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Sushil Chaudhary
White किसी ने सही लिखा है,,, ........... सजनवा बैरी भइले हमार, केहु ना करे बिहार के उद्धार सजनवा बैरी भइले हमार,,2,, ........... सभे स्वार्थ में अपन मगन भईल कोई ईहमा रहिल कोई उहमा गईल।। .... सजनवा बैरी भइले हमार।। .............. काई सता मे बीजी भईल बाबू जी, गरिबन के लुट लिहलस साहेब जी ,,, अंगनमा बैरी भइले हमार।। ............. सब लोगन के गांवों जिला टोप भईल बिहार के तररकी छुरा धोप गईल,।। ,,,,, अंगनमा मैली भाईले हमार,, ............. जाती वादी में सब कुछ भुला गैले गंगा मैया के भेट चढ़ा दिहले।। सजनवा मैली भइले हमार,,, .............. रग रग में भारतीयों बिहारी बा,, फुलों के बगीचा के क्यारी बा।। अगनबा बैरी भइले हमार,,, ...............,, धरती नदी ये निला आसमां कैसे बदली भैया बिहार का जहां,,।। ललनमा काहे कईला हमार,, .............. जज़्बात ज़िन्दगी में बा हिम्मत बहुत पलटे ना लोगन, होई तररकी बहुत,,।। सजनवा बैरी भइले हमार,, ©Sushil Chaudhary #goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @
#goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @ #कविता
read moreDalip Kumar 'Deep'
Shayer tera ©Dalip Kumar 'Deep' ✍🏿😊आज हमार बारी हो जाये🌹🌹💕💕
✍🏿😊आज हमार बारी हो जाये🌹🌹💕💕 #शायरी
read moreAD Kiran
ओ हमार करेजा... क्या कभी मछली जल से जुदा हो सकती है ? अगर हो भी गई भूल-बस तो, क्या वह जिंदा रह सकती है? ©AD Kiran ओ हमार करेजा..SabitaVerma
ओ हमार करेजा..SabitaVerma
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , #कविता
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