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Bhanwar Panwar
Black चेतक पर चढ़ जिसने भाला से दुश्मन संघारे थे… मातृ भूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे… ©Bhanwar Panwar चेतक पर चढ़ जिसने भाला से दुश्मन संघारे थे… मातृ भूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे…
Devesh Dixit
नोट बंदी नोट बंदी में देख हुआ, सबका बुरा हाल। लगे कतार में बैंक के, मन में उठे सवाल। क्या सोचा सरकार ने, जो हुआ बवाल। फिर बताया विद्वान ने, ये था माया जाल। हेरा-फेरी से कमा कर, कर रहे जो गुणगान। चोट जो ऐसी दी उन्हे, पूर्ण हुआ अभियान। बोरे भरकर फेंक दिये, नोटों के भण्डार। कुछ जंगल में थे मिले, कमाल किये सरकार। एक झटके में निकल गये, देखो तो काले धन। छिपा रखे गृहणियों ने, बेचैन हुए तब मन। नोट बदलने के लिए, सामने आया राज। पतियों को मालूम पड़ा, तब जाकर वह काज। मोदी जी का हो भला, जो किया ये काम। पत्नियाँ सिर को पीटतीं, खेल हुआ तमाम। ................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नोट_बंदी #nojotohindi #nojotohindipoetry नोट बंदी नोट बंदी में देख हुआ, सबका बुरा हाल। लगे कतार में बैंक के, मन में उठे सवाल।
Shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
AJAY NAYAK
कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन कब और कितना दौड़ना चाहिए यह भी पता होना जरूरी है शेर भी दौड़ता है घोड़ा हिरण भी दौड़ते हैं दोनो को बखूबी पता होता है कब दौड़ना होता है कब रुकना होता है यही वजह है एक साथ रहकर ख़ुद को जंगल में जिंदा रख पाते हैं –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #दौड़ #Run #कविता कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Arora PR
खुदा के घर तक़ जाने का हमारा बड़ा मन था हम घर से निकले भी पर राह मे ख्वाहिशों के जंगल से हमे गुज़रना पड़ा जहा जंगल के हिंसक जानवरो ने हमारा रास्ता रोक लिया ©Arora PR ख्वाहिशों का जंगल
Anarchy Short Story
"निषिद्ध जंगल में बुलबुले" विषादयुक्त वन में अपनी गोपनीय गहराई में एलडोरिया के हृदय में, 'प्रतिष्ठित वन' था। पुराने आत्माओं द्वारा रक्षित किया जाता है। एक दिन, युवा खोजी एलारा ने उसकी क्षेत्र में प्रवेश किया, अनजान खजाने की भविष्यवाणियों द्वारा प्रेरित होकर। जैसे ही वह गहराई में डूबती गई, पेड़ों को लगता था कि वे रहस्यों को फुसला रहे हैं, हरा पत्तावरण के एक भूलभुलैया के माध्यम से उसका मार्ग दिखाते हुए। प्रकाशित किए गए अद्भुत प्रकाश में, उसने एक प्राचीन मंदिर पर गिर पड़ा। एक रहस्यमय आवाज गूंजी, जो वन की छुपी शक्ति को प्रकट करती है। एलारा ने एक जादुई कंगन खोजा जो उसे वन के प्राणियों के साथ संवाद करने की क्षमता प्रदान करता है। नए साथियों के साथ, उसने चुनौतियों का सामना किया: धोखेबाज़ भूमि, चालाक मृगजाल, और एक संरक्षक सर्प। प्रत्येक परीक्षण उसे वन के हृदय के पास ले आया, जहां एक भूला हुआ शहर का इंतजार था। नगर की रुइन्स में, एलारा ने एक प्राचीन भविष्यवाणी का पता लगाया जो एक महान प्रलय की पूर्वसूचना देती थी। निरंतर, उसने आगामी आपदा को रोकने के लिए प्रयास किया, ज़ुकाम की असली उद्देश्य को खोलते हुए। साहस और उसके नए मित्रों की उसके निर्देशन में, एलारा वन का चुना हुआ रक्षक बनकर सामर्थ्य और वास्तविकता के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए उभरी। ©Anarchy Short Story "निषिद्ध जंगल में बुलबुले" #story #hindistory #story_telling #adventure #Journey #kahani #kahanisuno #hunarbaaz #Inspiration #anarchyshortst
Ravi Rathore films