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Anuj Ray
यादों में ज़िन्दा रखना" बन सके ना मुकद्दर मेरे,तुम इस बात का कभी ,गम नहीं करना। प्यार जिस्मों से नहीं रूह से होता है,l इश्क़ करना ही छोड़ देंगे लोग वरना। मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगी, तुम भी मुझको सदा, अपनी यादों में जिंदा रखना ©Anuj Ray # यादों में ज़िन्दा रखना"
# यादों में ज़िन्दा रखना" #शायरी
read moreArora PR
White लोग तो आज भी पुरानी कब्रों से बाहर आने को तेयार नहीं हो रहे हैँ लगता तो यही हैँ कि वे नई सभ्यता और तहजीबो के नए खेल खेलने से अभी भी डर रहे हैँ ©Arora PR पुरानी कब्रे
पुरानी कब्रे #कविता
read moreMohmad Tanveer
पुरानी यादों की तस्वीर देखकर नया गम गुजरात जा रहा है ©Mohmad Tanveer पुरानी यादों की तस्वीर देखकर नया गम गुजरात जा रहा है
पुरानी यादों की तस्वीर देखकर नया गम गुजरात जा रहा है #शायरी
read moreArora PR
White आज फिर न जाने क्यों जाग उठी है मेरी छोड़ी हुई पुरानी आदते और लते लगता है आज मै शराब पिए बिना चैन की नींद सौ नही पाऊँगा ©Arora PR पुरानी आदते
पुरानी आदते #कविता
read moreAnuj Ray
White पुरानी डायरी" पुरानी डायरी में मिला है आज एक ख़त, जिसने मेरी यादों के घरोंदे को कर दिया ख़तबिखत । मोहब्बत में किये प्यार के वादों को निभाने के लिए हमने, बगावत काकर लिया था फैसला। मेरी जान बचाने के लिए उसने ख़ुद की बलि दे दी, मोहब्बत की जल के चिता, ख़ुद की लाश को पहना दी सुहाग की साड़ी। ©Anuj Ray # पुरानी डायरी "
# पुरानी डायरी " #कविता
read moreAnuj Ray
White मेरी यादों में बसे हो तुम" मेरे सुहाग जिंदगी मेरी,बंधी है तुमसे मेरी सांसों की डोरी। नज़र के सामने रहो या मुझसे दूर, तुम्हीं हो दिल की कमजोरी। कहीं भी जाके छिपो,मुस्कुराओ दिल ही दिल में, या रहो गुमसुम, तुम्हें कहीं भी ढूंढने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि, मेरी यादों में बसे हो तुम। ©Anuj Ray # मेरी यादों में बसे हो तुम"
# मेरी यादों में बसे हो तुम" #शायरी
read moreArora PR
White पुरानी से पुरानी यादें भी आज भी मेरे मानस पटल पर आकर थिरकने लगती हैं न उन्हें कभी ह्रदय भुला पाता हैं न मेरा मन कभी इन्हे बिसार पाता हैं ©Arora PR पुरानी यादें
पुरानी यादें #कविता
read moreShashi Bhushan Mishra
यादों के चौबारे में, जाना मत अंगारे में, ख़्वाब कहाँ पूरे होते, टूटे नभ के तारे में, मछली फँसी बता कैसे, राज छुपा है चारे में, बिस्तर तकिया गद्दा भी, लगता प्यारा जाड़े में, मिल जाती मंज़िल यारों, प्रभु के एक इशारे में, होती है रहमत रब की, तरस खाय बेचारे में, रहा भटकता आजीवन, फ़र्क न कुछ बंजारे में, गुंजन दिल की आवाज़ें, दब गई ढोल नगारे में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #यादों के चौबारे में#