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Poet Kuldeep Singh Ruhela
Beautiful Moon Night कुछ खास नही यहां अपने लिए हर शक्श यहां मतलबी है किसी को अपनी फिक्र है तो कोई चापलुशी में मगन है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela कुछ खास नही यहां अपने लिए हर शक्श यहां मतलबी है किसी को अपनी फिक्र है तो कोई चापलुशी में मगन है
Anjali Singhal
Devesh Dixit
सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐसा मेरे मन में रमा था। हर पल को ही पिरोया मैंने, बीज को उसके बोया मैंने। पाऊँ सफलता आगे चलकर, गीत यही गुनगुनाया मैंने। अच्छे से सब कुछ चल रहा था, मगन मैं भी अब झूम रहा था। देख रहा जो महल सपनों का, उसे ही अब मैं ढूंँढ़ रहा था। आँखें खुलीं तो मैंने पाया, महल सपनों का बिखरा पाया। हर एक सपना उजड़ चुका था, देख खुद को ही बेबस पाया। सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर गया वो कहीं पत्तों सा, जो की मेरे मन में रमा था। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सपनों_का_महल #nojotohindi #nojotohindipoetry सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उड़ियाना छन्द धाम अपने आ गये , आज श्री राम हैं । गूंजता है कान में , आज प्रभु नाम है ।। सज रहा है ये अवध , मान सम्मान से । गीत गाते लोग सब , मधुर मुस्कान से ।। धन्य वो इंसान है , देखते जो भवन । पाप के हकदार है , कर रहे जो गमन ।। छट रहा है अब तिमिर , राम प्रस्थान से । लोग सारे हैं मगन , भव्य निर्माण से ।। धन्य है अपने नयन , भवन बन देखते । जल रहे कुछ लोग जो , क्यों नही चेतते ।। स्वार्थ बस ही आप क्या , पूजते राम को । खुशी मुख पर है नहीं , देख इस धाम को ।। १७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उड़ियाना छन्द धाम अपने आ गये , आज श्री राम हैं । गूंजता है कान में , आज प्रभु नाम है ।। सज रहा है ये अवध , मान सम्मान से ।
Devesh Dixit
बीत गये जो लम्हे बीत गये जो लम्हे, उन्हें क्यों याद करना है। भूल कर वो सभी, अब आगे ही बढ़ना है।। जिस तरह जिंदगी, कभी पीछे नहीं मुड़ती। रख भरोसा खुद पर,नहीं पीछे को हटना है।। यादों के सहारे कहाँ कटी, जिंदगी बताओ। वक्त था जैसा कभी, नहीं वैसा ही रहना है।। छोड़ कर ग़मों को पीछे, जी अब वर्तमान को। रहते मगन बच्चे हैं जैसे, हमें वैसे ही रहना है।। जिंदगी के पहलू को हमें, अब यूँ समझना है। खुल कर ही जीना है, और जीते ही रहना है।। क्यों सोचता ज्यादा, नहीं हासिल कुछ होना है। समझा दिया तुमको, मुझे इतना ही कहना है।। बीत गये जो लम्हे, उन्हें क्यों याद करना है। भूल कर वो सभी, अब आगे ही बढ़ना है।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #बीत_गये_जो_लम्हे #nojotohindi बीत गये जो लम्हे बीत गये जो लम्हे, उन्हें क्यों याद करना है। भूल कर वो सभी, अब आगे ही बढ़ना है।। जिस तरह
Devesh Dixit
चलो इश्क दोबारा कर लें बहुत हुईं अब गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। कब सुलझीं अनबन से बातें, पल ये हम हसीन कर लें। मिले कभी थे हम पहली बार, उन्हीं लम्हों को बयांँ कर लें। एक दूजे के मुख से फिर हम, उन्हीं वादों की वर्षा कर लें। खो जाएँ हम एक दूजे की, आँखों के फिर समंदर में। बहके से हम बिन पिये ही, गोते खाएँ उसी भंवर में। एक दूजे के अब प्यार में, आओ मगन हम हो जाएँ। छोड़ कर सब ताना कस्सी, हम दोनों बाहों में आ जाएँ। दिखाती थी जो पहले अदा, फिर से तुम वो दिखा दो न। जिस मुस्कान पर था फिदा, वही मुस्कान तुम दिखा दो न। क्यों करनी है गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। छोड़ सभी हम फालतू बातें, पलों को फिर हसीन कर लें। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चलो_इश्क_दोबारा_कर_लें #nojotohindi #nojotohindipoetry चलो इश्क दोबारा कर लें बहुत हुईं अब गमगीन बातें, चलो इश्क दोबारा कर लें। कब सुलझ
ANIL KUMAR
गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो सुख-दुःख का संगम है जीवन, धीरे-धीरे रोज बढ़ो कुछ ख्वाहिश दफनाते चलना, कुछ सपने बुनते जाना फूलों की चाहत हो लेकिन, काँटों को चुनते जाना कल क्या होगा किसको पता है, किसने जाना है आखिर कल की चिंता आज पे भारी, किसने माना है आखिर काली रजनी-सा जीवन में,कब? घोर अंधेरा छाएगा खुशियों के इक-इक पल को तुम, खोज-खोज के हार गए अपने हाथों ही पैरो पे ख़ुद, रोज कुल्हाड़ी मार गए जितना खोते हैं जीवन में, उससे ज्यादा मिल जाता जैसा बोते है मधुवन में, वैसा ही तो मिल पाता. घूम-घूम के लोट-लौट के, कर्म हमारे ही आते और इन्ही का लेखा जीवन, वेद शास्त्र भी बतलाते काँटे बोकर कौन भला फिर, वापस फूलों को पाएगा लड़ जाना हालातों से, बस, धीरज हिम्मत से डटकर डर लगता हो साँस भरो बस, साहस पौरूष से उठकर अपना काम करो सब प्यारे, घबराना अब ठीक नहीं मिट्टी से ऊपर उठकर भी, इतराना अब ठीक नहीं आज मगन हो चाहे जितना, झोली अपनी भर लेना शायद कल फिर मिले कभी ना, हँसते गाते जी लेना पहले पन्नो में शुरुआती, नाम तुम्हारा लिख जाएगा अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, बुन्देलखण्ड ©ANIL KUMAR गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
Ashutosh Mishra
भर दो मेरे दिल में कान्हा भावों के वो रंग, लिख सकुं मैं भजन प्रेम के मन रहे मगन। मन चंचल तितली सा भागे इधर उधर, अपने मन पर अंकुश लगा लूं दो ऐसी लगन। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #Titliyaan हर दो मेरे मन में कान्हा ऐसे भावों के रंग। लिख सकूं मैं भजन प्रेम के मन रहे मगन। मन चंचल तितली सा भागे इधर उधर, अपने मन पर अंकु
Nisheeth pandey
शीर्षक-भीगता शाम ******************* सुना है फिर मुश्लाधार बारिश हो रहीं है तुम्हारे शहर में ... फिर भींगना मत , तन मन को छूता बारिश में .... मुझे आज भी याद है वो पुराना भींगता शाम ... वो तुम्हारा भींगता बदन लहराता उन्मुक्त मगन मन .... मुझे आज भी याद है वो तुम्हारा बूंदों के साथ खेलना ... वो बारिस के पानी की धार को चीरता तुम्हारे लहराते बाल .... मानो वो पानी नहीं शहद में लथपथ तुम्हारा बदन ... शायद उस वक्त भूल गयी थी दुनिया के हर पहलूँ को ..... और तुम मगन थी बारिश की बूंदों में ... मुझे आज भी याद है वो तुम्हारा शर्माना और वो कातिलाना मुंस्कुराना ... वो आहिस्ता से मेरी हथेली को पकड़ कर मुझे भिगोना ... सच मे कत्ल ही किया था उसवक्त मेरे सारे गमों का , कोई याद न था तुम्हारे सिवा .... मानो मेरा वक्त ठहर सा गया था तुम्हारी निगाहों में , डूब गया था तुम्हारी मादक चंचलता में ... मुझे आज भी याद है मेरा वो भीगता शाम और बस तुम .... .... सुना है फिर मुश्लाधार बारिश हो रहीं है तुम्हारे शहर में ... फिर भींगना मत , तन मन को छूता बारिश में .... @निशीथ ©Nisheeth pandey भीगता शाम ********** सुना है फिर मुश्लाधार बारिश हो रहीं है तुम्हारे शहर में ... फिर भींगना मत , तन मन को छूता बारिश में .... मुझे आज भी