Nojoto: Largest Storytelling Platform

New त्रिकोणीय दास व्यापार Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about त्रिकोणीय दास व्यापार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, त्रिकोणीय दास व्यापार.

Stories related to त्रिकोणीय दास व्यापार

SumitGaurav2005

पैसे नहीं देने के कैसे इनके बहाने.. #Business #creditors #व्यापार #sumitgaurav #sumitmandhana #sumitkikalamse #sumitgaurav2005 Life b

read more
जो अच्छे और और सच्चे कस्टमर है उन्हें
दिल से सलाम है। लेकिन जो जीना बेहाल
कर देते हैं उन्हीं के लिए यह पैग़ाम है...
मुँह में राम बगल में छुरी। ऐसों से बना कर रखें दूरी।
आपको मक्खन लगाकर, करते है प्रशंसा भूरी भूरी।
पीड़ा अपनी मत बताना, लाभ उठाते देख मज़बूरी।
साथ देते सिर्फ तभी तक, जब ख्वाहिशें होती अधूरी।
खुद को देव तुल्य बता, हरकतें करते हैं आसुरी।
सितार का वादा करके, हाथ में थमा देते बाँसुरी ।
जब भी अपना पैसा मांगे,  आनाकानी करते ये पुरी।
धंधे में बहुत मंदी है आई, राग अलापते वही बेसुरी।
बाहर से यह बनते भोले, अंदर से होते बड़े चातुरी।
थोड़ा सा हम तेज जो बोले, शरीर में ले आते झुरझुरी।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005 पैसे  नहीं  देने  के  कैसे  इनके बहाने..
#business #creditors #व्यापार #sumitgaurav #sumitmandhana #sumitkikalamse #sumitgaurav2005 #Life #b

‌Abdhesh prajapati

कबीर दास जी

read more
White चिंता से चतुराई घटे
दुख से घटे शरीर
ज्यादा बोलने से बुद्धि घाटे
कह गए संत कबीर

©‌Abdhesh prajapati कबीर दास जी

Vinod Mishra

"परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने वाला दास बनता है और जिसके सामने परिस्थितियां घुटने टेकती हैं स्वामी बनता है." #विनोद #मिश्र मोटिवे

read more

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित शायरी शीर्षक एहसास विधा त्रिकोणीय कविता भाव वास्तविक पता नहीं कब तक सभी रिश्तों पर बोझ रहेगी मन आहत होता है तो सोचती है, ईश्वर

read more

नवनीत ठाकुर

#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

read more
White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच, तो फिर डर किस बात का।

गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की,
संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की।
प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई,
इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई।

आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी,
कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी।
तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं,
गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं।

जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की,
धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की।
राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो,
धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो।

आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं,
हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं।
हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है,
हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है।

©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

k.Harmukh

#sad_quotes रीतिकालीन कवि बिहारी दास की पंक्ति.... #बिहारीदास #रीतिकाल #हिंदी #हिंदी_कविता #दोहासतसई #बिहारीसतसई #niboo #खुशबू गोल्डन कोट्स

read more

Sonam kuril

#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार

read more
White  ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार,
मनोरंजन के नाम पर खुल गया ,
फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार,
किस्म-किस्म के किरदार है,
कोई सुनाता दुःखड़े अपने ,
कोई हँसता झूठी मुस्कान,
कोई बना ज्ञान का सागर,
कोई करता भोग-विलास,
फैशन के नाम पर कम होते कपड़े,
क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार,
फूहड़ गाने, अश्लील डांस,
क्या लगता नहीं मुजरा बाजार,
दुःख और पीड़ा इस बात की 
भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार,
बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम,
ये मेरे अपने विचार है,
जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे ,
क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां ,
फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी,
सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का,
क्या बन पाएंगे विश्व गुरु  या वो भी.....|

©Sonam kuril #Sad_Status #reelskiduniya 
ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile