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Rakhi Yadav
अगर आप किसी की भलाई करके घर नहीं बसा सकते ! तो बुराई करके उसका घर उजाड़ने का पाप भी मत करो! ©Rakhi Yadav घर उजाड़ना और बसाना #alonesoul
Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
prashant Singh rajput
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Bhaskar Anand
यशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
Rohit Potdar
का बरं का ? "Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte." Haa difference vedich sarkavta aala nahi. Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
"अधूरापन ही खींचता है अपनी ओर पूर्ण हो जाने के लिए..." अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
हरीश वर्मा हरी बेचैन
रूप रंग यौवन.. कुदरत का करिश्मा है! मसले न कुचले न टूटे न.. हम सब का ज़िम्मा है! समाज हो गया आज.. लाचार और निकम्मा है! अपनों से ही डर लगता है.. कैसा लोकतंत्र समाज.. और रंग तिरंगा है! गुलशन है अपना हरा भरा.. सहमी फूल और कलियां है! खुशबू है ये गुलाब का.. सुरक्षा में कांटों का.. नाम का पहरा है! पत्तों सै घिरा घिरा है! इश्क प्यार और मोहब्बत.. राह स्वर्ग का बहुत गहरा है! बस जहां के सलामती के लिए! बाग को उजाड़ना छोड़ दो! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️ हरीश वर्मा हरी बेचैन 8840812718 रूप रंग यौवन.. कुदरत का करिश्मा है! मसले न कुचले न टूटे न.. हम सब का ज़िम्मा है! समाज हो गया आज.. लाचार और निकम्मा है! अपनों से ही डर लगता
Mayank Pandit
आज कल लोग सच्चे प्यार की नही, बस कुछ दिन साथ दे ऐसे यार की खोज करते है, आज कल तो सकल भी नही देखते लोग, 10 मिनट की चॅटिंग मे डिरेक् पुरपोज करते है, और कहते है की बेबी हम भी मशूर हो लैला मजनू की तरह इस जमाने मे, मगर उनको क्या पता जिंदगी से अल्बिदा कहना पड़ता है इश्क़ का इतिहास बनाने मे. . poet - mayank pandit आज का का इश्क़