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dr.Manish Vashistha
part time paise kamaye apne ghar say Jindagi Soch Mein Chunav ka parinaam hai... स्टूडेंट / ग्रहणी बिजनेसमैन/ रिटायरमेंट नौकरी करने वाले/बेरोजगार यदि आप अपनी जीविका नहीं चला पा रहे हैं परेशान हैं कुछ नया करना चाहते हैं या अपने परिवार के सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो हमारे पास आपके लिए एक अफसर है..... *व्यक्तिगत एवं आर्थिक स्वतंत्रता *पूरी ट्रेनिंग और सहायता * अपने मौजूदा काम को करते हुए भी कर सकते हैं ........ my wattsapp no. 8251956773 👍पर संपर्क करें👍 🙏🙏🙏 आप सभी का धन्यवाद!🙏🙏🙏 ©Manish Vashistha # मित्रों आप सभी के लिए एक अफसर प्रदान करते हैं हम सब खासकर युवक युवतियां महिलाएं.... Sarah Moses Riya Goswami Riya Soni Kumar Pankaj Shris
Deepak Kanoujia
तुम कुछ युवतियां... तुम कुछ छोरियां... तुम कुछ कुड़ियां... READ HERE FOR FULL LENGTH... However this is posted on Intl Women's Day but this has nothing to do with a specific day...this is for life...
Amaan Tiwari
आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था? आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था इस शहर में । अमूमन शान्त रहने वाला यह शहर आज एकाएक सड़को पर आ गया पूछने पर पता चला बगल वाली बस्ती की मासूम 6 साल की गुड़िया का किसी ने बलात्कार कर दिया था। सारा शहर गुस्से में था चक्काजाम किया जा रहा था थानों के घेराव कैंडल मार्च हाथो में तख्ती लिए सारा शहर उमड़ पड़ा था प्रदर्शन करने ।युवतियां हाथो में मोबाइल लिए सेल्फी खिंच रही थी व्हाट्सएप पर स्टैट्स चढ़ा था स्टॉप रपए फीलिंग एंग्री वही कालोनी का कल्लन भी मिला बड़ा मसहूर था कॉलोनी में ऐसी कोई लड़की नही बची थी जिसपे उसने गन्दी फब्तियां ना कसी हो आज उसे यहाँ देख कर लगा अब माहौल सुधरेगा अब कोई हादसा नही होगा नेता जी ने घोषणा की दोषियों को बख्शा नही जाएगा । तभी याद आया कुछ दिन पहले इन्ही नेता जी के बारे में खबर छपी थी अपनी ही पार्टी की महिला नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाया था इन पर आज यह भी यही आ गए । खैर उस दिन का प्रदर्शन खत्म हुआ ।धीरे धीरे सब अपने काम मे लग गए कल्लन फिर उसी चौराहे पर मिलने लगा । नेता जी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मिल गया लड़कियों की फ़ोटो पर असंख्य लाइक्स ओर कमेन्ट मिल चुके थे । सब को कुछ न कुछ मिल गया था सिर्फ नही मिला था तो उस बच्ची को इंसाफ ना उसकी माँ को उसकी बच्ची।। आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था इस शहर में । अमूमन शान्त रहने वाला यह शहर आज एकाएक सड़को पर आ गया पूछने पर पता चला बगल वाली बस्ती की मासूम 6
Amaan Tiwari
आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था इस शहर में । अमूमन शान्त रहने वाला यह शहर आज एकाएक सड़को पर आ गया पूछने पर पता चला बगल वाली बस्ती की मासूम 6 साल की गुड़िया का किसी ने बलात्कार कर दिया था। सारा शहर गुस्से में था चक्काजाम किया जा रहा था थानों के घेराव कैंडल मार्च हाथो में तख्ती लिए सारा शहर उमड़ पड़ा था प्रदर्शन करने ।युवतियां हाथो में मोबाइल लिए सेल्फी खिंच रही थी व्हाट्सएप पर स्टैट्स चढ़ा था स्टॉप रपए फीलिंग एंग्री वही कालोनी का कल्लन भी मिला बड़ा मसहूर था कॉलोनी में ऐसी कोई लड़की नही बची थी जिसपे उसने गन्दी फब्तियां ना कसी हो आज उसे यहाँ देख कर लगा अब माहौल सुधरेगा अब कोई हादसा नही होगा नेता जी ने घोषणा की दोषियों को बख्शा नही जाएगा । तभी याद आया कुछ दिन पहले इन्ही नेता जी के बारे में खबर छपी थी अपनी ही पार्टी की महिला नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाया था इन पर आज यह भी यही आ गए । खैर उस दिन का प्रदर्शन खत्म हुआ ।धीरे धीरे सब अपने काम मे लग गए कल्लन फिर उसी चौराहे पर मिलने लगा । नेता जी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मिल गया लड़कियों की फ़ोटो पर असंख्य लाइक्स ओर कमेन्ट मिल चुके थे । सब को कुछ न कुछ मिल गया था सिर्फ नही मिला था तो उस बच्ची को इंसाफ ना उसकी माँ को उसकी बच्ची।। आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था इस शहर में । अमूमन शान्त रहने वाला यह शहर आज एकाएक सड़को पर आ गया पूछने पर पता चला बगल वाली बस्ती की मासूम 6
Ravendra
N S Yadav GoldMine
है वासुदेव श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है पढ़िए महाभारत !! 🙏🙏 महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविंष अध्याय: श्लोक 1-17 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 गान्धारी बोलीं- माधव। यह मेरा पुत्र विकर्ण, जो विद्वानों द्वारा सम्मानित होता था, भूमि पर मरा पड़ा है। भीमसेन ने इसके भी सौ-सौ टुकड़े कर डाले हैं। मधुसूदन। जैसे शरतकाल में मेघों की घटा से घिरा हुआ चन्द्रमा शोभा पा रहा है, उस प्रकार भीम द्वारा मारा गया विकर्ण हाथियों की सेना के बीच में सो रहा है। 📜 बराबर धनुष लिये रहने से इसकी विशाल हथेली में घट्ठा पड़ गया है। इसके हाथों में इस समय भी दस्ताना बंधा हुआ है; इसलिये इसे खाने की इच्छा बाले गीध बड़ी कठिनाई से किसी किसी तरह काट पाते हैं। माधव। उसकी तपस्विनी पत्नी जो अभी बालिका है, मांस लोलोप गीधों और कौओं को हटाने की निरंतर चेष्टा करती है परंतु सफल नहीं हो पाती है। 📜 पुरुष प्रवर माधव। विकर्ण नवयुवक देवता के समान कांतिमान, शूरवीर, सुख में पला हुआ तथा सुख भोगने के योग्य ही था; परंतु आज धूल में लोट रहा है। युद्ध में कर्णी, नालीक और नाराचों के प्रहार से इसके मर्मस्थल विदीर्ण हो गये हैं तो भी इस भरतभूषण वीर को अभी तक लक्ष्मी (अंगकान्ति) छोड़ नहीं रही है। 📜 जो शत्रु समूहों का संहार करने वाला था, वह दुर्मुख प्रतिज्ञा पालन करने वाला संग्राम शूर भीमसेन के हाथों मारा जाकर समर में सम्मुख सो रहा है। तात् श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है, इसलिये सप्तमी के चन्द्रमा की भांति सुशोभित हो रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो मेरे इस रणशूर पुत्र का मुख कैसा तेजस्वी है? पता नहीं, मेरा यह वीर पुत्र किस तरह शत्रुओं के हाथ से मारा जाकर धूल फांक रहा है। सौम्य। युद्ध के मुहाने पर जिसके सामने कोई ठहर नहीं पाता था उस देवलोक विजयी दुर्मुख को शत्रुओं ने कैसे मार डाला? 📜 मधुसूदन। देखो, जो धनुर्धरों का आदर्श था वही यह धृतराष्ट्र का पुत्र चित्रसेन मारा जाकर पृथ्वी पर पड़ा हुआ है। विचित्र माला और आभूषण धारण करने वाले उस चित्रसेन को घेरकर शोक से कातर हो रोती हुई युवतियां हिंसक जन्तुओं के साथ उसके पास बैठी हैं। 📜 श्रीकृष्ण। एक ओर स्त्रियों के रोने की आवाज है तो दूसरी ओर हिंसक जन्तुओं की गर्जना हो रही है। यह अद्भुत द्श्य मुझे विचित्र प्रतीत होता है । माधव। देखो, वह देवतुल्य नव-युवक विविंशति, जिसकी सुन्दरी स्त्रियां सदा सेवा किया करती थीं, आज विध्वस्त होकर धूल में पड़ा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, बाणों से इसका कबच छिन्न-भिन्न हो गया है। युद्ध में मारे गये इस वीर विविंशति को गीध चारों ओर से घेरकर बैठे हैं । जो शूरवीर समरांगण में पाण्डवों की सेना के भीतर घुसकर लोहा लेता था, वही आज सत्पुरुषोचित वीरशैया पर शयन कर रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, विविंशति का मुख अत्यंत उज्ज्वल है, इसके अधरों पर मुस्कराहट खेल रही है, नासिका मनोहर और भौहें सुन्दर हैं यह मुख चन्द्रमा के समान शोभा पा रहा है। ©N S Yadav GoldMine #WoRaat है वासुदेव श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है पढ़िए महाभारत !! 🙏🙏 महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविंष अध्याय:
N S Yadav GoldMine
महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्कों, मणियों, अंगदों, के यूरों और हारों से समरांगण विभूषित दिखाई देता है। कहीं वीरों की भुजाओं से छोड़ी गयी शक्तियां पड़ी हैं, कहीं परिध, नाना प्रकार के तीखे खग और बाणसहित धनुष गिरे हुए हैं। कहीं झुंड के झुंड मांस भक्षी जीव-जन्तु आनन्द मग्न होकर एक साथ खड़े हैं, कहीं वे खेल रहे हैं और कहीं दूसरे-दूसरे जन्तु सोये पड़े हैं। 📚 वीर। प्रभो। इस प्रकार इन सबसे मरे हुए युद्धस्थल को देखो। जनार्दन। मैं तो इसे देखकर शोक से दग्ध हुई जाती हूं। मधुसूदन। इन पान्चाल और कौरव वीरों के मारे जाने से तो मेरे मन में यह धारणा हो रही है कि पांचो भूतों का ही विनाश हो गया । उन वीरों को खून से भीगे हुए गरूड़ और गीध इधर - उधर खींच रहे हैं। 📚 सहस्त्रों गीध उनके पैर पकड़ - पकड़ कर खा रहे हैं, इस युद्ध में जयद्रथ, कर्ण, द्रोणाचार्य, भीष्म और अभिमन्यु- जैसे वीरों का विनाश हो जायेगा, यह कौन सोच सकता था? जो अवध्य समझे जाते थे, वे भी मारे गये और अचेत एवं प्राणशून्य होकर यहां पड़े हैं। गीध, कंक, बटेर, बाज, कुत्ते और सियार उन्हें अपना आहार बना रहे हैं। 📚 दुर्योधन के अधीन रहकर अमर्ष के वशीभूत हो ये पुरुष सिंह वीरगण बुझी हुई आगे के समान शान्त हो गये हैं। इनकी ओर दृष्टिपात तो करो। जो लोग पहले कोमल बिछौनों पर सोया करते थे, वे सभी आज मरकर नंगी भूमि पर सो रहे हैं। 📚 जिन्हें सदा ही समय-समय पर स्तुति करने वाले बन्दीजन अपने वचनों द्वारा आनन्दित करते थे, वे ही अब सियारिनों की अमंगल सूचक भांति - भांति की बोलियां सुन रहे हैं। जो यशस्वी वीर पहले अपने अंगों में चन्दन और अगुरू चूर्ण से चर्चित हो सुखदायिनी शययाओं पर सोते थे, वे ही आज धूल में लोट रहे हैं। 📚 उनके आभूषणों को ये गीध, गीदड़ और भयानक गीदडियां बारबार चिल्लाती हुई इधर -उधर फेंकती हैं । ये सभी युद्धाभिमानी वीर जीवित पुरुषों की भांति इस समय भी तीखे बाण, पानीदार तलवार और चमकीली गदाऐं हाथों में लिये हुए हैं। 📚 सुन्दर रूप और कान्तिवाले, सांडों के समान हष्ट-पुष्ट तथा हरे रंग के हार पहने हुए बहुत से योद्धा यहा सोये पड़े हैं और मांसभक्षी जन्तु इन्हें उलट-पलट रहे हैं। परिध के समान मोटी बाहों वाले दूसरे शूरवीर प्रेयसी युवतियां की भांति गदाओं का आलिंगन करके सम्मुख सो रहे हैं। जनार्दन। बहुत से योद्धा चमकीले योद्धा चमकीले कवच और आयुध धारण किये हुए हैं, 📚 जिससे उन्हें जीवित समझकर मांसभक्षी जन्तु उन पर आक्रमण नहीं करते हैं। दूसरे महामस्वी वीरों को मांसाहारी जीव इधर-उधर खींच रहे हैं, जिससे सोने की बनी हुई उनकी विचित्र मालाएं सब ओर बिखर गयी हैं। यहां मारे गये यशस्वी वीरों के कण्ठ में पड़े हुए हीरों को ये सहत्रों भयानक गीद़ड़ खींचते और झटकते हैं। 📚 बृष्णिसिंह। प्रायः प्रत्येक रात्रि के पिछले पहर में सुशिक्षित बन्दीजन उत्तम स्तुतियों और उपचारों द्वारा जिन्हें आनन्दित करते थे, उन्हीं के पास आज ये दु:ख और शोक से अत्यन्त पीडि़त हुई सुन्दरी युवतियां करूण विलाप कर रही हैं। केशव। इन सुन्दरियों के सूखे हुए सुन्दर मुख लाल कमलों के समूह की भांति शोभा पा रहे हैं। ©N S Yadav GoldMine #RABINDRANATHTAGORE महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्को
N S Yadav GoldMine
माधव। यह मेरा पुत्र विकर्ण जो विद्वानों द्वारा सम्मानित होता था भूमि पर मरा पड़ा है पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविंष अध्याय: श्लोक 1-17 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 गान्धारी बोलीं- माधव। यह मेरा पुत्र विकर्ण, जो विद्वानों द्वारा सम्मानित होता था, भूमि पर मरा पड़ा है। भीमसेन ने इसके भी सौ-सौ टुकड़े कर डाले हैं। मधुसूदन। जैसे शरतकाल में मेघों की घटा से घिरा हुआ चन्द्रमा शोभा पा रहा है, उस प्रकार भीम द्वारा मारा गया विकर्ण हाथियों की सेना के बीच में सो रहा है। 📜 बराबर धनुष लिये रहने से इसकी विशाल हथेली में घट्ठा पड़ गया है। इसके हाथों में इस समय भी दस्ताना बंधा हुआ है इसलिये इसे खाने की इच्छा बाले गीध बड़ी कठिनाई से किसी किसी तरह काट पाते हैं। माधव। उसकी तपस्विनी पत्नी जो अभी बालिका है, मांस लोलोप गीधों और कौओं को हटाने की निरंतर चेष्टा करती है परंतु सफल नहीं हो पाती है। 📜 पुरुष प्रवर माधव। विकर्ण नवयुवक देवता के समान कांतिमान, शूरवीर, सुख में पला हुआ तथा सुख भोगने के योग्य ही था; परंतु आज धूल में लोट रहा है। युद्ध में कर्णी, नालीक और नाराचों के प्रहार से इसके मर्मस्थल विदीर्ण हो गये हैं तो भी इस भरतभूषण वीर को अभी तक लक्ष्मी (अंगकान्ति) छोड़ नहीं रही है। 📜 जो शत्रु समूहों का संहार करने वाला था, वह दुर्मुख प्रतिज्ञा पालन करने वाला संग्राम शूर भीमसेन के हाथों मारा जाकर समर में सम्मुख सो रहा है। तात् श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है, इसलिये सप्तमी के चन्द्रमा की भांति सुशोभित हो रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो मेरे इस रणशूर पुत्र का मुख कैसा तेजस्वी है? पता नहीं, मेरा यह वीर पुत्र किस तरह शत्रुओं के हाथ से मारा जाकर धूल फांक रहा है। सौम्य। युद्ध के मुहाने पर जिसके सामने कोई ठहर नहीं पाता था उस देवलोक विजयी दुर्मुख को शत्रुओं ने कैसे मार डाला? मधुसूदन। 📜 देखो, जो धनुर्धरों का आदर्श था वही यह धृतराष्ट्र का पुत्र चित्रसेन मारा जाकर पृथ्वी पर पड़ा हुआ है। विचित्र माला और आभूषण धारण करने वाले उस चित्रसेन को घेरकर शोक से कातर हो रोती हुई युवतियां हिंसक जन्तुओं के साथ उसके पास बैठी हैं। 📜 श्रीकृष्ण। एक ओर स्त्रियों के रोने की आवाज है तो दूसरी ओर हिंसक जन्तुओं की गर्जना हो रही है। यह अद्भुत द्श्य मुझे विचित्र प्रतीत होता है। माधव। देखो, वह देवतुल्य नव-युवक विविंशति, जिसकी सुन्दरी स्त्रियां सदा सेवा किया करती थीं, आज विध्वस्त होकर धूल में पड़ा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, बाणों से इसका कबच छिन्न-भिन्न हो गया है। युद्ध में मारे गये इस वीर विविंशति को गीध चारों ओर से घेरकर बैठे हैं। जो शूरवीर समरांगण में पाण्डवों की सेना के भीतर घुसकर लोहा लेता था, वही आज सत्पुरुषोचित वीरशैया पर शयन कर रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, विविंशति का मुख अत्यंत उज्ज्वल है, इसके अधरों पर मुस्कराहट खेल रही है, नासिका मनोहर और भौहें सुन्दर हैं यह मुख चन्द्रमा के समान शोभा पा रहा है। ©N S Yadav GoldMine #rush माधव। यह मेरा पुत्र विकर्ण जो विद्वानों द्वारा सम्मानित होता था भूमि पर मरा पड़ा है पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविं
Anil Siwach
Anil Siwach