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Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda
White अपने मन की किताब ऐसे व्यक्ति के पास खोलना ज़ो पड़ने के बाद आपको समझ सके..!! 🚩🚩राधे राधे🚩🚩मेरे बांके बिहारी.... दिल की कहे तो बात कुछ यूं है #सांवरे# तेरी एक झलक में उम्र भर का सकून है ।।जय श्री कृष्णा।।Rk heena ❤️✍️🙏 ©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda #emotional_sad_shayari #सोमवार के दीन महादेव के दर्शन करे #लाइक #शेर करें कुछ नया होगा #harharmahadev #जयश्रीराम
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह । भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।। कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता मंदिर मस्जिद देख , दुवाएं में है झुकता ।। दीन-हीन को कष्ट , दिलाने आगे बढ़ना । चाहे फिर भी आज , स्वयं को सुख में रखना ।। ०५/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह । भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।। कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता मंदिर मस्जि
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे
वंदना ....
॥ श्री गजानन महाराज ॥ प्रगट दिन 🙏🙏🙏 🌹🌹🌹🌹 ©वंदना .... #गजानन #महाराज 🙏🙏🙏 प्रगट दिन निमित्त सभी भक्तगणों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ..🙏🙏 सबका जीवन मंगल में और खुशियों से भरा हो यही #ईश्वर #चरणी
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु