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अशोक कुमार सैनी
vishnu prabhakar singh
आकाश वाणी इसकी ध्वनि सुनी है बहुत निज है,समय है,नियति है सम्पूर्ण प्रकृति है, अणु,परमाणु संलग्न चेतना निहित है यह चेतना की ध्वनि है, बे आवाज। आभास हो जाता है चैन नहीं रहता सत्य के स्वप्न आते हैं, श्मशान से। विनाश काल है विवेक रहित परास्थिति है विवेक शून्यता का दण्ड है विधि का लेखा है काल का पराक्रम है सुना ही होगा 'आकाशवाणी' कर्म से पूछो! यह आकाशवाणी है।सत्य की आवृत्ति पर सुनें- सत्यम शिवम सुंदरम। बहुत सी बातें हमेशा नहीं होतीं। #हमेशानहींहोता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMi
Sahitya Vikas Manch
साहित्य विकास मंच के whatsapp group में आज का विषय - रचना भेजने या जुड़ने के लिये - 9714292905 whatsapp number. (साथ ही अनुप्रास अलंकार की जानकारी के लिये यह पोस्ट पढें ) धन्यवाद ©Sahitya Vikas Manch *दैनिक विषयानुसार काव्य सृजन* *दिनांक : 15/03/2021* *वार- सोमवार* *विषय क्रमांक - 44* *विषय - अलंकार* ( अनुप्रास अलंकार ) *परिभाषा -*
Sunita D Prasad
मेरी कई यात्राएँ निरर्थक सिद्ध हुईं जिनकी शिथिलता देह पर यथावत है। हमारे पास विसफलताओं के सदा कई स्पष्टीकरण रहे तभी जीवन में हम अनेक विकल्प लेकर भी चले। परंतु स्वयं किसी का विकल्प होना हमारा सबसे बड़ा दुःख हुआ। अमूमन दुःख कहने से अधिक समझने के हुए और इनका न समझा जाना भी एक दुःख हुआ। मुझे स्मरण हो आता है, तुम्हारा एक गहरी उश्वास के साथ कहना कि पीड़ा प्रेम का नाद है। उश्वास का वो स्पर्श आज भी धमनियों में दौड़ जाता है। सहज नहीं है स्मृति और स्वप्न का माधुर्य इनकी आवृत्ति से मेरी देह की सतह पर उत्कंठाओं की स्निग्ध गाद जम आती है। मेरे जीवन में तुम्हारा प्रेम शायद किसी वर्षावन का शाप है। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 मेरी कई यात्राएँ निरर्थक सिद्ध हुईं जिनकी शिथिलता देह पर यथावत है। हमारे पास विसफलताओं के सदा कई स्पष्टीकरण रहे तभी जीवन में हम
Tushar Jangid
मुझे आज लोग शायद सुन रहे हैं... कैप्शन... मुझे आज लोग सुन रहे हैं या शायद नहीं भी वो मुझे समझ रहे हैं या नहीं भी पर सब कुछ एक सा सदा नहीं रहता कल कोई मुझसे बेहतर मिल जाएगा या शायद न
Shree
... क्या जाने कलम की मंशा हुई, क्या सोच लिखा! वृत्ति, आवृत्ति, प्रवृत्ति, संस्मृति, निवृत्ति सब म्रियमान रही! अनुशीर्षक प्रेम ने आद्यंत बताया विरह ने जीवन। 🍁☺️❣️🍀🍁☺️❣️🍀🍁☺️❣️🍀 हरसिंगार की तरह बरस जाती है निर्झर... टेसुएं मेरी.. तेरी हर याद सुबह की नरम धूप के
Nisheeth pandey
कला और मैं ---------------- तुम कला हो मैं कलाकार हूँ .. तुम ख्वाब , मैं पटल पे उकेरने वाला चित्रकार हूँ .. तुम फिसलते सौंदर्य से , मैं हृदय औ मस्तिष्क में प्रदीप्त हूँ.. अहम न करो कि तुम अलौकिक हो , मुझ बिन आश्रित खोखले निरालंब हो .. जानता हूँ तुम वाचाल हो , मैं गंभीर एकांत हूँ .. देखती है तुम्हें जन मानस .. गुनती है मुझे , बार बार कर मेरी ही आवृत्ति .. कल्पना का आकार हो तुम .. संरचना में उलझे हो तुम .. जन्म दाता हूँ मैं .. रंगों और शब्दों से सुलझता हूँ मैं .... मेरे लिये चित्र रचना खेल है , दर्शन की छाया सुशीतल , आह्लादक पुष्पित बसन्त है .. तुम गुंजित हो , मैं गुंफित .. तुम मुखर हो , मैं प्रखर .. हाँ तूम ठहराव हो , मैं हूँ विचलित धारा .. किंतु क्या तुम एक विचार हो.. और मैं स्वमं अनन्त विचारों में भ्रमित हूँ ? कला का सौंदर्य अर्थ में है अर्थ का अस्तित्व शब्द में चित्र का शून्य में लोप होना अर्थ का शब्द में विलोप होना है .. सुनो न क्या संग संग साथ चलें हम .. तुम ही मुझमें , मैं तुझमें पनपता हूँ तुम मेरी यकीनन प्यास हो .. मैं तुम्हारा असीम हूँ .. तुम मेरे रंग का आत्मा हो ... मैं तेरा रचैता ब्रह्म हूँ .. I #निशीथ ©Nisheeth pandey कला और मैं ---------------- तुम कला हो मैं कलाकार हूँ .. तुम ख्वाब , मैं पटल पे उकेरने वाला चित्रकार हूँ .. तुम फिसलते सौंदर्य से , मैं ह
RAJ SINGH ✔️
अशेष_शून्य
कविता रूठ गई है मुझसे.... ©अशेष_शून्य #WinterSunset कविता रूठ गई है मुझसे अब वो मेरी श्वास के आरोह अवरोह की तर्जनी थामे नहीं चलती । ना मुझे दुलारती पुचकारती है। चलते चलते एक छोट
आयुष पंचोली
आत्मा एक विचार विचार एक बहुत खतरनाक चीज हैं। क्योकी हर चीज की शुरुवात एक विचार से ही होती हैं। या हम यह कह सकते हैं, हर कर्म का होना एक विचार के ही अधीन हो