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Sangam sunil
उजाले से कांतिमय दीप यह तुमको मुबारक हो मोतियो से भरा यह सीप भी तुमको मुबारक हो मुझे यादो की अपनी एक खनकती साज देती जा मेरे उस प्रीति पर तू एक मधुर आवाज देती जा ©Shri sangam sunil उजाले से कांतिमय दीप यह तुमको मुबारक हो #alone
NEERAJ SIINGH
Vibha ji ...मैंने आपकी रचनाओं को पढ़ा औऱ उन रचनाओँ में मुझें " विभा " की अनुभूति हुई 🙏 लेखनी को नमन लिखते रहिये 🙏 😊 Dedicating a #testimonial to Vibha Nair विभा - कांति प्रभा #neerajwrites
Rajiv R Srivastava
हाँ, कि कुछ उम्मीदें टूट सी गई है, ख़ुशियाँ भी शायद रूठ सी गई हैं। पर अपनी उम्मीदों को मारा नहीं हूँ। परेशानियों से अभी भी हारा नहीं हूँ॥ थकावटें अब हावी होना चाहती है। हिम्मत यदा - कदा रोना चाहती है॥ डरा नहीं मगर हाँ थोड़ा निःश्रीक हूँ। उलझनों में उलझ के भी मैं ठीक हूँ॥ ✍🏻@raj__sri मैं ठीक हूँ... #मैंठीकहूँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #rasi #hope #unlucky
amit jcb shyampura
विकास की गंगा बहाने के लिए ऐक मात्र प्रत्याशी कांति बाई कमोलर पंचायत से
RJ_Keshvi
Positive Thinking helps in making an aura with love, kindness and gratitude. ©RJ_Keshvi "सकारात्मक सोच प्यार, दया और कृतज्ञता के साथ एक आभा(कांति) बनाने में मदद करती है।" #WorldThinkingDay Love for all, hate for none.❤️
kumaarkikalamse
खुशमिजा़जी लहजे में, लिखने में अदाकारी है पाण्डे जी की बज़्म में दिखती कलाकारी है। मुस्कान रहती लबों पर हमेशा, प्यार लुटाती लेखिका रीना यहाँ हर दिल अजीज दुलारी है। लोबान को मिले सफलता हजार है दुआ मेरी शुभ गौरी की रचना शरद पूर्णिमा सी प्यारी है। Dedicating a #testimonial to Reena pandey #kumaarsthought #kumaardedication आपको काव्य जगत में अनेकों खुशियां मिले रीना..! खुश रहिए, मुस्क
कवि राहुल पाल 🔵
जिस दिन तुम्हें हमसे ज्यादा कोई प्रेम करे, तो बेझिझक बेशक़ उसका हाथ थाम लेना , जब वो रो सके ख़ुद को तेरे ही आँसुओ में , तो मुस्कुराते हुए अलविदा में मेरा नाम लेना !! . . . . ©कवि राहुल पाल निर्भर करता है इन शब्दों को आप किस परिपेक्ष्य में ग्रहण करते है यथा- सात्विक ,कांति ,वात्सल्य ,निर्वेद या यूं कहें ..ईश्वर के परिपेक्ष्य , न
विवेक त्रिवेदी
बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए गई दिन राते बदली, गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली । पर तू है सच्ची साथी मेरी , मैं काया तू छाया मेरी। ,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से । बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए गई दिन राते बदली, गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली । पर तू है सच्ची साथी मेरी , मैं काया तू छा
Ojas Trivedi