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Stories related to कहु मन केहन करैया

gauranshi chauhan

day - 431 मै कुछ कहु या ना कहु मेरे बाबा तो सब जानते है , बस यही काफी है ना बाबा Sandip rohilla Sethi Ji Anshu writer श्री Sabanoor s

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day - 431
 मै कुछ कहु या ना कहु 
मेरे बाबा तो सब जानते है ,
बस यही काफी है ना बाबा..
✨✨🧿❣️🙆‍♀️✨✨

©gauranshi chauhan day - 431
 मै कुछ कहु या ना कहु 
मेरे बाबा तो सब जानते है ,
बस यही काफी है ना बाबा Sandip rohilla  Sethi Ji  Anshu writer  श्री  Sabanoor  s

Nilam Agarwalla

#“मन”

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Unsplash 
मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है।
क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है।
समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर 
आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।।
स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर

©Nilam Agarwalla #“मन”

Sunil Kumar Maurya Bekhud

#मन

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मन
मन सबके जीवन का
बहुत बडा है अंग
जिधर चाहता है ले जाता
करता रहता जंग

कभी शांत रहता है बिल्कुल
कभी करे उत्पात
अपने दिल में रोज बुलाये
सपनों की बारात

कोई बांध कर रखता इसको
कोई रखे स्वतंत्र
परोपकार में कभी लगे तो
कभी रचे षडयंत्र

हार मानता मानव बेखुद
जब करता मनमानी
जीवन भी करता रहता है
सबका मन नादानी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #मन

puja udeshi

Avinash Jha

#मन

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White मन है,
चाहता है आसमानों को छूना,
सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना।
जंगलों की खामोशी में छिपा,
एक गीत सुनना,
या नदी की लहरों संग बह जाना।

मन है,
जो सपनों की कश्ती में बैठ,
दूर कहीं चला जाता है।
कभी बूँदों की चुप्पी समझता है,
कभी आँधियों से सवाल करता है।

मन है,
जो छोटे-छोटे सुखों में
खुशियों का संसार बुनता है।
कभी अकेलेपन में साथी बनता,
तो कभी भीड़ में खुद को खोता है।

मन है,
जो बंद दरवाज़ों को खोलता है,
आस की किरणें समेटता है।
हर धड़कन में एक कहानी रचता,
हर ख्वाब में जीवन रचता।

मन,
न थमता है, न रुकता है।
यह तो बस उड़ान भरता है,
आसमानों से परे
अपनी ही दुनिया बसाता है।

©Avinash Jha #मन

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#मन

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White मेरे मन की किताब में
तुम ही तुम मगर 
"तुम" तो नही..!
पन्ने-पन्ने जिक्र है
तुम्हारे रूप रंग
स्वभाव का..
भाव का..
जिसके हो 
सार तुम
भार तुम 
 मगर
"तुम"
 तो 
नही..!

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #मन

Dr. Bhagwan Sahay Meena

मन

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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#मन

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कद न अंगुष्ट सा 
  मन बैरी दुष्ट सा
       नैनों से नीर ले 
             पैरों को पीर दे 
                चर्म चर्म चीर के.. 
                  आप में संतुष्ट सा 
                      अंग अंग रुष्ट सा... 
                          मन बैरी दुष्ट सा...
         करता मनमानी है 
          आफत में प्राणी है.. 
              इसकी ना मानी तो 
                   काया को हानी है 
                      रोग लगे कुष्ट सा.. 
                          मन बैरी दुष्ट सा..
अवलम्बित देह का 
  स्वारथ के नेह का 
         प्रेरक प्रमेह का
          सत्य में संदेह सा 
             छिन छिन में पुष्ट सा.. 
                 मन बैरी दुष्ट सा..
संगी एकांत का 
     प्यासा देहांत का  
        मृत्यु तक छोड़े ना.. 
           दामन भी तोड़े ना.. 
               उददंड अतुष्ट सा...
                  मन बैरी दुष्ट सा..

©अज्ञात #मन

वैभव जैन

मन। मेरा

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🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन #मन। मेरा

वैभव जैन

#मेरा मन

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🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन #मेरा मन
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