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Abhinivesh Kumar
उनसे बातें भी हुई तो 'मेले' में वो बोल रही थी और कुछ समझ भी नहीं आ रहा था Silent love 🥰 कुछ त्रुटी हुईं हो तो क्षमा करें 😇 #YourQuoteAndMine Collaborating with Barsha Priyadarshini
इकराश़
वो तारीख़ क्यूँ आज तड़पा रही है, कहर कुछ गज़ब आज बरसा रही है। जो छीना था मुझसे, वो लौटा रही है, ये किस्मत भी देखो तो इतरा रही है। उसे क्या पता है, बला है वो क्या है, गज़ब कारनामे वो दिखला रही है। अदाओं से अपनी रिझाने लगी है, वो जानां कहर कोई बरपा रही है। कभी आ रही है, कभी जा रही है, मोहब्बत में मुझको वो बहका रही है। मना कर के फिर भी वो आने लगी है, मिरी जान मुझको यूँ तरसा रही है। वो ऐसे जो मुझको सताने लगी है, ये लगता है मुझको वो अपना रही है। नौसीखिया हूँ। सीख रहा हूँ। कोई त्रुटी हो तो ज़रूर अवगत करवाइयेगा। इकराश़ #YqBaba #YqDidi #इकराश़नामा #ग़ज़ल_ए_इकराश़
Anamika
एक सवाल हंसाने वाला भी वही, रूलाने वाला भी वही, फिर शिकवा आखिर किससे किया जाये?? #एकसवालहै #yqdidi #yqdidihindi #yqdidihindiquote Collaborating with Neeru Bhatt नीरू जी बहुत उम्दा लिखती हैं आप,कोई त्रुटी हो तो माफ़ किजि
इकराश़
ग़ज़ल जो अधूरी है पूरी मैं कर दूँ , मगर क़ाफ़िया वो बताती नहीं है। गई तो है घर में वो करने उजाला, दीया है मगर उस में बाती नहीं है। निकाली है दिल से जो यादें पुरानी, सुनो अब हमें वो सताती नहीं है। बगावत भी करना उसे आ गया है, वो सपनो को खुद के जलाती नहीं है। मनाती है मुझको, मैं गर रूठ जाऊँ, मगर पास 'इकराश़' आती नहीं है। एक ग़ज़ल नज़र कर रहा हूँ। कोई त्रुटी हो तो अवश्य बताइयेगा। दिल के करीब है ये अश'आर। कुछ ख़्याल अलग है। कुछ ज़िंदगी से जड़े हुये हैं। इकराश़ #
ताजदार
आहां कs याद अइछ कि नइ, दू रोज पहिले जे हॅम आ आहा भेंट केने रहि कनैलक गाछ के निचा। आ आहा जे चबूतरा पर बइठल हमर हाथ पकड़ने रहूं से हमर गाम के लम्फू छोरा सब कहइत अइछ जे ई प्रेम भेलइ। अहीं कहू त इ हाथ प हाथ धेनाइ कोनो प्रेम भेलइ? प्रेम त उ भेलइ जइमें प्रेमीका के अइख में प्रेमी डुइब जाइ छई। जइमें घंटों साथ में बइसल रहइ कs मोन करइ छई। जइमें नइ दिन के कोनो ठीक रहइ छई आ नइ राइत के कोनो चिंता। जइमें प्रेमी के दिमाग के कोनो ठोर ठिकान नइ रहई छई। जइमें तीमन तरकारी आ सुखल सोहारी सब एके रंग बुझाई छई। प्रेम त उ भेलइ जे हमरा होइए आहाक देख कs नित्तो दिन हर बेर। 349/365 मैथिली भाषा में कुछ लिखने की कोशिश करी हैं मैंने, अगर कोई त्रुटी हो तो क्षमा प्रार्थी हूं। कोनो गलती होइ तs छोट समझि कs माफ करि दे
इकराश़
मुसाफ़िर, दिखा पीठ जाता कहाँ है, तिरी है जो मंजिल, वो रहती यहाँ है। मिरे यार मत बैठ थक-हार के अब, अभी बस में करना ये सारा जहाँ है। उसे ढूँढ कर ही सुकूं अब मिलेगा, रक़ीबों बता दो वो रहती कहाँ है। मुझे दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है, करीबी मिरे सब फ़रेबी यहाँ है। बरसती जहाँ नैमते है खुदा की, मसानों में देखो, वो रहते वहाँ है। आखिरी शेर का सार ये है कि जिसे मौत मिल गई, उसे मुक्ती, यानी खुदा की नैमत, मिल गई। एक ग़ज़ल कोशिश की है लिखने की। कोई त्रुटी हो तो अवश्य बताइ
इकराश़
लिखा है तुझे, फिर मिटा भी दिया है, मुझे साथ तेरा, ही इतना अता है। शायद तेरा मेरा साथ बस इतना सा ही है। इकराश़ **पिछले शेर में कुछ त्रुटी थी इसीलिए उसे हटा दिया और फिर अब दुबारा सुधार कर के लिखा है। Ashis
के_मीनू_तोष
Aarmaan singh
इकराश़
तरकश में सहस्त्र बाण लिये, मुख पे ना कोई घमंड दिखे, वैसा ही एक विरला बनने को, मैं भी इक कर्ण हो जाऊँ। कर्म को हर धर्म के उपर रखे, जो लकड़ी दान में देने को, अपना महल भी जला डाले, मैं भी इक कर्ण हो जाऊँ। शौर्य चहुँ ओर चमके जिसका, पराक्रम भी उसके गीत गाता, जिसे इक 'दिनकर' भी लिखे, मैं भी इक वो कर्ण हो जाऊँ। मैनें 'दिनकर' जी को कभी पढ़ा नहीं और इसका अफ़सोस मुझे रहेगा। पर उनके बारे में जो भी सुना या अपने दोस्तों की रचनाओं के जरिये जाना तो खुद को रोक