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Stories related to तुम हो

Chaurasiya4386

दिसंबर की सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में.

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Unsplash     दिसंबर की सर्द शाम ...
                इस साल का ख़त्म होना ...
                  
                 और 



तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के
 मौसम में धूप का आना सा लगा… 

मेरी शायरी में...
तुम थे, तुम हो, तुम ही रहोगे ...❤️💔

©Chaurasiya4386  #दिसंबर  की #सर्द  शाम, 
 इस साल का ख़त्म होना और 
#तुम्हारा  आना सच कहें तो #जाड़ों  के #मौसम  में #धूप का आना सा लगा… 

मेरी #शायरी  में.

Mithilesh Kumar Jha

#इस पार प्रिये मधु है तुम हो...

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PRIYA SINHA

White 🫂"बस तुम हो" 🫂

जीवन के गीत में ;
हार या जीत में ;
बस तुम हो  ! 

सूनेपन की भीत में ;
प्रहार या प्रीत में ;
बस तुम हो  ! 

समर्पण के रीत में ;
बेकार या कृत में ;
बस तुम हो  ! 

प्रिया सिन्हा  
𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. 
(शनिवार).

©PRIYA SINHA #बस #तुम #हो

Vishnu Gurjar

लव स्टेटस खतरनाक लव स्टोरी शायरी लव कोट्स लव शायरियां लव शायरी हिंदी में हर एक मुस्कुराहट ♥️✨🥀 Credit ✨👇 Movie/album: आँखों में तुम हो Sin

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gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya #NatureQuotes 
#मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry 
आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

Rakesh frnds4ever

#आ #चल के ,,,,,,,,,,,,,,,,,हम चलें कहीं जहां नौरंगी #गुलजार र हो #मौसम नजम ,,गजल गाता हो नदी नाले प्यार की बातें करते हो ये पर्वत पहाड़

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Rakesh frnds4ever

मेरे #घर_आंगन की शोभा तुम,, हंसती गाती मस्ती करती,, कार्तिक माह के #पूर्णिमा सी शीतल तुम,, दिल में सकून भरती,,, मन में चांदनी भरती,,,

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Jayesh gulati

क्या हुआ हैं? इतने खामोश क्यों रहते हो । फिर से कोई बात हुई है क्या? या खुद ही खाली दिमाग चला रहे हो । हो जाएगा सब ठीक, मैं कहती हूँ ना । मि

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White क्या हुआ हैं?

(read full in caption)

©Jayesh gulati क्या हुआ हैं?
इतने खामोश क्यों रहते हो ।
फिर से कोई बात हुई है क्या?
या खुद ही खाली दिमाग चला रहे हो ।
हो जाएगा सब ठीक,
मैं कहती हूँ ना ।
मि

Nehu Dee.kalam

सबकुछ तुम हो।

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White तुम खुश रहो... मैं उदास ही ठीक हूं,,,
तुम लुटाओ अपना प्यार सब पर,,
मैं तुम्हारे पीछे बर्बाद ही ठीक हूं,,,, 
शायद मेरे नशीब में ना तुम्हारी परवाह है,,, ना ही प्यार ,,
ना दोस्ती ,,,,है ....

पर क्या बताऊं? मैं तरस गई तुम्हारे लिए,, तुम आते हो तो ऐंसा लगता है ,, 
जैंसें भगवान साथ है मेरे,,,,
और जब तुम जाते हो तो लगता है ,,, मर गई मैं,,, जिन्दा लास बन जाती हूं।
मुझे चाहिए थे तुम , तुम्हारा साथ , तुम्हारा हाथ,, 
बहुत रोई अकेले मैं,, बस रो ही पाती हूं,, और कुछ नहीं कर पाती,,, 
इससे अच्छा तो मर जाऊं मैं ,,,, 
किसके लिए जीऊं???? मुझे अच्छा नही लगता इस दुनिया में तुम्हारे बिना जीना,,
कैंसे समझाऊं तुम्हें? तुम नही समझते कुछ तुम्हे सब मजाक लगता है,, शायद मेरी मौत पर समझो तुम की मैं कहती क्या थी,, मन करता है संसार से लड़लूं , तुमसे लड़लूं ,, और बस तुम्हारा साथ बस मिल जाये ,,,
पर नामुमकिन कोशिश,,,,
लेकिन प्यार मेरा बस तुम्हारा है अब हमेशा बस।।।।

©Nehu Dee.kalam सबकुछ तुम हो।

IG @kavi_neetesh

#GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह

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