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Komal Ttipathi
Thoughts जीवन समर में धैर्य का होना अति आवश्यक हैं ©Komal Ttipathi संतोष सुख का कारक है।####
Vibha Katare
ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षा भी उपेक्षा का कारक होती है.. #yqdidi #oneliner #अपेक्षा #उपेक्षा #कारक
Saurabh Pandey
ख़ुशी और ग़म जब आप कुछ सोचते हो और पुरा हो जाता है तब आप बहुत ही खुश होते हो और जब सोची हुई बात पुरी ना हो तो बहुत दुख होता है। यहाँ ग़लती आपकी है, क्योंकि आप ने कुछ आशा किया जो पुर्ण ना होने के कारण आपको दुःख दिया। आशा निराशा का कारक है।
Ajay Gurjar
एक कुलाडी से जंगल मे पेड काटे जा रहे थे सभी पेड काट दिए तभी एक पेड कुलाडी से बोला कुलाडी बहन मेरी तुझ से क्या दुश्मनी है मेने तुम्हारा क्या बुरा किया है तब कुलाडी ने उतर देते हुए कहा पेड भाई इस मेरा नही तुम्हारे अपनो के सहयोग है अर्थात यदि तुम्हारे अपने मुझ से ना जुडता तो मे तुम्हारा कुछ नही करती क्योंकि कुलाडी को लकडी के डंडे का सहारा रहता हे अपनों काम ही कष्ट कारक सहयोग #Forest
yogesh atmaram ambawale
ढवळाढवळ चालते सर्वत्र,फक्त आणि फक्त कारकुनांची, कारकूनच पाहतात कामे सारी,भेट होत नाही साहेबांची. मुख्य काम करणारे हे कारकूनच असतात, साहेब खूप व्यस्त आहेत,ते त्यांचे वाक्य ठरलेले असतात. टेंशन नका घेऊ तुम्ही,दोन दिवसात तुमचे काम करतो, थोडं चहा पाण्याचे बघा मी साहेबांच्या कानावर टाकतो. खरेच आहे हे,ढवळाढवळ करणारे भेटल्यावरच कामे होत आहे, नाहीतर नुसत्याच फेऱ्या होतात,साहेबांना कुठे वेळ आहे. सरकारी कार्यालय असो,किंवा असो खाजगी कार्यालय, साहेबांपेक्षा,ढवळाढवळ करणाऱ्या कारकुनांचाच भाव लय. चारोळी ऐवजी कविता लिहा व संपन्न झाल्याचे लिहायला विसरू नका 🙏🙏 #बाराखडीव्यंजनकोट #आजचे_अक्षर_ढ #मराठीकोट्स #collab #yqkavyanand #YourQuoteAn
Ravi Shankar Kumar Akela
शनि दास्य वृत्ति का कारक है अत: छोटे काम करने वाले, परिश्रम करने वाले लेबर क्लास के लोग शनि के अंतर्गत आते है। शनि वृद्ध है, अनुभव समृद्ध है, परिपक्व है अत: वृद्धत्व, दु:ख, बीमारी, शोक, दारिद्रय, मृत्यु आदि शनि के कारकत्व में आती है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #umeedein शनि दास्य वृत्ति का कारक है अत: छोटे काम करने वाले, परिश्रम करने वाले लेबर क्लास के लोग शनि के अंतर्गत आते है। शनि वृद्ध है, अनुभव
Shailendra Anand
रचना दिनांक ५,,,११,,,२०२३ वार रविवार समय ््सुबह आठ बजे ्््् शीर्षक ्् शीर्षक छाया चित्र में दिखाया गया भावचित्र प्रेम शब्द से बिन्दु से सजाया गया छाया चित्र वीथिका शीर्षक है।। ्््््् बिन्दु में एक अनोखा अंतर्मन दंव्दं चलता है,, जो अपनो से उपर अलग होकर भी एक होता है।। लेकिन अंहकार बोलता है हम सुनते है,, जो हमारी विवशता दर्शाता है।। जो अपनो की वजह से वो हम खामोशी से देखते है ,, लेकिन सब कुछ भाग्य की किरणों में प्रकाश बिन्दु,, की कल्पना में एक जीवंत प्रयास कर रहे आशा की किरणें उत्पन्न होती है जिसे अपने मकसद का नाम है।। जो कहते है ,, वो लफ्जो से भावना से मन की तरंगों से एकाग्रता से ध्यान की वंदना योग साधना का आज्ञा चक्र बन रेचक से आज्ञा चक्र में स्थित योगिस्थ होकर।। कूण्डलिनी जागृत कर समाधिस्थ मनोतेज होकर आत्मवायु को प्राणवायु में केन्दीत कर ,, मस्तिष्क में समाधिस्थ अभ्यास ही योगिराज परब्रह्म परमात्मा प्रभु में समविलीन आत्मबिन्दू में सदैव के लिए सम्पूर्ण लोक में भ़मण करती मेरी आत्मा का पूनर्रजन्म नहीं होता है ।। यह क़िया क़ियात्मक वेदोक्त पूराणोक्त ,, शाश्वत सत्य रोग पीडा नाशक कल्याण दायनी।। शक्ति प्रदायिनी जीवन चक्र बिन्दु से लेकर जीवन में,, कर्मयोग कुंडलिनी जागरण अभियान संवाद सम्बोधन से मजबूत हो।। यही ईश्वरीय परिदृष्य से मानवता का पाठ दर्शन ,, सनातन विचार का सैद्धांतिक रूप मूल दस्तावेज उदगम स्थल आयना नजरिया है।। ्््््् कवि शैलेंद्र आनंद ५,,, नवम्बर २०२३ ©Shailendra Anand #MoonShayari छाया चित्र बिन्दु पर योग साधना मोक्ष कारक ज्ञान यज्ञ शुभकारकं देवारपणं करिष्यामि।।
Shailendra Anand
रचना दिनांक २२,,,,११,,,२०२३,, वार ््बुधवार ्् समय सुबह दस बजे ्््शीर्षक भावना से मन का नशा तन का नशा,,्् नशा जो भी हो धन संपत्ति अभिमान का नशा।। स्वाभिमान का नशा जब चोट लगती है दिल पर,, ,,मानो तब सुध बुध खो कर नशा मद मस्त अनुभूति मस्तिष्क पर गहरा असर डालती है वो भूल जाते है।। ्््् इन्सानी तहजीब मगरुर होती तन्हाइयों में वो लफ्जो का नशा,, धर्म का नशा किसी भी हद तक ताबूत में आखिरी कील से अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी बार प्राण वायु को ध्यानस्त प्रेयर करने वाले अच्छे ख्यालात मोक्ष कारक साधना प्रकृति से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे।। जीवन फूलों से भी सूक्ष्म महीन चूर्ण के भांति निखरकर उभरकर सामने सागर की लहरें उन्मुक्त रोम रोम में विराजित है।। नारीशक्ति मे रचता बसता है,, प्रेम मूर्ति प्रतिष्ठिता त्वमं भिक्षादेही नारायणं वामन अवतार विप्र वार्ता महाकुंभ कलशं शुक्राचार्य दैत्य गुरु राजा बलि संवाद प्राण पण धर्मरक्षक असूरेन्द़ नारायण देव कारज सो कर्म भूमि वर्चस्व छल कपट प्रपंच तीन पग दानभुमि वैकुंठ नाथ परमेश्वरं जनहितं राज्यसुखमं कर्म धर्म विचारणीयमं ज्ञान दर्शन मार्गदर्शन मद अंहकार शमन नाशकं मानव धर्म सर्वोपरि रक्षकं।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद २२नवमबर२०२३ शुक्राचार्य राजाबली संवादप्राण पण महादानी असूरराज ©Shailendra Anand #ChainSmoking मदनशा अंहकार बोलता है और मुमकिन है दानकीमहत्ता और विषयासक्त आसक्तं नशा मानवदेह विष औरअमृत जीवन महत्व कारकं।।््शैलेन्द़ आनंद ््
sûmìt upãdhyåy(løvë flūtê)