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SumitGaurav2005
मैं सूर्यपुत्र होते हुए भी, सूत पुत्र कहलाया थ। कुंती माँ मुझे जना तू ने, परन्तु राधेय कहलाया था। कर्ण दानवीर होते हुए भी, सबसे तिरस्कार पाया था। ऐसी क्या तेरी विवशता थी, जो तूने मुझे ठुकराया था। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 #कर्ण #karna #महाभारत #Mahabharat #Mahabharata #Sumitgaurav2005 #sumitkikalamse #sumitgaurav #sumitmandhana #Epic
Urmeela Raikwar (parihar)
White तुम गये ज़िंदगी से, दिल तो हैं बस धड़कन नहीं तुम नहीं तो मै नही. written by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #Thinking तुम नहीं तो, मैं नहीं
#Thinking तुम नहीं तो, मैं नहीं
read more- Arun Aarya
White ख़ुद को लोगों के आसपास करना चाहते हैं , हर उम्मीदवार सिर्फ़ विकास करना चाहते हैं ! मग़र धांधली तो धांधली है इनको समझाओ कोई ,, हमारा मन अब नहीं इनपर विश्वास करना चाहते हैं..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #sad_qoute #नहीं
Abdhesh prajapati
White ईमानदार रहिए, सीधे नहीं.. गलतियां माफ कीजिए, चालाकियां नहीं..!! ©Abdhesh prajapati चलाकिया नहीं
चलाकिया नहीं
read moreअनिल कसेर "उजाला"
White *इंसानियत रखने वाले इंसान नहीं है,* *यहाँ जो सच बोले वो ज़ुबान नहीं है।* *गर बात अपनी हो तो सबको झुका दे,* *वरना दुसरों का करते सम्मान नहीं है।* ©अनिल कसेर "उजाला" ज़ुबान नहीं
ज़ुबान नहीं
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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