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Himanshu Prajapati

#hindi_poem_appreciation नजाकत देखीं थीं मैंने उनके बातों के जाल में, सच्चाई झलक रही थी जैसे उनके गाल में, मैं क्या कोई और भी पिघल जाता ऐसे #विचार

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White नजाकत देखीं थीं मैंने उनके बातों के जाल में,
सच्चाई झलक रही थी जैसे उनके गाल में,
मैं क्या कोई और भी पिघल जाता ऐसे हाल में,
मोहब्बत का बैंक था मेरा वह निकली कर्जदार 
करके मोहब्बत फस गया मैं 
अब गिनती होती है कंगाल में..!

©Himanshu Prajapati #hindi_poem_appreciation नजाकत देखीं थीं मैंने उनके बातों के जाल में,
सच्चाई झलक रही थी जैसे उनके गाल में,
मैं क्या कोई और भी पिघल जाता ऐसे

ANIL KUMAR

हथेली पे गाल #Love

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त #कविता

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मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ ।
उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४

तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल ।
मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५

रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल ।
आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६

भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार ।
मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७
२८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब त

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल । #शायरी

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लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग ।
आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।।
रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।
अब बचकर चलना सखी , छुपे नन्द के लाल ।।
हो जाओगी अप्सरा , अगर रंग दूँ डाल ।
गोरे-काले गाल ये , हो जायेंगे लाल ।।
भर पिचकारी मार दूँ ,  जब मैं प्रीत फुहार ।
आकर दोगी बोल तुम , हमको तुमसे प्यार ।।
आज प्रीत के रंग का , चढ़ा सभी को रंग ।
जीजा साली झूमते , देखो पीकर भंग ।।
१५/०३/२०२४   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 

लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग ।

आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।।


रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।

Parastish

चश्म-ए-शोख़ - lovely eyes अब्सार - आँखें आरिज़ - रुख़्सार/गाल फ़नकारी - कलाकारी/ artistry मुसव्विर - चित्रकार/painter धनक - इंद्रधनुष/rai

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