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Sonia Anand
Sonia Anand
Manpreet Gurjar
किसी भूखे से मत पूछो मोहब्बत क्या चीज होती है उसे तो चाँद मैं भी रोटी नज़र आती है | किसी प्यासे से मत पूछो प्यास क्या होती है उसे तो समंदर का खारा पानी भी मीठा नज़र आता है किसी दिलजले से मत पूछो वफ़ा क्या चीज होती है उसे तो हर एक शख्स बेवफा नज़र आता है || किसी सच्चे आशिक़ से मत पूछो दिल्लगी क्या होती है उसने तो दिल लगाने की सजा पाई होती है.| ©Manpreet Gurjar #lakeview Dheeraj Bakshi Rupali @Hardik Mahajan Ganesha•~• Sircastic Saurabh Anshu writer
Manpreet Gurjar
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था । जिसके नीचे खेले वो, पीपल की छाँव ही बचपन था। कभी झील सा मौन कभी, लहरों सा तूफानी बचपन, कभी - कभी था शिष्ट कभी, करता था मनमानी बचपन। गिल्ली-डंडा, दौड़-पकड़, खोखो के खेल निराले थे, साथ मेरे जो खेले मेरे, यार बड़े मतवाले थे। जिसे छुपाते थे माता से, ऐसा घाव ही बचपन था । नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। पापा के उन कंधों की तो, बात ही थी कुछ खास। बैठ कभी जिन पर यारों, हम छूते थे आकाश । मां की रोटी के आगे सब, फीके थे पकवान । सचमुच मेरा बचपन था, इस यौवन से धनवान। जाति, धर्म के भेद बिना का, प्रेम भाव ही बचपन था। नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। बीत गया ये बचपन भी, यौवन भी हुआ अचेत, हाथों से फिसली जाती है, जैसे कोई रेत। बचपन का वो दौर जिगर, फिर ला सकता है कौन, बचपन की यादों में खोकर, हो जाता हूं मौन। गाय, खेत, खलिहानों वाला, अपना गाँव ही बचपन था, नन्हे - मुन्ने हाथों में कागज़ की नाव ही बचपन था । ©Manpreet Gurjar #bachpan Anshu writer Munni Bhawna Sagar Batra Dheeraj Bakshi Nidhi rajput