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Ajita Bansal
New Year 2025 नया साल आया है, नई उम्मीदें लेकर, सपनों की दुनिया अब नये रंगों से सजे। हर दिन हो शुभ, हर रात हो रोशन, खुशियों से भरी हो ये नयी शुरुआत। पुरानी यादों को छोड़, चलें आगे हम, नई राहों पर, नए क़दम। सपने हों पूरे, दिलों में हो विश्वास, साल 2025 हो, सफलता से भरा खास। जो बीता, वह सीख है, जो आने वाला है, वो खुशियों का खजाना, जो हमें पाना है। समय की रेत पर लकीरें न छोड़ें, साथ चलें हम, बस यही है शेरों। नववर्ष की शुभकामनाएं, सबको मिले सुख-शांति, हर दिल में हो प्रेम, और जीवन में हो ध्वनि। साल 2025 हो, हम सब के लिए मंगलमय, नई उम्मीदें, नई शुरुआत, हो सभी के लिए सफलाय। ©Ajita Bansal #Newyear2025 poem of the day
#Newyear2025 poem of the day
read moreSam
मेरा मन ! ऐ मेरा मन,क्यूँ है तू उदास? क्या नहीं है तेरे पास? यूँ क्यूँ रहता है परेशान? वजह से भी है अनजान ! मेरा है,फिर भी मुझे उलझाता है ! कभी मन्द तो कभी तेज़ धड़कता है ! मज़ा क्यूँ आता है तुझे इतना उलझने में? तकलीफ़ क्या है तुझे जरा सुलझने में? ©Sam #Mera man
#Mera man
read moreR.S.Meghwal
लोग कहते हैं कि . . . . . लड़के रोते नहीं . . . . . . लड़के भी रोते हैं, जनाब मगर किसी से कहते नहीं ©R.S.Meghwal #R.S.Meghwal #confused #Man #SAD
JIJITH p thankachan " king of underdogs"
Unsplash Shadow of a likely man is really visible for our activities that coordinating common word like as development ©JIJITH p thankachan " king of underdogs" #Man
Anita Agarwal
जाने किस मृगतृष्णा में भटकता, इत उत चारों ओर। चेहरे पर खामोशी चाहे, मन का पंछी करे शोर।। कभी चाहिए दुनिया के, हर वैभव उल्लास। कभी चाहिए आसपास ही अपना कोई खास।। खुद की तनिक सफलता पर भी जी भरकर इतराए। दिखे गगन में और कोई तो क्यों इतना घबराए।। सोने के पिंजरे में रहकर खुश कैसे हो सकता है! मोह माया के पाश में बंध कर एकाकी हो रहता है। यह एकाकीपन ला देता है, खामोशी घनघोर। लड़ते लड़ते खामोशी से, मन का पंछी करे शोर। ©Anita Agarwal #man ka panchi
#Man ka panchi
read moreAjita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
read moreY Ravi
In 《Wonder Elephane》, you become a magical little elephant embarking on a fantastical journey! With a unique visual style and intricate grap
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