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Vinod Mishra
अनुज
देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्हन बनी सिया रानी.. #सियाराम_विवाह🙏🚩 ©अनुज देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्ह
देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्ह
read moreMahesh Patel
White सहेली...... तन को न देख मेरे मन को देख.. फूलों को न देख चमन को देख.. अपनी बदकिस्मती पर रोने वाले.. खुद को न देख मेरे भीगे नयन को देख.. लाला...... ©Mahesh Patel सहेली... नयन... लाला...
सहेली... नयन... लाला...
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला? एक शोर उठता है, रह-रह कर जो, आख़िर खुद में ही क्यों दबा? ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ, सवालों का कभी जवाब नहीं मिला। गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ, मन में लिए कितने सवाल चला। कितनों से बात की मैंने, कितनों को बेहतर सलाह दी। मिला दे मुझे खुद से या रब से, एक मकसद को डर में फिरा। सुना, गुनाह रब माफ़ करते, मंदिर मस्ज़िद को निकला। माफ़ कर सकूँ पहले खुद को, खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला। ©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
read moregudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
नजर न लगे हमारे क्रिशु को बार बार तरु नजर है उतारती जाये Lots of love krishu 🧿☺️🫠♥️🥰🤗 Real pic . . स्वरचित रचना नयन विधा
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