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JAMNa lal Balotiya
एक सिपाही जब हुआ पैदा तो कुछ एहसास हमारे थे मिट्टी की सेवा करना ये कर्तव्य हमारे थे खेलते थे हम मिट्टी में तो इसे बचाने का कर्तव्य भी हमारा था धीरे धीरे बड़े हुए हम हमे तो अब फोज में जाना था मा बाप भाई बहन को छोड़कर देश को भी तो बचाना था हमारे परिवार के जैसे पूरा देश भी परिवार हमारा था में बताऊं अब एक सिपाही के बारे में की क्या फर्क इनमे ओर हमारा था देश के लिए जीते दिन भर ये ख्वाब हमारा था सुकून से सो सके सब लोग ये ही लक्ष्य हमारा था रात दिन लगे रहते सीमा पर दुश्मन से भी हमे बचाना था परवाह नहीं थी खुद की हमारा देश हमारा था मा बाप ने भी अपना बेटा देश को सौंपा था बेटे को खो देने पर दर्द भी होता था पर उनके चहरे पर एक मुस्कान निराली थी देश के लिए हुए शहीद ये ही बात हमारी थी एक फौजी की जिंदगी होती है बस देश के लिए दिख जाए कहीं आपको तो नकार ना देना कभी वो करते है सुरक्षा तभी तो हम सुरक्षित रह पाते है आज अगर ना हो वो बॉर्डर पर तो हम भी गुलाम बन जाते है सिपाही होना आसान नहीं है परिवार से दूर रहना हर किसी के बस की बात नहीं है कड़कती ठंड में बॉर्डर पर रहना ये आसान नहीं है किसी भी फौजी को सम्मान देना ये शर्म की बात नहीं है सब करे सम्मान उनका क्युकी इस सम्मान के हकदार वहीं है। Written by rajeshwari balotiya Class 10th ©JAMNa lal Balotiya sipahi poem #Thoughts desh bhakti
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
RaJ
मत रोइयो रे माई अगर तेरे लाल को शहादत मिलें, जान से बढ़कर देश मेरा और ये देश सदा सलामत रहें।।। ओ माई मेरी,तू फ़िक्र ना कर क्यों तेरे आंखों से दरिया बहता है, तू कहती थी तेरा चांद हूं मैं और चांद हमेशा रहता है। ओ माई मेरी,तू पोंछ ले आंसू क्यों तेरे सीने में है सैलाब उठा, ये तो तेरी खुशकिस्मती है, जो तेरे लाल का किस्मत जाग उठा। मेरे मरने की खबर जब तुझे आएगी कुछ तो लोग तुझे तसल्ली देने आयेंगे रोने की जगह तू मुस्करा देना तेरे साथ मेरे जिस्म के चीथड़े मुस्कुराएंगे। ओ बापू मेरे,तू भी खुश रहना कभी अपना मन छोटा ना करना तू कहता था मैं हूं तेरा राजा बेटा कभी राजा का गरिमा कम ना करना। ओ बापू मेरे,तेरी छाती चौड़ी होगी, जो तेरा बेटा देश के काम आया, तेरे अच्छे कर्मों का परिणाम है ये जो शहादत का संदेश मेरे नाम आया। आऊंगा मैं लौट के फिर ढलती हुई किसी शामों में रंगीन सुबहों में खेत के फैसलों में. मुंडेर पे बैठी चिड़िया चहचहाएगी आऊंगा मैं लौट के फिर जब बसंती हवा गुनगुनाएगी। ओ देश मेरा! तेरी शान ना झुके हर जनम को तुझ पे वार दूं, तेरी मिट्टी जुड़ी हस्ती मेरी मैं तेरी मिट्टी का कर्जदार हूं. ओ देश मेरा, तू फले-फुलें तेरे बाग कभी उजड़ ना पाएं तेरे ऋतुओं को कर दूं सदाबहार मुड़ के आइंदा पतझड़ ना आएं. desh bhakti