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sushil
New Year 2025 तेरी जिंदगी मे लम्हा कोई गम का न आए कभी मांगे जो रब से दुआ कुबूल हो जाए पल इसी न दर्द मिले तुझको कोई मुश्किल न आए जीवन मे कभी साथ तेरे रहूं बनकर दोस्त तेरा थामू हाथ तेरा पतझड़ का मौसम आए न कभी । ©sushil. #Newyear2025 {** श्री....,, **} हम हमेशा साथ है आपके साथ दोस्त जी ।
#Newyear2025 {** श्री....,, **} हम हमेशा साथ है आपके साथ दोस्त जी ।
read moreAditya
Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 ©Aditya दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 #virel #Shaayari
Praveen Jain "पल्लव"
Unsplash पल्लव की डायरी नजाकत खोट दिलो मे डाल रही है सोहरत की गारंटी लेकर मोहब्बते अब दौलतों में नहा रही है थम गया इश्क का पागलपन नजरिया दिलो का बदल रहा है महंगा हो गया दिल लगाना गरीबो पर सितम प्यार ढहा रहा है दिल भर जाने पर हर्जाना करोड़ो पर जा रहा है मालामाल हो चला इश्क बाजारबाद के इस दौर में चोट सच्चा प्यार खा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lovelife चोट सच्चा प्यार खा रहा है
#lovelife चोट सच्चा प्यार खा रहा है
read moreRAMLALIT NIRALA
जिन्दगी के तलास मे हम जाने कहा कहा भटकते है और हमे जिवन में दुःखो का सामना करना पड़ा है फिर भी ईसांन जिन्दगी से हमेशा परसान होकर मायुस रहता है ईसांन भुल जाता है कि सुख और दुःख दोनों के बीच एक आनोखी रिश्ता है फर्क इतना है कि सुख मे ईसांन सबको भुल जाता है और दुःख मे ईसांन सबको याद आता है ईसांन को जीने के लिए सब्र करनी चाहिए लालच नही सोच अच्छे रखोगे तो जिन्दगी सकुन से जीयोगे ©RAMLALIT NIRALA अनमोल जिवन जिना है तो सोच हमेशा सही रखना
अनमोल जिवन जिना है तो सोच हमेशा सही रखना
read moreRadhe Radhe
Unsplash मेरी बात बहुत कड़वी है लोग अक्सर नाराज हो जाते हैं कही मैंने सुना है सच हमेशा कड़वा होता है। 🤭🤭🤭 ©Radhe Radhe सच हमेशा कड़वा होता है
सच हमेशा कड़वा होता है
read morevarsha Mahananda
White उम्मीदें अंधेरों में एक लौ की तरह जलती हैं, हर कदम हर मुश्किल में साथ साथ चलती हैं। ©varsha Mahananda #उम्मीदें
chahat
White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat मुस्करा देती हूं
मुस्करा देती हूं
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