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Stories related to 'आजाद और'

madhusudan

#Book #आजाद #hijr #Trending #ViralVideo #Like love #Hindi #Motivation shayari शेरो शायरी

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Unsplash आजाद.....
बिखरे हुए बाल बड़ी हुई दाढ़ी
जनाब खैरियत है सब
me..
किसी गैर के नाम की 
मेंहदी उसने हाथो में रचा ली
और हमने गम-ए-मोहब्बत में
दाढ़ी बड़ा ली

©madhusudan #Book #आजाद #hijr #trending #viralvideo #like #love #hindi  #motivation #shayari  शेरो शायरी

madhusudan

green-leaves मुस्तकबिल सोचा था,मैने
पसंदीदा शख्स के आगोश में रहूंगा
कब सोचा था,मैने
हिज़्र में उसके शायरी लिखूंगा

©madhusudan #GreenLeaves #मुस्तकबिल #Youtube #facebook #meta #आजाद #लव #love

Parasram Arora

घर और रास्ता vs अतित और भविष्य

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White मै जिस घर मे रहता हूं
अक्सर यही कहता हैँ 

मुझे कभी मत कजोड़ना क्योंकि 
मै तुम्हारा अतित हूँ जो तुमने मुझमे रह कर गुज़ारा हैँ 

और जिन रास्तो पर  मै चलता आया हूँ 
अक्सर वो हर दिन कहते हैँ मुझे 
कि मेरा अनुसारन्न करते रहो क्योंकि 
मै ही तुम्हारा भविष्य हूँ

©Parasram Arora घर और रास्ता 
vs अतित और भविष्य

Azaad Pooran Singh Rajawat

#newyearresolutions #आजाद संकल्प#

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New Year Resolutions      












आध्यात्मिक आस्था के साथ 
 हर कर्म करेंगे।
नशे से और नशा करने 
वालों से  दूरी बनाकर रखेंगे।
सात्विक शाकाहारी भोजन करेंगे 
 फास्ट फूड से जहां तक 
संभव होगा बचेंगे।

©Azaad Pooran Singh Rajawat #newyearresolutions #आजाद संकल्प#

Himanshu Prajapati

#nightshayari अब चेहरे पर मुस्कान कहां दिखते हैं, अब वो खेल वालें खिलौने कहां बिकते हैं, शौक-ए-आजाद जिन्दगी ने सब खत्म कर दिया अब पुराने गीत

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अब चेहरे पर मुस्कान कहां दिखते हैं,
अब वो खेल वालें खिलौने कहां बिकते हैं,
शौक-ए-आजाद जिन्दगी ने सब खत्म कर दिया
अब पुराने गीत और पुराने मीत कहां मिलते हैं..!

©Himanshu Prajapati #nightshayari अब चेहरे पर मुस्कान कहां दिखते हैं,
अब वो खेल वालें खिलौने कहां बिकते हैं,
शौक-ए-आजाद जिन्दगी ने सब खत्म कर दिया
अब पुराने गीत

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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Unsplash आजाद ग़ज़ल 
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जाने कब तिजोरी से माल निकाल लेता है 
ये आदमी बाल की खाल निकाल लेता है 

यहाँ तो कटता नहीं लम्हा उसके बिना 
वो मजे से साल दर साल निकाल लेता है 

हैरान हूँ उससे बहस कर करके मैं वो 
मिरे हर जबाब से सवाल निकाल लेता है

ख़ामोश रहे आना तुम्हारा ये और बात है 
वो माहिर सब हाल चाल निकाल लेता है 

मिरे ताकत-ए-तसव्वुर को नज़र अंदाज न कर ये 
तिरे भीतर के भी ख़याल निकाल लेता है 

मैं मजबूर हूँ उसे सुनकर हँस देने को वो 
बात बात पे जुमले कमाल निकाल लेता है

वो सौदागिरी में बड़ा कमजोर नज़र आया मैं 
दाल मांगता हूँ वो गुलाल निकाल लेता है

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल

Himanshu Prajapati

#findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! #36gyan #hpstrange

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खामोशियों से घिरा रहा मैं,
एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद 
कर दिया जिंदगी को..!

©Himanshu Prajapati #findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं,
एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद 
कर दिया जिंदगी को..!
#36gyan #hpstrange

Parasram Arora

आदम और ईव

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Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora  आदम और ईव

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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कहीं नज़र में आये तो अच्छा घर खानदान बताना 
बेटी की ज़िंदगी का सवाल है नेक इंसान बताना 

वज़ह सबूत ही सही कुछ ज़ख्म छुपा रख्खे हैं 
वो क़ातिल लौट आये तो मेरे निशान बताना 

कब तक घुमड़ते उमड़ते ही रहोगे तुम 
बादलों बरस के अपनी पहचान बताना..

मैं कह दूंगा तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिए जमीं 
तुम भी मुझे शौहरतों का आसमान बताना 

यूँ तो शहर के नामी रईसों में शुमार है वो 
पर कहता है मेरा तारुफ़ केवल किसान बताना 

तू किस प्रान्त से है मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर 
कोई गैर पूछे तो पता हिन्दोस्तान बताना

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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White फलक पे माँ बाप का दर्जा रखा है मैंने 
बाकी कहाँ किसी का कर्जा रखा है मैने 

जुबाँ का इस्तेमाल ही कम करना है मुझे 
तुम कहते रहो मुँह में जर्दा रखा है मैंने 

कहीं सच जुबाँ पे आया तो बिखर जायेंगे 
रिश्तों की खातिर थोड़ा पर्दा रखा है मैंने 

कोई क़ीमत नहीं ली उसे खुश रखने की 
ऊपर से बोझ उसके सर का रखा है मैने 

उजालों ने साथ छोड़ा तो क्या करते फिर 
अंधेरों से याराना उम्र भर का रखा है मैंने 

न फ़िदा हूँ उनके हुस्न-ओ-अदाओं पे तो 
बेवज़ह मुलाकातों पर पहरा रखा है मैंने 

उनसे भी तो उम्मीद ही कहाँ रखी जिनसे
रिश्ता मोहब्बत का गहरा रखा है मैंने

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
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