बचपना रोता है बोझ शब्द सुनकर, परिपक्वता सच्चाई जानती है।
बेटियां नहीं हमारे पिता पति भाई बोझ नाकाबिल हैं जिनकी वजह से हम घर के कामों में ही #Shayari
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Manya Parmar
वे जो बच्चियां कामयाब हुई है नाम रोशन किया है अपना और अपने अपनो का उन्हें उतनी मात्रा में शिक्षा, साथ, समय,पैसा और अपनो का सहारा मिला जिसके #Motivational