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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी रोटियां राजनीतिक अब बनने लगी है पेट पर लात मारने की साजिशें होने लगी है आम जनो के चूल्हे बन्द सियासतें करने लगी है गरीबी बाटने में सरकार आगे बढ़ने लगी है खुदकुशी आत्महत्या अब आम लगने लगी है सुलगती सब सौगाते मुल्क तबाह करने की ओर सरकारे बढ़ने लगी है सुभाष भगतसिंह की आजादी को गुलामी की ओर धकेलने लगी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" सुभाष भगतसिंह की आजादी गुलामी की ओर धकेलने लगी है #LostInCrowd
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी रोटियां राजनीतिक अब बनने लगी है पेट पर लात मारने की साजिशें होने लगी है आम जनो के चूल्हे बन्द सियासतें करने लगी है गरीबी बाटने में सरकार आगे बढ़ने लगी है खुदकुशी आत्महत्या अब आम लगने लगी है सुलगती सब सौगाते मुल्क तबाह करने की ओर सरकारे बढ़ने लगी है सुभाष भगतसिंह की आजादी को गुलामी की ओर धकेलने लगी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" सुभाष भगतसिंह की आजादी गुलामी की ओर धकेलने लगी है #LostInCrowd
manoj kumar jha"Manu"
असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।। हे प्रभु! मुझे असत् से सत् की ओर ले जाओ। मुझे अन्धकार(अज्ञान) से प्रकाश(ज्ञान) की ओर ले जाओ। मुझे मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाओ।। असत्य से सत्य की ओर अज्ञान से ज्ञान की ओर मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो
Kulvant Kumar
,,आजादी,, में कैसी कैसी जगह से निराश हुवा हुं ए जिंदगी । जहां सजदो के लिऐ भी फरियाद होती है ।। कोई मंदिर,मस्जिद गुरुद्वारा इस सायं को नहीं निकाल पाया । जो इस शरीर को अपना घर बनाए बैठा है ।। ©Kulvant Kumar खुद से ही आजादी की फरियाद #horror
Ish Kumar King
आंखों में सैलाब उभर आता है दुनिया अच्छी है लगती जब हर तरफ इंकलाब नजर आता है #इंकलाब #आज़ादी एक ख़ूबसूरत #collab Aesthetic Thoughts की ओर से। #दुनियाअच्छीनहींलगती #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #इंकलाब #आजादी
homveer
homveer Yadav मेरी ओर से और मेरे परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
5 अप्रेल जागरूकता के दीए घर-घर में जलायेंगे, संकल्प लिया है भारत ने कोरोनो को भगायेंगे । -प्रमोद मिश्रा #अंधकार से प्रकाश की ओर
J P Lodhi.
सूरज कह रहा है ढलते ढलते, कल फिर आऊंगा भोर बनके। बुन लेना आंखों में शुभ सपने, धूप में तपा लेना ख़्वाब अपने। बिखेर दूंगा अपनी किरणों को, ढूंढ़ना मृगतृष्णा में सपनों को। बहा लेना खूब धूप में पसीना, ज़िंदगी को बना दूंगा रसीला। तपाकर तुम्हें कुंदन बना दूंगा, सफलता के हुनर सिखा दूंगा। मेहनत के पसीने से नहा लेना, किस्मत अपनी आजमा लेना। मानवता को तू धर्म बना लेना, ईमान को ही ईश्वर मान लेना। सच्चाई पर चलना ठान लेना, अपनों को परखना छोड़ देना। सूरज कह रहा है ढलते ढलते, भोर आ जाएगी चलते चलते। #सांझ से भोंर की ओर
vivek vishwakarma
E Gram जिला के किसी भी सरपंच,विधायक,पार्षद,सांसद,मुखिया को राशन की जरूरत हो तो जनता से संपर्क करें....! वोट दिया है तो रोटी भी देंगे.. विवेक ग्राम सभा की ओर से........