Find the Latest Status about रक्षकों का रक्षक नाटक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रक्षकों का रक्षक नाटक.
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Jit
पुजारा खाना बहुत धीरे-धीरे खाते हैं क्यू कि धीरे-धीरे खाने से टेस्ट आता है और वो भी टेस्ट के वह खिलाड़ी हैं। ©Jit टेस्ट का नहीं टेस्ट का है मामला
Devesh Dixit
रक्षक (दोहे) रक्षक जब भक्षक बनें, कहीं नहीं फिर ठौर। तोड़ दिया विश्वास है, हो इस पर भी गौर।। रक्षक हो जब सामने, होता है विश्वास। रक्षा कर पालन करे, यही बनाती खास।। रक्षक भूले कर्म जो, भक्षक का हो राज। संकट में फिर जिंदगी, कैसे पहने ताज।। देव-दूत कहते उसे, है रक्षक का रूप। भक्षक को ऐसे लगे, जैसे तपती धूप।। रक्षक की ताकत बड़ी, ईश्वर देते साथ। जहाँ पड़े कमजोर है, सर पर रखते हाथ।। भक्षक भी फिर टूटता, रक्षक देता चोट। भागा-भागा वह फिरे, कहीं न मिलती ओट।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #रक्षक #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi रक्षक (दोहे) रक्षक जब भक्षक बनें, कहीं नहीं फिर ठौर। तोड़ दिया विश्वास है, हो इस पर भी गौर।।
Mukesh Poonia
White व्यक्ति का सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला खुद का हो तो वह बेचारा नहीं, आत्मनिर्भर बनता है . ©Mukesh Poonia #Free #व्यक्ति का #सपना, व्यक्ति का हौसला और व्यक्ति का फैसला #खुद का हो तो वह #बेचारा नहीं, #आत्मनिर्भर बनता है
book lover
जो धर्म की राह पर चलते हैं भगवान उनके घोड़ों की लगाम खुद पकड़ लेते हैं ©book lover धर्म का मार्ग उन्नति का मार्ग है
Bharat Bhushan pathak
पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश
Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
HintsOfHeart.
"कहते हैं, धरती पर सब रोगों से कठिन प्रणय है लगता है यह जिसे, उसे फिर नींद नहीं आती है दिवस रुदन में, रात आह भरने में कट जाती है मन खोया-खोया, आँखें कुछ भरी-भरी रहती है भीगी पुतली में कोई तस्वीर खड़ी रहती है"¹ ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_'दिनकर' के काव्य नाटक #उर्वशी' से। 1.इसके लिए 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।