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Insprational Qoute
त्याग संसृति का मोह, रीत जग की भुलाई, घूँट विष का भी पी लिया कंदराओं में जा समाई, वो काल मीरा की भक्ति का था। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। 🙏🙏🙏 त्याग संसृति का मोह, रीत जग की भुलाई, घूँट विष का भी पी लिया कंदराओं में जा समाई, वो काल मीरा की भक्ति का था। बनी वो पतिव्रता नारी, बचा लिय
Divyanshu Pathak
मित्रता के लिए प्रेम चाहिए, शत्रुता का आधार अहंकार है। क्रोध है। हर समाज में प्रेम के मार्ग में भी अनेक निषेध है। जो व्यभिचार का मार्ग प्रशस्त करते हैं। समाज के निषेध प्रकृति के आगे घुटने टेक देते हैं। क्रोध- अहंकार तो आसुरी भाव ही है। जिस समाज में आसुरी भाव के साथ-साथ दैविक भाव पर भी निषेध हो, वहां समृद्धि खत्म ही समझो। वहां सारे व्यक्तित्व कुण्ठित अथवा आपराघिक ही नजर आएंगे। अधूरी कामना व्यक्ति को अघिक भटकाती है। उसे भूल पाना व्यक्ति के लिए कठिन होता है। भगवान चाहे याद आए या न आए, शत्रु का चेहरा सदा आंखों में रहता है। तब कैसे व्यक्ति कामना पार होकर वैराग्य में प्रवेश कर सकता है। वह तो उम्र भर निषेध तोड़कर कामना पूर्ति के लिए संघर्ष ही करेगा/करेगी। आओ सोने से पहले कुछ अच्छा विचार करें......... : ☺"वैराग्य"☺ : वैराग्य का मार्ग संघर्ष का नहीं हो सकता। शत्रुता का नहीं हो सकता। वह तो प
दि कु पां
तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... ----------------------------------------- संवेदनाओं के क्रंदन से हो रही वेदनाओ से, निष्प्रभाव हो जो तू जीणा चाहे.. संस्कार विहीन, हो उघड़ जो तू इस्तेहार बण होर्डिंग्स पर चिपकण चाहे.. तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... ----------------------------------------- संस्कारों को बुद्धि दंभ से जो तू बंधण माणे रिश्तों के अनुबंधों से आज़ादी जो तू चाहे.. हो मुक्त, बन उन्मुक्त तू संसार में जीवण चाहे तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... ----------------------------------------- दारू संग सिगरेट जो फूकण चाहें और गुड़गुड़ावण हुक्का संग लडको बारों मा.. कपड़े छोटे पहन जो बदन खुला दिखावण चाहवे और चाह नग्न दिखण की निमण लागे तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... ----------------------------------------- संवेदनाओं के क्रंदन से हो रही वेदनाओ से, निष्प्रभाव हो जो तू जी
दि कु पां
"तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों..." See captions.. "तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों..." संवेदनाओं के क्रंदन से हो रही वेदनाओ से, निष्प्रभाव हो जो तू जीणा चाहे.. संस्कार विहीन, हो उघड़ जो तू
दि कु पां
"तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों..." संवेदनाओं के क्रंदन से हो रही वेदनाओ से, निष्प्रभाव हो जो तू जीणा चाहे.. संस्कार विहीन, हो उघड़ जो तू इस्तेहार बण होर्डिंग्स पर चिपकण चाहे.. तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... संस्कारों को बुद्धि दंभ से जो तू बंधण माणे रिश्तों के अनुबंधों से आज़ादी जो तू चाहे.. हो मुक्त, बन उन्मुक्त तू संसार में जीवण चाहे तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... चाह बॉयफ्रेंड के संग घुमण की जो तू राखे और रात बीतावण की रिस्टोरेंटन मा, अश्मिता दांव लगा जो तू नभ में उड़ना चाहे.. तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... दारू संग सिगरेट जो तू फूकण चाहें और चाहे गुड़गुड़ावण हुक्का संग लडको बारों मा.. कपड़े छोटे पहन जो तू बदन खुला दिखावण चाहे चाहे चाह नग्न दिखण की जो तुझको निमण लागे तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों... ::::::::दिनेश कुमार पाण्डेय::::::: Collab on this #mnmpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 "तो फिर छोरी! तू लाज लजाए क्यों..." संवेदनाओं के क्रंदन से हो रही वेदनाओ स
vishnu prabhakar singh
मन मनु है जोड़ रहा मानवता है होड़ रहा कृति धवल सज रही श्वांस धुन है बज रही तन दीपक साँसें बाती हैं, आज प्रखर चलती आँधी है। कहीं जला कहीं बुझ रहा, साँसों का संगीत बज रहा।। 💕💕💕💕💕💕💕💕💕 घुमड़ - घुमड़ जात
vibrant.writer
बे तासीर निगाहों के तुम भी जिम्मेदार हो, तुमने ही धीरे धीरे से मेरा नजरिया बदल दिया। #बे_तासीर -निष्प्रभाव बे तासीर निगाहों के तुम भी जिम्मेदार हो, तुमने ही धीरे धीरे से मेरा नजरिया बदल दिया। #vibrant_writer कलम बोल रही ह
निष्प्रभ की दुनिया
Sushant Singh Rajput quotes किससे बात करनी चाहिए थी? कौन से फ्रेंड्स कौन अपने ? वो जो मुसीबत आने पर सबसे पहले पीठ दिखाते हैं ? या वो जो किसी के घावों पर नमक छिड़कने का काम करते हैं? ये बेईमानों की बस्ती है जनाब यहां किसी के दुःख दर्द से किसी को कोई लेना देना नहीं होता ये सारे रिश्ते नाते सब सुख के साथी हैं दुःख के नहीं इंसान का सबसे बड़ा मित्र उसका अनुभव ही है बाकि सब मोह माया है अपने बच्चों को अकेला रहने की और असफलता को फेस करने की कला सिखाएं..!! - निष्प्रभ की दुनिया @nishprabhkiduniya अकेलापन दुनिया का सबसे ख़तरनाक रोग है नौकरी, बंगला, गाड़ी दुनिया की हर शोहरत बेकार है उस व्यक्ति के लिए जिसके पास एक भी कंधा ऐसा नहीं जिसप
निष्प्रभ की दुनिया
है नीच जहां की रीत सदा मैं गीत वहां के गाता हूं भारत का रहना वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं है ऊंच नीच का भेद यहां चंद दिलों से हमारा नाता है कुछ और ना आता हो हमको हमें बैर निभाना आता है जिसे धिक्कार चुकी सारी दुनिया मैं शर्म से शीष झुकाता हूं भारत का रहने वाला हूं भारत की बात बताता हूं। इतनी करूणा इंसानो को है पड़ती लात यहां कुत्ते बेड पर सुलाए जाते हैं इतना आदर भगवान को पूछे न कोई बात यहां पत्थर पूजे जाते हैं ऐसी धरती पे मैंने जन्म लिया क्या सोच के मैं इतराता हूं? भारत का रहने वाला हूं भारत की बात बताता हूं.!! - निष्प्रभ मन्नु मल्होत्रा ( 02-06-20 ) @nishprabhkiduniya है नीच जहां की रीत सदा मैं गीत वहां के गाता हूं भारत का रहना वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं है ऊंच नीच का भेद यहां चंद दिलों से हमारा ना
निष्प्रभ की दुनिया
#NoTobaccoDay जाने कितने घर के चिराग़ बुझा दिये इसने और खुद होंठों पर जलती रही जाने कितने शमशान पहुंचा दिये इसने और खुद मयखाने में पलती रही कितने चूल्हे नहीं जलते जब जलती है ये सिगरेट जाने कितने भूखे सो जाते हैं बच्चे जब बाप पीता है ये घासलेट बताओ कब तक ये हम पर राज करेगी हमने ही इसे बनाया और ये हमें ही बर्बाद करेगी ये शराब और ये सिगरेट इसे आखिर हम कब मिटाएंगे ये साली रोज़ हमें मिटा रही है - फ्रेंड गाइड एंड फिलोस्फर ( 31/05/20) @nishprabhkiduniya ये पंक्तियां मेरी नहीं हैं एक दोस्त हैं उम्र और समझ दोनों में काफी बड़े हैं उनका लिखा है काफी अच्छी चीजें उनसे सीखने को मिली लेकिन जिसने इ