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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चरित्र राजनीत का स्तरहीन हरण वोटो का करता है मशीनरी को बस में करके हेरा फेरी मतदानो में करता है जहर जातिवाद भाषा और धार्मिकता का भरकर बीज पृथकता का बोता है नही सरोकार मूल व्यवस्थाओ से धनबल से चुनाव जीतता है अपराधों से भरे पड़े है नेता सत्ता की आड़ में चुनौती न्यायालय को देता है लोकतंत्र बस नाटक बनकर रह गया लूटतंत्र का बोल बाला चलता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #election_2024 हरण वोटो का करता है
#election_2024 हरण वोटो का करता है
read moreHimanshu Prajapati
White खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! ©Himanshu Prajapati #Couple खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! #36gyan #hpstrange
#Couple खत्म होते देखा है, सब रिश्तों का सिलसिला, यूंही नहीं अब दिमाग , दिल लगाने से डरता है..! #36gyan #hpstrange
read moreRAMLALIT NIRALA
White हाय दोस्तो कहा जाता है ईसांन को अपनी अवकात कभी नहीं भुलनी चाहिए ग गलती अनपड नहीं पढे लिखे लोग कर रहे हैं जो आज सबके सामने आ रही है कुछ दिन पहले करोना जैसी बिमारी कि सामना करना पड़ा था और आज जो शोर हुआ है ऐलियन का वो क्या है ईतनी टेक्नोलॉजी कहा से आई क्या उनकी याँन की पुर्जे कहा से मीली इतनी शक्ति शाली याँन किस कम्पनी का है कि सब झूठ बोल रहै हैं ©RAMLALIT NIRALA ऐलियन का क्या है राज
ऐलियन का क्या है राज
read moreMunna kushwaha
हम जो करते है वो भगवान का किया धरा है और लोग बोलते है साइंस आगे है! ©Munna kushwaha रंगोली का मतलब क्या है
रंगोली का मतलब क्या है
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
New Year Resolutions तरुः यथावत् तिष्ठति, कदापि परिवर्तनं न करिष्यति हिन्दी अनुवाद तरु जैसी है वैसी ही रहेगी खुद को कभी बदलने ना देगी ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु २०२४ के अध्याय को अलविदा २०२५ के अध्याय का आरंभ #wellwisher_taru #नववर्ष #Nojoto #Poetry #Life #कवितावाचिका #संस्कृत #newyearresolution
२०२४ के अध्याय को अलविदा २०२५ के अध्याय का आरंभ #wellwisher_taru #नववर्ष Poetry Life #कवितावाचिका #संस्कृत newyearresolution
read moreअनिल कसेर "उजाला"
मोहब्बत का यही फ़साना है, होता मुश्किल साथ निभाना है। जो पल मिला है जी ले उजाला, वक़्त का होता नहीं ठिकाना है। ©अनिल कसेर "उजाला" वक़्त का होता नहीं ठिकाना है।
वक़्त का होता नहीं ठिकाना है।
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreJitendra Giri Hindu
"1. **यथा वा वदति सदा तद्वदन्तु तत्त्वदर्शिनः।** - "जैसा कोई कहता है, वैसा ही सदैव सच को कहो।" 2. **कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।** - "आपका अधिकार केवल कार्य पर है, फलों पर नहीं।" 3. **सर्वधर्मान्परतित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।** - "सभी धर्मों का त्याग करके केवल मेरी शरण में आओ।" 4. **वक्तव्यं न हि नष्टं न चान्यस्य समृद्धि।** - "किसी के अपमान के लिए शब्दों का अनर्थ नहीं होना चाहिए।" 5. **आगमोऽपि सदा शान्ति यस्तु संकल्पयेत् सदा।** - "जो संकल्प करता है, वह सदा शांति प्राप्त करता है।" 6. **विद्या ददाति विनयं विनयाद्यति पात्रताम्।** - "ज्ञान विनय को देता है, विनय से पात्रता प्राप्त होती है।" 7. **सत्यं वद धर्मं चर।** - "सत्य बोलो और धर्म का पालन करो।" 8. **दृष्ट्वा वा ज्ञात्वा वा परार्थं त्यजेत् स्वार्थम्।** - "दृष्टि से या ज्ञान से, स्वार्थ का त्याग कर देना चाहिए।" ©Jitendra Giri Hindu "संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
"संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
read moreneelu
White चक्रव्यूह चाहे चिंताओं का हो चक्रव्यूह चाहे विचारों का हो चक्रव्यूह चाहे किसी भी...बात का है अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह को तोड़ने का स1हस दिखाइए ©neelu #sad_quotes #बात का है
#sad_quotes #बात का है
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