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Raja Saheb
तुम विजेता हो प्रेयसी, तुम लड़ती हो, न कवच न कुंडल न ही खड्ग है, तुम लड़ती हो मगर फिर भी, विजेता तुम धन्य हो.... मैं पुरुष... अहं पुरुषार
prakash Jha
#AzaadKalakaar "लाखों बलिदानों के बाद मिली है हमें आज़ादी भारत माँ की औलादों की कुर्बानी से मिली है हमें आज़ादी जो कहते है बिना खड्ग बिना ढाल मिली है हमें आज़ादी उसे कह दो हंसते हुए फांसी पर झूलने के बाद मिली है हमें आज़ादी" 15 August HAPPY 75th INDEPENDENCE DAY ©prakash Jha "लाखों बलिदानों के बाद मिली है हमें आज़ादी भारत माँ की औलादों की कुर्बानी से मिली है हमें आज़ादी जो कहते है बिना खड्ग बिना ढाल मिली है हमें आज़
संगीत कुमार
संगीत कुमार
माँ मुझे वरदान दो की भगवती वंदना जयति जय जय मॉं भगवती जयति खड्ग धारणी जयति जय जय सिंहवाहिनी जयति शत्रु विनाशनी जयति जय जय महिषासुर मर्दनी जयति जगत कल्यायणी जयति जय जय आदिशक्ति स्वरूपणी जयति मंगलकारनी जयति जय जय दुख दारिद्र हरनी जयति हर्ष मंगल प्रदायनी जयति जय जय शक्ति दात्री मॉं जयति जगत पालनी जयति जय जय विद्यादायनी मॉं जयति सर्वगुण प्रदायनी जयति जय जय क्षमाकरनी मॉं जयति ज्ञान प्रदायनी जयति जय जय काल हरनी मॉं जयती कालरात्रि जयति जय जय आशीष दात्री मॉं जयति सिद्धिदात्री जयति जय जय तमहरनी मॉं जयती प्रकाशदायनी जयति जय जय मॉं भवानी जयति दिव्यप्रकाशनी जयति जय जय रोग हरनी मॉं जयति सुख प्रदायनी जयति जय जय मॉं भगवती जयति सर्व सौभाग्यदायनी जनमानस की विनती सुनले सबके दुख दूर करदे मॉं जयति जय जय मॉं भगवती जयति खड्ग धारणी जयति जय जय सिंहवाहिनी जयति शत्रु विनाशनी ©संगीत कुमार भगवती वंदना जयति जय जय मॉं भगवती जयति खड्ग धारणी जयति जय जय सिंहवाहिनी जयति शत्रु विनाशनी जयति जय जय महिषासुर मर्दनी जयति जगत कल्यायणी जय
Poetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। ✍️अवधेश कनौजिया© #नवरात्रि जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।।
Poetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। #नवरात्रि #माँ #navratri #maa #maan #poetry #poem जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही स
Shrikant Agrahari
जोड़ दे शक्ति को बाण से, तीर को कमान से ! काल का ध्यान कर !! रुद्र का आवाहन कर ! भद्र काल प्रलयंकर !, अघोर शक्ति नाद कर, शत्रु पर प्रहार कर !..... मुण्ड को खण्ड कर !. रक्त को तार तार !... कर तिलक बार बार ! विघ्न को बाँधकर !,.. भस्म से श्रृंगार कर !.. ललाट को लाल कर !.., खड्ग,को धार कर !,.. अधर्म का विनाश कर,! पाप का नाश कर, रक्त से स्नान कर !.... धरा को विशुध्द कर,!! ©श्री....✍🏻 धन्यवाद Seema Shakuni ma'am poke करने के लिए जोड़ दे शक्ति को बाण से, तीर को कमान से ! काल का ध्यान कर !! रुद्र का आवाहन कर ! भद्र काल प्रलय
Shweta Sinha
Aparna Shambhawi
नारी (A poem) Naari #poem #nojotohindi उत्पत्ति हूँ सर्वस्व की क्यों प्रेम वस्तु तोलते। ज्वाला हूँ विनाश की क्यों पुष्प भाव मोलते। भूत त्याग अग्नि से