमी आएगी।आप खुद ही सोचिए डोभाल की वीरता पर भी इस देश में संदेह करने वाले लोग हैं जो देश का पीएम का ख्वाब देख रहे हैं। इसकी आलोचना करने वालों को देश की सौगंध खानी चाहिए ना कि सत्ता हथियाने के लिए कुछ भी बोलने की घटिया प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। क्या ऐसे लोगों में हिम्मत है, या यूं ही पोगो टाइप प्रवचन देते रहेंगे? ऐसे लोगों से देश को कोई फर्क नहीं पड़ता जो कुछ भी बोलें। लेकिन देश को फर्क पड़ता है वैसे लोगों से जो देश के लिए जान देते हैं। देश को अपनी जान से ज्यादा समझते हैं। उन जवानों और उन शहीदों के परिजनों से भी हमें सीखना चाहिए जो इस देश के लिए जीते हैं।कब पीएंगे शर्म का एक घूंट सुबह की चाय के साथ ? क्या इसके लिए सुबह की हर चाय के पहले हमें शर्म का एक घूंट नहीं पीना चाहिए? जरा सोचिए देश के उन वीर बेटे-बेटियों और उनके परिवारों के लिए जो सिर पर कफन बांध कर देश की संप्रभुता की रक्षा करते हैं। सीमा पर पत्थरों के बीच पहाड़ों और बर्फबारी के बीच, आंधी में तूफ़ान में डटे रहते हैं ताकि हम घर में चैन की नींद ले सकें। गर्मी में खुद लू के थपेड़े खाकर हमें ठंडी हवाओं और ऐसी की सनसनाती हवाओं के बीच आराम से सोने और पिज्जा खाने का मौका देते हैं।लेकिन हम कितने निकृष्ट हैं कि जब आतंकवाद से लड़ने की बात या देश की इज्जत की बात आती है तो हर बात में सियासती सौदेबाजी की गंध के लिए अपनी नाकअंदर तक घुसेड़ देते हैं। जब कीचड़ लग जाता है तो मुंह बंद कर लेते हैं????? आतंकवाद से मुकाबले की बजाए सरकार पर दबाव❓ सवाल यह है कि तब किसी राजनीतिक दल ने यह क्यों नहीं कहा कि सरकार को आतंकियों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए?? क्योंकि देश सबसे पहले है। लेकिन अपने देश की राजनीति हमेशा इतनी घटिया रही है कि एक तरफ आतंकवाद को खत्म करने के लिए सरकार एक्शन लेती है तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल सबूत मांग कर सरकार को कोसते हैं। वहीं मीडिया के मंच का इस्तेमाल कर कुछ लोग सरकार पर वॉर मॉगरिंग का आरोप लगाते हैं। लेकिन उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद हर किसी के लिए नासूर बना है। आखिर एक न एक दिन उसका खात्मा करना पड़ेगा और नहीं तो रोज तिल तिल के मरना पड़ेगा। #NojotoQuote भारतीय विमान हाईजैक की पूरी स्टोरी प्लीज इसे जरूर पढ़ें
ASHVAM
#5LinePoetry ("उम्मीद") उम्मीदों की ललकार है , डरना नहीं तुझे है अब। करना है डगर पर हर सफर, मुश्किलों को खत्म ।। पग पग चले कांटे बिछे हैं, फिर भी लगे न कोई सितम।। ऐसे चलो बादलों पर, बिना पंख लिए जमीं पर "कदम" ।। पास पास हो या दूर अगर तू, कर उन्हें तू बेखबर । हो जा परिंदों की तरह मनचाहे रास्ते पर निडर।। चलना है तुझे, बढ़ाना है तुझे, करना है तुझे अब कुछ न कुछ। हाथों को बना ले पंख अगर उड़ना तुझे है बेखबर ।। ©Neeraj "उम्मीद" कविता का शीर्षक है कृपया इसे पूरा पढ़ें और अपने हिसाब से रेटिंग दें धन्यवाद