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Vishal Gupta
दुनिया की सबसे बहादुर महिला वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ।। ©Vishal Gupta बुंदेलो हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लडी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।
Sant Prasad Maurya
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की जन्म जयंती पर उन्हें मैं सन्त प्रसाद मौर्य कोटि कोटि नमन करता हूँ .. चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ झाँसी
Ganesh Singh Jadaun
उस मर्दानी की कीर्ति हजार गद्दारों पर भारी थी रानी की सेना की हर नारी रानी सी क्रांतिकारी थी जनता के मन में जाग उठी क्रांति की दबी चिंगारी थी रानी की सखी #झलकारी भी रानी सी क्रांतिकारी थी बुंदेले हर बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी हर रानी झांसी की रानी हर नारी झलकारी थी 🙏🇮🇳🚩 ©Ganesh Singh Jadaun उस मर्दानी की कीर्ति हजार गद्दारों पर भारी थी रानी की सेना की हर नारी रानी सी क्रांतिकारी थी जनता के मन में जाग उठी क्रांति की दबी चिंगारी थ
Jangid Damodar
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी
Asha Giri
काल गुज़र गया,पर मिसाल रह गई, रानी लक्ष्मी बाई हर युग के,औरतों के लिए कमाल बन गई।। यूँ बैठना नहीं है इंतज़ार में,के कोई आएगा और हमारी ढाल बनेगा, खुद के तलवार उठाए बिना,कोई जंग जीती नहीं जाती? जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी, यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी, होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी, हो मदमाती विजय
Vinay Kumar Jha
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई... ©Vinay Kumar Jha सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करन
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary#Vs❤❤ दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,, चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी..! बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी..!! प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महान वीरांगना, भारतीय तेजस्विता एवं स्वाभिमान की प्रतीक, अद्भुत पराक्रमी, कुशल संगठनकर्ता, नारी शक्ति की अप्रतिम उदाहरण झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 आपका त्यागमय जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए अनुकरणीय है...। ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary#Vs❤❤ दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,, चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी..! बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी
Divyanshu Pathak
भोर भई मन तड़पत सरपट "कनुआ" दौड़ बुलाइ रह्यो है ! वो मधुकर को प्रेम पियासो पुष्प सुबह बिलखाय रह्यो है ! तेरे दर्शन दुर्लभ भारी क्यों मुझसे शरमाय रह्यो है ! आ मिल अंक से अंक मिलाले क्यों ऐसे भरमाय रह्यो है ! श्याम सलोने मत कर देरी क्यों बैरी मोय सताय रह्यो है ! आ अब भी तू साथ हमारे क्यों मेरी पीर बढाइ रह्यो है ! तत्व सत्व को रस बरसाने "पाठक" तोय बुलाय रह्यो है ! :☕☕🌱🍀🍫🍫☕☕🍨👨 जुग जुग नर नारायण जैसे संग साथ तू रहतो आयो मैं जीवन तू 'जीवनज्योति' अब क्यों मुह दुबकाय रह्यो है !😊😊😊😊😊😊 : मुझे पिछले माह विवाह
Vedantika
भूल मातृभूमि का सम्मान निजी स्वार्थ मे लिप्त न हो। हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। हमने जो प्राण न्योछावर किये हैं मातृभूमि की आन मे, भुला दिया है कुछ ही दिनों में सत्ता के घमासान मे। वीर जवानों की शहादत की तपिश ठंडी न होने दो। हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो, युद्ध बिना वीरगति मिली जिन्हें हम वो वीर जवान है, दुश्मनों के डर का यह जीता जागता प्रमाण है। दुश्मनों के इस डर को कभी न खत्म न होने दो, हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। दुश्मन को उसकी धड़कन के अंदर ही दफन किया, हुए बेजान उनके अस्त्र हमारी एक हुंकार ने ही ऐसा काम किया। खोल कपाट उनके कदम अपनी धरती पर न पड़ने दो, हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। न्याय की आस जीवित है अब भी हमारे परिवारो में, एक तिनका शेष न रहे दुश्मनों के गलियारों में। क्षमता उनके प्रतिघात की पूर्ण रूप से समाप्त कर दो, हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। भूल मातृभूमि का सम्मान निजी स्वार्थ मे लिप्त न हो। हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। भूल मातृभूमि का सम्मान निजी स्वार्थ मे लिप्त न हो। हमारे जीवन का बलिदान व्यर्थ न जाने दो। हमने जो प्राण न्योछावर किये हैं मातृभूमि की आन मे