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ANIL KUMAR
भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है ©ANIL KUMAR हथेली पे गाल
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल । अब बचकर चलना सखी , छुपे नन्द के लाल ।। हो जाओगी अप्सरा , अगर रंग दूँ डाल । गोरे-काले गाल ये , हो जायेंगे लाल ।। भर पिचकारी मार दूँ , जब मैं प्रीत फुहार । आकर दोगी बोल तुम , हमको तुमसे प्यार ।। आज प्रीत के रंग का , चढ़ा सभी को रंग । जीजा साली झूमते , देखो पीकर भंग ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।
Parastish
लगाना रंग कुछ ऐसे मिरे दिल-दार होली पर करे दो चार को घायल सर-ए-बाजार होली पर हवा में हो उठे हल-चल, बहारें रश्क कर बैठें यूँ सर से पा लगूँ मैं प्यार में गुल-बार होली पर निगाहों से छिड़क देना यूँ चश्म-ए-शोख़ का जादू लगें मय का कोई प्याला मिरे अबसार होली पर लबों की सुर्ख़ रंगत को, यूँ मलना तुम मिरे आरिज़ कि तितली गुल समझ के चूम ले रुख़्सार होली पर अबीरों ओ गुलालों से, हो फ़नकारी मुसव्विर सी धनक आ के गिरे दामन में अब के बार होली पर ©Parastish चश्म-ए-शोख़ - lovely eyes अब्सार - आँखें आरिज़ - रुख़्सार/गाल फ़नकारी - कलाकारी/ artistry मुसव्विर - चित्रकार/painter धनक - इंद्रधनुष/rai
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।। आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल । हे राधा छू लेन दो , यही नन्द के लाल ।। हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल । मैं कोई नादान हूँ , सब समझूँ मैं चाल ।। भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल । तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।। रिश्ता :- रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल । छुपा किसी से है नही , हम दोनो का हाल ।। रिश्ते की बुनियाद है , अटल हमारी प्रीति । क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।। रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप । मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।। रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल । लेकिन उनमें आज कुछ , बनकर चुभते शूल ।। एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान । जिनका रिश्ता ये जगत , जोड़ गया भगवान ।। रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार । मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का
BROKENBOY
तुम्हारी तस्वीर को हर हाल चूमूँगा, तुम्हारी बाते तुम्हारे ख़्याल चूमूँगा, मैं तुम्हारी आँखों को चूमने के बाद, होंठ की बजाय तुम्हारे गाल चूमूँगा, यक़ीनन वो साल अच्छा ही गुज़रेगा, पहले दिन मैं तुम्हे जिस साल चूमूँगा, तुम मिरे चूमने का इंतिज़ार किया करोगी, ऐ जाँ मैं तुम्हे इतना कमाल चुमूँगा। ©BROKENBOY #Tulips तुम्हारी तस्वीर को हर हाल चूमूँगा, तुम्हारी बाते तुम्हारे ख़्याल चूमूँगा, मैं तुम्हारी आँखों को चूमने के बाद, होंठ की बजाय तुम्हा
Shashi Bhushan Mishra
मन को लाया हूँ समझाकर, जीत न होगी गाल बजाकर, क्रोध हानिकारक होता है, रखना पड़ता है फुसलाकर, बच्चों सा जिद पे अड़ जाये, करना शांत उसे बहलाकर, अहसासों में कमी देखकर, करना पड़ता प्रेम जताकर, ओझल हुए सितारे जग से, गया न कोई पता बताकर, सच्चा दोस्त साथ ही रहता, देखो तुम इसको अपनाकर, अच्छा-बुरा मिले किस्मत से, आते लोग भाग्य लिखवाकर, कर सत्कर्म जगत में 'गुंजन', पायेगा दुःख-दर्द सताकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #जीत न होगी गाल बजाकर#