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Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
White कभी कभी मन कितना भरा होता है शब्दों से, जैसे कोई सागर उमड़ता, बेचैन सा, व्याकुल सा बहुत कुछ कहने के लिए, मगर वो किनारा वो सही इंसान नही मिलता 😊 जिससे सब कुछ कह पाएं,जिससे कुछ न छिपे, जो आंखे भी पढ़े, और जो अनकहे शब्दों को भी सुन ले, जिससे कुछ कहने के बाद कोई पछतावा न हो, और मन भी हो जाए शांत,किसी शांत बहती नदी की तरह...! ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #SAD कभी कभी मन कितना भरा होता है शब्दों से, जैसे कोई सागर उमड़ता, बेचैन सा, व्याकुल सा बहुत कुछ कहने के लिए, मगर वो किनारा वो सही इंसान नही
Sunil Kumar Maurya Bekhud
पर्वतों के बीच में नदी है मनोहर कल कल करती बह रही निरंतर निर्मल जल शीतल अथाह चंचल बदल रहा निज स्वरूप पल पल विह्वल हो निहारता अंबर छवि झांकता मेघों से इसको देखो रवि लज्जा भरी हुई प्रकृति आनंदित देख रहा है कवि होकर प्रसन्नचित ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नदी
gaTTubaba
इसमें गलत क्या हैं ? की पानी नदी का समंदर से जा मिला जिसका था उसी से जा मिला ये जो रुकावटें लगती हैं आखिर वो क्या हैं उसकी ज़िद के सामने वो ज़िद पे आया था तो ज़िद से जा मिला ©gaTTubaba #oddone इसमें गलत क्या हैं ? की पानी नदी का समंदर से जा मिला जिसका था उसी से जा मिला
@official_ankit_upp
मेने समुंद्र से सीखा है शांत रहने का हुनर। एक नदी के सुख जाने से समुंद्र खाली नहीं होते। 🤫❣️🎯 ©@official_ankit_upp जिंदगी समुंद्र सी बनाओ नदी सी नही #smundara #bachpan
Shivkumar
Meri Mati Mera Desh मेरी माटी मेरा देश हमारा देश तो जैसे गंगा सागर सा है इसकी माटी तो अति पावन है देवों की भी यह मानस माता है ये धरती मां बंधुत्व भाव ही दिखलाती है गंगा , जमुना और सरस्वती जी वो संगम तट पर बहती नित धारा है सांझ सकरे सिंधु चरण पखारे कश्मीर मुकुट सा लगता प्यारा है मेरी माटी मेरा देश अलग सभी से बोली भाषा और भिन्न यहां गण वेश ये प्रेम से भरा हुआ अनेकता मे एकता का है एकता मे अनेकता का ये संसार यहां है पानी से पत्थर तक सब पूजे जाते हैं कण कण मे भी मेरे प्रभु समझे जाते हैं यहीं से खुलता सतयुग का प्रवेश द्वार है ऋषि मुनियों का अब भी बसता संसार है मुझे मेरी माटी मेरे देश पर गर्व है मुझे इसके विशेष होने पर गर्व है अखिल विश्व को भी समझा सकता हूं क्यों है प्यारी मेरी माटी मेरा देश ©Shivkumar #MeriMatiMeraDesh #Nojoto #nojotohindi मेरी माटी मेरा देश