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हिमपुत्री किरन पुरोहित
घूंघट में चाँद जलभर गगरी लाती प्रातः ठुमक ठुमक चल बांद मुख को ओढनी से ढकती है वो देखो घूंघट में चांद बांद - गढ़वाली मूल का शब्द इसका अर्थ. सुंदर स्त्री से होता है शृंगार रस की चाशनी भीगा चांद का यह दृश्य आपको पसंद आएगा . #nojoto #nojot
Satya Prakash Upadhyay
चाँद का टुकड़ा शायरो का ख़याल,प्रेयसी का भाल । पुछने को सवाल,बताने में कमाल ।। है चाँद का टुकड़ा शिव का ताज, ईद का आदाब । कृष्ण को श्राप, ज़मज़म का आब ।। है चाँद का टुकड़ा प्रेमियों का साथी,शीतलता का सारथी । मन का अधिपति,शृंगार रस का छत्रपति।। है ये चाँद का टुकड़ा वैज्ञानिकों के लिए विषय,ज्योतिषों के लिए समय। जिसके अंदर समेटे रूपों को देख होता विस्मय ।। बस,वही है ये चाँद का टुकड़ा #शायरो का #ख़याल,#प्रेयसी का #भाल । #पुछने को #सवाल,#बताने में #कमाल ।। है चाँद का टुकड़ा #शिव का #ताज, #ईद का #आदाब । #कृष्ण को #श्राप, #
pooja d
या कातरवेळी सख्या ये तू जवळी घेऊनि कवेत तू मजला चढू दे इश्काची लाली ।। मित्रानों💕 सुप्रभात आजचा प्रकार आहे शृंगार रस. आपण रोज एक रस तुम्हाला लिहिण्यासाठी देणार आहोत. शृंगार रसाचे ढोबळ मानाने 3 प्रकार आहेत. उत्ता
Atul Waghade
आणाभाना घेवू नको तू येशील याची खात्री देवू नको वाट मी पहात राहीन सखे तू येशील या कातरवेळी म्हणून सारखे सखे, हिरमुसून जाईन सखे तू त्या कातरवेळी येशील नाही तेव्हा सखे. मित्रानों💕 सुप्रभात आजचा प्रकार आहे शृंगार रस. आपण रोज एक रस तुम्हाला लिहिण्यासाठी देणार आहोत. शृंगार रसाचे ढोबळ मानाने 3 प्रकार आहेत. उत्ता
Atul waghade
आणाभाना घेवू नको तू येशील याची खात्री देवू नको वाट मी पहात राहीन सखे तू येशील या कातरवेळी म्हणून सारखे सखे, हिरमुसून जाईन सखे तू त्या कातरवेळी येशील नाही तेव्हा सखे. मित्रानों💕 सुप्रभात आजचा प्रकार आहे शृंगार रस. आपण रोज एक रस तुम्हाला लिहिण्यासाठी देणार आहोत. शृंगार रसाचे ढोबळ मानाने 3 प्रकार आहेत. उत्ता
yogesh atmaram ambawale
ह्या कातरवेळी सखे ये तू जवळी, ठेवुनी दुरावा असा अंत माझा पाहू नको. तुझे समीप राहणे खूपच सुखावते, जाता दूर तू ,जगणे असाहाय्य होते. मित्रानों💕 सुप्रभात आजचा प्रकार आहे शृंगार रस. आपण रोज एक रस तुम्हाला लिहिण्यासाठी देणार आहोत. शृंगार रसाचे ढोबळ मानाने 3 प्रकार आहेत. उत्ता
Insprational Qoute
नित नित नयनो में स्वप्न जगाती कब हो मिलन का सवेरा, विरले ही मुझे बस रंग देता उफ़्फ़ ये रंगों सा इश्क़ तेरा, मेरे आहत व क्रंदन हृदयाघात को स्पर्श तेरा मनुहार करे, सिर्फ़ तेरे श्वाशो के स्पंदन से छट जाता फिर काला अँधेरा, मिलन की सरिता सर सर निर्झरिणी सी अनवरत बहती है, जैसे क्षितिज में अंतराल का मानो कोई लगा हो एक फेरा, चिंतित मन भार से पीड़ित अनायास ही सोच में पड़ जाता है, मेरे तिमिर को कर प्रकाशमान मिटा दो जीवन का तुम घनेरा, विस्तृत असीमित नभ में अनगिनत चहुँओर फैले जो तारे है, ऐसे ही अमिट अनन्त हो सातों जन्म का ये बंधन तेरा मेरा।। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
Vedantika
दिल की धड़कनों में फिर से हलचल हुई है दहलीज पर उनके कदमों की आहट हुई है होने लगे होश गुम जबसे वो सामने है आए वक़्त ठहरा हुआ और ये नज़रे झुकी हुई है लगने लगी है हाथों में मेहंदी उनके नाम की हर घड़ी हो गई मुश्किल अब तो इंतज़ार की सब सखियाँ करे ठिठोली प्रियतम को चिढ़ावे सौ कहानियाँ सुनावै सब उनको मेरे प्यार की मिलन की घड़ियां मुद्दत बाद आई है जीवन में जबसे बजी विवाह की शहनाई इस आँगन में नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे ही प्यार के रंगों की ओढ़ के चुनरिया पिया मैं तो तेरे ही रंगों में रंग गई, कल तक थी तुझसे बिल्कुल अनजान, प्यार का बंधन करके तेरी हो गई। तेरे नाम की लगाई है माथे पर बिंदिया तेरे ही नाम की हाथों में मेहंदी रचाई है, लाल जोड़ा पहन के सजी हूँ आज मैं झिलमिल सितारों वाली चुनरी मंगाई है तेरी दुल्हन बनी हूँ माँग में भरकर तेरे नाम का सिंदूर सोलह श्रृँगार पूरे किये हैं बड़ी मन्नतों व दुआओं के बाद जिंदगी में यह वस्ल की चाहत की रात आई है। तेरा साथ पाकर तो जिंदगी का हर मुश्किल सफर भी हँसते हँसते कट जाएगा, तेरे प्यार की खुशियों की छाँव तले जिंदगी के सारे गम धीरे धीरे खिसक जाएंगे। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
सोमेश त्रिवेदी
तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मेरे हृदय पथ गामिनी... अधर पाटल नैन कज्जल, मुख है चमकती चांदनी... केशपाश जस मेघाकाश, उस बीच दमके दामिनी... पाँव नूपुर छमक छम छम, चलत भूमि पग धरे... कंगन करे जो खनक खन खन, मेरा हृदय कंपन करे... मुदित मन, सुरभित पवन हो, स्पर्श तुझसे सुहावनी... प्रेम की परिभाषा तुझसे, है प्रेम का पर्याय तू... प्रेम का अध्ययन करूँ मैं, है प्रेम का अध्याय तू... हाँथ में हो हाँथ तेरा, साथ में हो साथ तेरा... तू मेरे हिय में समायी, तू ही बनी मन भाविनी... #NojotoQuote शृंगार रस में स्वरचित कविता... त्रूटियों से अवश्य अवगत करायें... तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मे