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Er Aryan Tiwari
White साल ये भी गुजरा उदासी में जब वो मुझसे मुकरा उदासी में ©Er Aryan Tiwari #Thinking Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे' शायरी
#Thinking Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे' शायरी
read more*अनामिका*
मन के बहकावे में ना आ, मन राह भुलाए भ्रम में डाले। तू इस मन का दास ना बन, इस मन को अपना दास बना ले।। ©*अनामिका* #मन
Er Aryan Tiwari
White जब भी तेरे क़रीब आ गया साला ये क्यों रकीब आ गया लहज़े से लग गया है पता फासला अब अजीब आ गया ©Er Aryan Tiwari #sad_qoute Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे'
#sad_qoute Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे'
read moreSAAHIL KUMAR
White यादें बहुत है बस याद करने का मन नहीं करता, कुछ यादों को भूलने का वक्त नहीं मिलता दरवाजे जो कभी दिल की चाहतों के थे अब उन दरवाजों को खोलने का मन नहीं करता की रहे कुछ दरवाजे बंद तो ही बेहतर है लम्हों में भी गुजर जाने दो बीती बातों को अब उनके लिए खुद को चुप रहने देना अच्छा नहीं लगता ©SAAHIL KUMAR मन
मन
read moreRajnish Shrivastava
प्रकृति की इन वादियों में मन बहकने सा लगता है आंखो में इन नजारों को कैद करने को दिल तरसता है इच्छा तो होती है कि यही कहीं चुपचाप रह लिया जाए लेकिन फिर वतन की याद में दिल तड़पने लगता है । ©Rajnish Shrivastava #मन
Er Aryan Tiwari
White वाकिफ हूँ मैं इस बात से हाँ तुम खफा हो रात से वैसे तो मैं हारा नहीं हारा भी तो हालात से ©Er Aryan Tiwari #GoodMorning सफ़ीर 'रे' Sircastic Saurabh शेरो शायरी शायरी
#GoodMorning सफ़ीर 'रे' Sircastic Saurabh शेरो शायरी शायरी
read moreshobhani
White "मन क्या कहता है" चलो सुनती हूं की कहता है यह मन उडुं उन पक्षियों की तरह खुले आसमान में जिसे ना गिरने का डर ना कोई रोकने वाला,, उस मोर सा मन जो खुलकर बारिश में नाचना चाहे, उस कोयल सा मन जिसकी आवाज सूफियानी गानों सा लगे,, उस नदी सामन जो कल कल बहना चाहे,, उस दर्पण सा मन जो खुद को देख शर्माए,, बस इतना ही तो चाहे मन ।। ©Shobhani singh #मन#
#मन#
read moreNilam Agarwalla
Unsplash मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है। क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है। समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #“मन”
#“मन”
read moreAvinash Jha
White मन है, चाहता है आसमानों को छूना, सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना। जंगलों की खामोशी में छिपा, एक गीत सुनना, या नदी की लहरों संग बह जाना। मन है, जो सपनों की कश्ती में बैठ, दूर कहीं चला जाता है। कभी बूँदों की चुप्पी समझता है, कभी आँधियों से सवाल करता है। मन है, जो छोटे-छोटे सुखों में खुशियों का संसार बुनता है। कभी अकेलेपन में साथी बनता, तो कभी भीड़ में खुद को खोता है। मन है, जो बंद दरवाज़ों को खोलता है, आस की किरणें समेटता है। हर धड़कन में एक कहानी रचता, हर ख्वाब में जीवन रचता। मन, न थमता है, न रुकता है। यह तो बस उड़ान भरता है, आसमानों से परे अपनी ही दुनिया बसाता है। ©Avinash Jha #मन