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Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav
हमें विरोध नहीं करना है BJP और Congress के भेश में.. हमें तो विरोध करना है उसका जो सरकार है इस देश में.. विदेश में युवा के नाम पर हि देश का परिचय कराते हो.. ओए चच्चा देश के अंदर युवा से क्यों दुरियां बनाते हो.. ...laddu ki lekhani... .ek aawaj. #SpeakUpForSSCRailwayStudents हमें विरोध नहीं करना है किसी पार्टियों के भेश में ssc rrb cgl .....for students
Aman Birendra Jaiswal
Priyank karthik
ये कलयुग है यहां रावण के भेश में राम मिल सकते है और राम के भेश में रावण.. नक़ाब है सारे चेहरे पर चेहरा छुपा रहता है.. कौन कब बदल जाए कुछ पता नहीं Be Cautious Be Aware... #boy #handsome #yqbaba #meme #meme_wala_bhaiya ये कलयुग है यहां रावण के भेश में राम मिल सकते है और राम के भेश में रावण.. नक़ा
Rohit singh
............. ©रोhit Singh राह है...हिंदी...डगर है....हिंदी गंगा में बहती लहर है.....हिंदी नगर है...हिंदी..निगम है..हिंदी रस छिंद का सागर भंवर है...हिंदी भाव है.
Kh_Nazim
लंकेश तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए साधु हम भी , पता न था उसकी कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी रास्ता जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा देखा विश्वामित्र प्रिय मैने तब पाया मुक्ति का साधन विवश हो के मैं रोने लगा, जनक पुत्री मैं हरने लगा जो संत का चोला ओढ़ था अब मैं उसे उससे छलने लगा मेघ रथ पे ले गया, स्वर्ण वाटिका .... सम्मान से रखा अंत तक अपने पीतवासा के आने तक मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से वो जा मिला मेरे मित्र से हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल
Love Prashar
ना शर्मिन्दगी ना खौफ ना था कोई मलाल ना हिन्दू ना मुसलमान य़े थे सिर्फ धर्म के दलाल (Read in caption ) #Afsana जीसस ने कल रात श्रीराम जी को फोन लगा दिया और पूछा तेरे नाम पर यह मुसलमानों का घर किसने जला दिया सुनकर श्रीराम जी फिर नम हो गए बिन
Kajori Parial
सुदिक्षा - एक कहानी, अधूरा मां - पापा की लाडली थी वह, बचपन से लेकर आज तक आज़ाद थी। किसी नारे लगाने से नहीं, बड़े बुजुर्गों के सीख और साथ से ही, उड़ना तय था उसकी। ' मन लगा के पढ़ बेटी! बुलंद हौसलों के पर हो तो, आसमान के पार जाना भी नामुमकिन नहीं।' पापा ने बचपन से यह समझाया था, और मां ने भी सर पर हाथ रख हमेशा हौसला अफजाई कि थी। - पूरी कविता अनुशीर्षक में पड़े सुदिक्षा - एक कहानी, अधूरा मां - पापा की लाडली थी वह, बचपन से लेकर आज तक आज़ाद थी। किसी नारे लगाने से नहीं, बड़े बुजुर्गों के सीख और साथ से