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Vijay Vidrohi
पिछले लॉकडाउन में सबसे, खूब बजवाई ताली जी। करोना फिर भी नहीं भागा, फुड़वादी घर की थाली जी।। किसी भक्तों को बुरा लगे तो माफ करना 😅😅😅😅🙏🙏🙏 ©Vijay Vidrohi #घड़ियालीआंसू# kittu❤ FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️ samraat satyawan Khushboo Kumari lafzo ki duniya bipin gusain
Vijay Vidrohi
डॉक्टरों से कोरोना पर बात करते हुए फिर भावुक हुए साहब वह रो रहे हैं और मुझे हंसी आ रही है और एक शेयर लिखा है पसंद आएगा #आंसू है घड़ियाली जी, बाग लुटेरा माली जी। खुद बाड़ खेत को खाए तो, कौन करे रखवाली जी।।# ©Vijay Vidrohi #घड़ियालीआंसू# samraat satyawan FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️ Khushboo Kumari lafzo ki duniya kittu❤ Princ ki silsila e mohobbat7 GanjaBoy lekhak san
Darshan Raj
मेरे आंगन में हरा-भरा शज़र है..! बस यही इक अच्छी खबर है..!! कोरोना की तुझ पर भी नज़र है..! कानों मे चिखों का बजेगा गज़र है..! किसको ख़बर कहां तक सफ़र है..! तेरी ग़फ़लतो की वज़ह से अमर है..! तुझको जरा सी भी उम्मीद अगर है..! तो रोक ये तेरे ही खिलाफ़ समर है..! फ़िज़ा में घुलता हर तरफ़ ज़हर है..! इस बात से तू अब भी बे-खबर है..! कदम - कदम पर मौत का मगर है..! इससे न बच सका कोई भी नगर है..! शायद सभी तर्क-वितर्क बे-असर हैं..! लाशों के लिए ज़मीं की कसर है..! अब हर जगह सूनी- सूनी डगर है..! अब धुंधली पड़ती जा रही बसर है..! हर तरफ आग में जलता शहर है..! जिधर देखो उधर मौत का पहर है..! ऐ मेरे रब्बा तेरा यह कैसा कहर है..! अब ना नज़र है शाम है कि सहर है..! हर रोज़ सैकड़ों ख़ुदती नयी कबर है..! कदाचित श्रष्टि का नज़दीक हशर है..! अब भी तेरे भेजे में अगर - मगर है..! तू बचा रहें यही अच्छी खबर है..! ©Darshan Raj #a #covidindia पूर्णतः मौलिक स्वरचित सर्वाधिक सुरक्षित लेखक :- दर्शन राज Insta :- @darshansingh8727 शज़र =वृक्ष
Jupiter and its moon
काशी में प्रवास हो ! शिव के समीप वास हो ! ढूंढ़ रही हूं काशी को ! खुली आंखों से कभी मंदिरों में ! कभी घाट पर ! घंटों में घड़ियालों में ! बहती गंगा के धारो में ! कभी त्रिपुंड लगाया ! भोले को जल चढ़ाया ! पर काशी मन ढूंढ़ न पाया ! कहां है वो नगरी? जहां शिव रहते हैं ! वो शिव की नगरी काशी ! जो मन की आंखें खुल जाए। शिव किरपा से मन धुल जाए। तो शायद काशी मिल जाए। काशी हीं काशी हो व्यापक शिव का सर्वत्र उजाला लिए। मैं ध्यान लगाऊं भोले का रूद्राक्ष की माला लिए ! ©Jupiter and its moon शिव की काशी! काशी में प्रवास हो ! शिव के समीप वास हो ! ढूंढ़ रही हूं काशी को ! खुली आंखों से कभी मंदिरों में ! कभी घाट पर ! घंटों में घड़
Yogesh Bhardwaj
Yogesh Bhardwaj
B Pawar
हमराह मैं रो पड़ता हूं जानकर तुम्हारे घड़ियाली आंसू मैं हस पड़ता हूं देखकर तुम्हारी झूठी हसीं। मैं परेशान हूं ये देखकर के खुद को खुदा बतला रहे हो। कह दो के मैं कुछ भी नहीं तो मैं बेफिक्र हो जाऊं। मै थकने लगा हूं देखकर के तुम मेहनत नही करते क्या मेरी कोशिशे देखकर तुम हार मान रहे हो। मै अलग चल पड़ा हूं देखकर के तुम भीड़ में शामिल हो गर पहले पहुंच जाओ मंजिल पर जरूर मिलना। हमराह मैं रो पड़ता हूं जानकर तुम्हारे घड़ियाली आंसू मैं हस पड़ता हूं देखकर तुम्हारी झूठी हसीं।
Dr Jayanti Pandey
मेरे शहर का मौसम....... ******************* तुमको कैसे बताऊं मेरे शहर का मौसम यहां हर तरफ सिर्फ मुर्दनी सी छायी है हर घर में सिसकी है किसी को खोने की और शहर भर में गिद्धों की बारात आई है जो जा रहे हैं, उन्हें जनाजा नसीब नहीं है जो पीछे बच रहे हैं, वो भी दहशत में हैं आखिरी वक्त में वो भी बे-तरह अकेले हैं जो जीवन भर दोस्तों की सोहबत में थे सांसों की गिनती पर पैसों का अब पहरा है मुनाफाखोरों के लिए यह अवसर सुनहरा है नकली दवा और अधूरी सांसें पकड़ा रहे हैं मरे ज़मीर वाले,अब लाशों से भी कमा रहे हैं समय बदलेगा, कुछ दिन अभी कयामत के हैं उतरते नकाबों और घिनौनी सी सियासत के हैं यह तय है ,अब पहले सा कुछ नहीं हो पाएगा पर किसने क्या कहा, किया, याद रखा जाएगा किसने क्या कहा, किया,सब याद रखा जाएगा दिल्ली इस समय दिलवालों के हाथ में नहीं है। दिल्ली इस समय घड़ियालों के हाथ में है..... मेरे शहर का मौसम........ **************** तुमको कैसे
Anita Saini
अनु शीर्षक में पढ़े 💔पुकार💔 देश में जाने कितने,कलयुगी विभीषण पैदा हो रहे हैं... जिनकी वजह से,हादसे इतने भीषण हो रहे हैं..! कब तक, आस्तीन के सांपो को, दूध पिलाते रहेगे