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Mukesh Poonia
उम्र बढ़ने से मुस्कुराहट नहीं रुकती... लेकिन मुस्कुराहट रूकने से उम्र जल्दी बढ़ जाती है... मुस्कुराते रहीये... . ©Mukesh Poonia #sadak #उम्र बढ़ने से #मुस्कुराहट नहीं #रुकती... लेकिन मुस्कुराहट #रूकने से उम्र #जल्दी बढ़ जाती है... #मुस्कुराते रहीये...
#sadak #उम्र बढ़ने से #मुस्कुराहट नहीं #रुकती... लेकिन मुस्कुराहट #रूकने से उम्र #जल्दी बढ़ जाती है... #मुस्कुराते रहीये... #विचार
read moreRajni Vijay singla
White ओ मां ! मां मां प्यारी मां कितने दिनों से बीमार चल रही हैं पिछले 3 महीने में 3 बार हॉस्पिटल में दाखिल हो चुकी .. आज ना चलने के बावजूद जब हॉस्पिटल में मैं तुझे देखने गई तो तू सोई हुई थी जब मेरे पर नजर पड़ी अपने दर्द के बावजूद भी तो मुस्कुराई मां और मैं तुझसे तेरा हाल पूछती हूं उससे पहले ही बोली तू कैसी है? कैसी है तेरी तबीयत? नींद सही आती है? दो बार हाथ चुमा ,माथे पर लगाया तूने मां! सच यह सोचने पर मजबूर हो गई मां तो मैं भी हूं पर इतनी प्यार , इतनी सहनशीलता क्या मुझ में है? तू सच में महान है ! जल्दी से ठीक हो जा, जल्दी से चलकर घर आ, जल्दी से कपड़ों को सवार जा मा, जल्दी से शादी में आना, शिवी का भात लेकर ,खूब सारे जज्बात लेकर, और मुस्कुराना, बन्नी गाना आशीर्वाद देना@ सदा खुश रहो ©Rajni Vijay singla #Hope मां जल्दी-जल्दी आ
Hira Tech
White जिंदगी छोटी है संभालना जल्दी है क्योंकि लोग संभालने के बाद ही सहारा देते हैं ©Hira Tech #alone संभालना जल्दी है
#alone संभालना जल्दी है #मोटिवेशनल
read morePritam Singh
पुराने किस्से ©Pritam Singh खुशी जल्दी मे थी #Nojoto
खुशी जल्दी मे थी #वीडियो
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
शेर:- नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR शेर:- नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर
शेर:- नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर #शायरी
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White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ
ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ #शायरी
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