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Jashvant
White मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला ©Jashvant #Gazal
साहित्य संजीवनी
White मेरे अन्दर काबिज़ है वो, मुझसे जुदा नहीं रहता दाढ़ी टोपी और तिलक में, मेरा खुदा नहीं रहता। -मनोज मुन्तज़िर ©साहित्य संजीवनी #Paris_Olympics_2024 #Poetry #Shayari #gazal
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read moreMohit Singhaniya
White मुझ पे तू एक एहसान कर। मेरी फरियाद तू स्वीकार कर। हूं मैं निहायती घमंडी, अल्हड़–सा लड़का— तू खुद को न मुझ पे यूं बर्बाद कर। अपना अध्याय तू आगे भी जारी रख— अपने ख्यालों से तू मुझको अब आजाद कर। मैं सीने से लगा भी सकता हूं बगैर इजाज़त के— खुद को न तू मेरे यूं रूह–ब–रूह कर। इससे पहले कि इरादा बदले तेरा— मुझको अपनी निगाहों से अब तू दूर कर। ©Mohit Singhaniya #sad gazal
Jashvant
White मलाहत जवानी तबस्सुम इशारा इन्हीं काफ़िरों ने तो शायर को मारा मोहब्बत भी ज़ालिम अजब बेबसी है न वो ही हमारे न दिल ही हमारा मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा मुझे सतह-ए-ग़म पर अभी तैरने दो मैं डूबा तो डूबा तग़ज़्ज़ुल का तारा जो बिस्मिल बना दे वो क़ातिल तबस्सुम जो क़ातिल बना दे वो दिलकश नज़ारा मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना नज़र मिल गई आप जीते मैं हारा तुम्हारी उमंगों का क्या पूछना है बहारें तुम्हारी गुलिस्ताँ तुम्हारा तुम्हारा 'नुशूर' और तुम्हारा तख़य्युल मोहब्बत तुम्हारी तो शायर तुम्हारा ©Jashvant #lovely Gazal
साहित्य संजीवनी
White होनी और अनहोनी की परवाह किसे है मेरी जान हद से ज़्यादा ये ही होगा कि यहीं मर जाएँगे हम मौत को सपना बता कर उठ खड़े होंगे यहीं और होनी को ठेंगा दिखा कर खिलखिलाते जाएँगे। -पीयूष मिश्रा ©साहित्य संजीवनी #CAT #Poetry #Shayari #gazal
प्रियंका
White बहर : 22 22 22 22 22 2 क़्वाफ़ी: आई का स्वर रदीफ़: बारिश में किसने ऐसी तान सुनाई बारिश में बीता आधा साल जुलाई बारिश में।। हर कोई खुशहाल हुआ है बारिश में दादुर की भी आज सगाई बारिश में।। रोज कमाकर खाने वाला कुनबा तो भूखा सोया नींद न आई बारिश में।। छमछम बूंदें, चमचम बिजली, धकधक दिल प्रेम भरी मस्ती है छाई बारिश में।। भीग रहा है हर कोई इक मस्ती में मैं भी छाता लेकर आई बारिश में।। पानी जैसे काल हुआ है तुम देखो आफ़त कैसी सिर पर आई बारिश में।। 'रूमू' का बचपन लौटा है फिर से अब, कागज़ की कश्ती तैराई बारिश में।। प्रियंका झा ®️ सीतामढ़ी, बिहार ©प्रियंका #love_shayari #Gazal #monsoonlove
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