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Parasram Arora
ये प्रेमिल वार्ताये कम कर सकती है बोझिल मर्यादाए यकीनन माहौल के ऊंचे तापमान के संभावित खतरे को भी न्यूनतम तक लाने मे ये वार्ताये सहयोगी हो सकती है ©Parasram Arora प्रेमिल वार्ताये
Rajababu Gour
प्रिय प्राणी प्रेमी प्रेरणा को प्रसरित किया करो रसिकप्रिय होकर प्रेमी वाणी से वार्ता किया करो प्रेमी वार्ता
Patare b. r
पाऊलं हळू हळू पुढे टाका, कारण लोकांनी काही सांगण्या आधिच आपण, जग जिकंलेले असेलं . संघर्षशील वार्ता 😊
Rakhi Om
अभी आसमान को धरती के छोर पर आते देखा जैसे कह रही हो तुम बिन मैं नहीं मुझ बिन तुम नहीं धरती ने बादलों से कहा तुम बिन मैं कहां उपजाऊ हूं और सागर ने कहा मैं तुम दोनों के बीच की कड़ी हूं सागर ने धरती को कहा मेरे बिन कहां तुम उपजाऊ हो और सागर ने बादलों से कहा मेरे बिन कहां तुम बरसात हो जीवन भी एक कड़ी से दूसरी कड़ी से जुड़ा है कोई भी यहां अकेला कहां कोई किसी का साथ तो कोई किसी का हमसफ़र ©Rakhi Gupta # वार्तालाप# राखी
अभिषेक द्विवेदी
एक ऐसा वार्तालाप जिसे सिर्फ और सिर्फ हम दोनों समझते हो ! #वार्तालाप #love
Author Harsh Ranjan
जब कविताएं लिखी जाने लगीं, आत्मा हम हैं, परमात्मा और नहीं कोई, हमारे प्रियतम हैं! रति-क्रिया ही साधना है, सिसकारी प्रार्थना है और सुरतान्त शयन बस वैकुंठादि में वास है... मैंने समझ लिया सर्वनाश है कि किलविष के शैतान और तुलसी-मीरा के भगवान भी तर्क और तुलना के दायरे में हैं! शैतान भगवानियत से अंधेरा फैलाने में लगा है और भगवान शैतानियत से प्रकाश थोप रहा है! झण्डे और नंगे विश्व-विद्यालय का बुजुर्ग छात्र निर्गुण-लय में बोल रहा है- कहो कैसी लगी! Cont... वामपंथी से वार्तालाप
Author Harsh Ranjan
जब कविताएं लिखी जाने लगीं, आत्मा हम हैं, परमात्मा और नहीं कोई, हमारे प्रियतम हैं! रति-क्रिया ही साधना है, सिसकारी प्रार्थना है और सुरतान्त शयन बस वैकुंठादि में वास है... मैंने समझ लिया सर्वनाश है कि किलविष के शैतान और तुलसी-मीरा के भगवान भी तर्क और तुलना के दायरे में हैं! शैतान भगवानियत से अंधेरा फैलाने में लगा है और भगवान शैतानियत से प्रकाश थोप रहा है! झण्डे और नंगे विश्व-विद्यालय का बुजुर्ग छात्र निर्गुण-लय में बोल रहा है- कहो कैसी लगी! Cont... वामपंथी से वार्तालाप
SUSHIKRI MURYAVANSH
हे क्षितिज! आवाज़ यदि दिया करूं थोड़ा समझ जाया करो, बेशक तुम दूर हो मुझसे फिर भी मुझे अच्छे लगते हो, इतना समझ जाया करो। जानती हूं तुम पास कभी नही आ सकते, मगर दोनों के मिलन से ही मुग्ध हो फिरती हू मै, हे क्षितिज ! रोज ऐसी ही खूबसूरती से मेरा मन बहलाया करो,। हे क्षितिज! आवाज़ यदि दिया करू थोड़ा तो समझ जाया करो, ©SUSHIKRI MAURYVANSH क्षितिज सुशिकृ वार्ता #Sunrise
Author Harsh Ranjan
असत्य में भी सत्य छिपा है, कु के साथ कुकर्म, स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का नया संस्करण है! कहा उसने किताबें खोलकर, संत को चाहिए सत, चित, आनंद! चोर की भी वही प्रेरणा होती है। संत उपवास कर उसे पाते हैं और चोर, चोरी का माल बेच दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर भव-सागर तर जाते हैं। लेकिन उसने जोर देकर कहा, उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है, और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं। मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा, अब डिग्री या धंधे के लिए किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना, और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप
Author Harsh Ranjan
असत्य में भी सत्य छिपा है, कु के साथ कुकर्म, स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का नया संस्करण है! कहा उसने किताबें खोलकर, संत को चाहिए सत, चित, आनंद! चोर की भी वही प्रेरणा होती है। संत उपवास कर उसे पाते हैं और चोर, चोरी का माल बेच दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर भव-सागर तर जाते हैं। लेकिन उसने जोर देकर कहा, उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है, और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं। मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा, अब डिग्री या धंधे के लिए किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना, और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप