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HASAN TUKBANDI
अल्पेश सोलकर
नकाराला आत्महत्या हे उत्तर नसतं.. तीच वाईट होऊदे.. अस मनात आणायचं नसतं.. ' प्रेम ' मित्रा असच असत.. भल्याभल्यांना इश्काच्या गुंगीत गुरफटून टाकत.. नकाराला आत्महत्या हे उत्तर नसतं.. तीच वाईट होऊदे.. अस मनात आणायचं नसतं.. ' प्रेम ' मित्रा असच असत.. भल्याभल्यांना इश्काच्या गुंगीत गुरफटून ट
vishnu thore
पुण्याई - विष्णू थोरे ९३२५१९७७८१ रान जळाया लागलं मन खचलं बापाचं स्तन झाकून मायनं पाणी पाजलं आफुचं गुंगी वर आली गुंगी सोंग घेतलं झोपेचं कसं डोळ्यांनी शेंदावं पाणी पहिल्या खेपेचं चूल पेटून हिजली दिस बुडत्या वक्ताला नवसाचा गेला नुर देव पावंना भक्ताला थुका गिळून पोटात सारी झोपली उपाशी फास घेवून हातात यम थांबला खोपाशी गेल्या जन्माची विठ्ठला फळा येवू दे पुण्याई थोडी पाऊस पाण्यानं वाहू देरे गंगामाई 💧💧💧💧💧💧💧 पुण्याई - विष्णू थोरे ९३२५१९७७८१ रान जळाया लागलं मन खचलं बापाचं स्तन झाकून मायनं पाणी पाजलं आफुचं
Deepak Patil
Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफरतों के बाजार में जिन्दगी मौत से लड़ रही है हसरत जीने की है बाहरी ताकत से लड़ रही है मौत का तांडव मचा है गुंगी बहरी सियासत से लड़ रही है हौसला कोई नहीं देता है ये कैसी चाहत से लड़ रही है दुःख दर्द बहुत है यहां और ये मुहब्बत से लड़ रही है मौत का सामान तैयार किया खुदा की कुदरत से लड़ रही है जिन्दगी का क्या भरोसा आरिफ वो इज्ज़त से लड़ रही है नफरतों के बाजार में जिन्दगी मौत से लड़ रही है हसरत जीने की है बाहरी ताकत से लड़ रही है मौत का तांडव मचा है गुंगी बहरी सियासत से लड़ रही है
Mohammad Arif (WordsOfArif)
इश्क है तो इश्क पर एतबार होना चाहिए दुश्मन है तो दुश्मन से तकरार होना चाहिए सच बात है तो सब को सच कहना चाहिए जंग अगर लाज़मी है तो जंग होना चाहिए ख्याली पुलाव पकाने से अब कुछ नहीं होता ये दौर जुल्म का है तो जुल्म से लड़ना चाहिए ये प्रर्दशन वर्दशन से अब कुछ नहीं होने वाला सरकार गुंगी बहरी है फिर भी सच कहना चाहिए जुल्म से लड़ते रहो तुम तब तक हार न मानों अगर तानाशाही है तो अब बगावत होनी चाहिए इश्क है तो इश्क पर एतबार होना चाहिए दुश्मन है तो दुश्मन से तकरार होना चाहिए सच बात है तो सब को सच कहना चाहिए जंग अगर लाज़मी है तो जंग होना
Mohammad Arif (WordsOfArif)
हंसते हुए चेहरे देखो सड़कों पर जा बैठे है अपनी अना की खातिर रात भर जागकर बैठे है मेहनत करके खेत से अन्न पैदा करते है वो उनका सही दाम के लिए आन्दोलन पर जा बैठे है कई महीनों से प्रर्दशन हो रहें है सरकार गुंगी है इसलिए किसान दिल्ली के बार्डर पर जा बैठे है कभी तो फरियाद सुनेगी सरकार किसानों की उनके समर्थन में बहुत से लोग साथ में जा बैठे है गारंटी देने से क्या होता है अब तो लिखित में दो सरकार कानून के खिलाफ किसान सब जा बैठे है अपना घमंड साहेब कम कर लो तो अच्छा है किसान अपना घर-बार छोड़कर रास्ते पर जा बैठे है किस बात का घमंड है साहेब को बताओं तो किसान बिना वजह ही नहीं सड़कों पर जा बैठे है इतने दिनों से लगातार आन्दोलन चल रहें है साहब को चिंता नहीं अपने दोस्तों के साथ जा बैठे है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) हंसते हुए चेहरे देखो सड़कों पर जा बैठे है अपनी अना की खातिर रात भर जागकर बैठे है मेहनत करके खेत से अन्न पैदा करते है वो उनका सही दाम के लिए