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Jagdeep Singh Mehra Singh
ਕੁੱਝ ਅਾਪਣੇ ਵੀ ਲੱਛਣ ਮਾੜੇ ਸੀ, ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਵੀ ਖੇਡ ਚਾਲ ਗਿਅਾ .. ਕੁੱਝ ਅਸੀ ਵੀ ਇੱਕ ਪੈਰ ਤੇ ਖੜੇ ਰਹੇ, "ਗੁਮਨਾਮ"ਕੁੱਝ ਓਹਦਾ ਵੀ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਾ-ਕਮਾਲ ਗਿਅਾ.. lyrics ..ਗੁਮਨਾਮ ਹਿੰਦੂਪੁਰੀਅਾ-75086-92007
Jagdeep Singh Mehra Singh
ਪਿਅਾਰ ਮੁੱਕ ਗਿਅਾ ਰੂਹਾਂ ਚੋ ਜਿਵੇ ਪਾਣੀ ਮੁੱਕ ਗਿਅਾ ਖੂਹਾਂ ਚੋ.. lyrics..ਗੁਮਨਾਮ ਹਿੰਦੂਪੁਰੀਅਾ.75086-92007
Pankaj Kumar_111
होली में रंगों से ना डरे बल्कि रंग बदलने वालों से डरे Happy Holi Writer_PankajBais786 9340011489 #Color
Anand Yadav
Jinke sirr se chatt chali jaati hai dukh unhiko hota hai. Warna zamana to raaste ke kaate ko hatake hi khusia manati hai #Color
manoj sharma
Happy Holi you and your family . I pray to God you reach highest position in world . @Manoj Sharma (Clinical Embryologist) #Color
Khileshwar Sahu
तेरे बिन मेरे जिंदगी के हर रंग फ़ीके हैं मैं होली कैसे मनाऊँगा अब तेरे बिन तेरे बिन तो हर रंग फ़ीके हैं तुम घोल लो मुझको अपने प्यार के रंग में जैसे माखन चोर अधूरे से हैं राधा के बिन !! The_poetic_zone #Color
Mr.lover_0
Pyaar Mein Kuch Toote Supne Hai, Toh Kuch Tooti Hai Khwaishein Hmari, Yha Log Khushiyo Ke Rang Mein Bheege Hai, Wahi Dard Se Sukhi Hai Zindgi Hmari mr.lover #Color
Hemant Sharma Little Aloud
रंग गालों का जब खुद ही लाल हो जाये, दाँतों तले ओठों में गुलाबी रंग चढ़ जाये, बंद आंखों में जब कोई रंगरेज बस जाये, रवायत तोर दो सारे, समझ लेना की होली है। #Color
RAJA ALAM
होली के रंगों की तरह अपने मुल्क को सदा प्रेम रूपी रंगों में मैं देखना चाहता हूँ। इन रंग-बिरंगी रंगोलियों की तरह अपने मुल्क को देशप्रेमी रंगों में मैं देखना चाहता हूँ। गुलाल की तरह हर चेहरे पर खुशियों की ख़िलखिलाती लालनुमा रंग मैं देखना चाहता हूँ। इन्हीं हाथों की तरह हर रोज एक दूसरे को पवित्र रंगों से रंगते हुए मैं देखना चाहता हूँ। हर शिक़वे-गिले भूलाकर यूँ ही हर रोज सबको गले लगाते मैं देखना चाहता हूँ। है मेरी आकांक्षा की रंगों की घटा छाई रहे सदा गंगा यमुना सरस्वति वाला संगम मैं देखना चाहता हूँ। अबकी बार जो मिले ना पूछे मजहब हर मानव में सिर्फ मानवता मैं देखना चाहता हूँ। मुल्क के किसी कोने से कोई लहु ना छलके गाँधी वाला, अम्बेडकर वाला रंगनुमा हिन्दुस्तान मैं देखना चाहता हूँ। Raja Alam #Color
निष्प्रभ की दुनिया
हम औरत उसी को समझते हैं जो हमारे घर की हो, और हमारे लिए कोई औरत नहीं होती, बस गोश्त की दुकान होती है। और हम उस दुकान के बाहर खड़े कुत्तों की तरह होते हैं, जिनकी हवसज़दा नज़र हमेशा गोश्त पर टिकी रहती है। - मंटो { निष्प्रभ मन्नु मल्होत्रा } #Color