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Mohan raj
White Love is based on dedication and trust, can you fulfill it with all your heart? Dhanywaad Jai shri Radha Rani Jai Shri Krishna Har Har Mahadev ©Mohan raj #Life Lessons Prem
Life Lessons Prem
read moreMohan raj
White प्रेम समर्पण और विश्वास पर आधारित है, क्या आप इसे पूरे दिल से निभा सकते हैं? जय श्री राधा रानी जय श्री कृष्णा हर हर महादेव ©Mohan raj #Life Lessons Prem
Life Lessons Prem
read moreDeepa Jain
प्रेम के संबंध में कितनी प्यारी बात कहीं गइ है कि , अगर आप किसी फुल से प्यार करते हैं तो उसे तोडेगे नहीं, .क्योंकि अगर आप उसे तोड़ेंगे तो वो मुर्झा जाएगा और वह पहले जैसा नहीं रह पाएगा तो उसी प्रकार अगर आप किसी से प्रेम करते हैं तो...... ©Deepa Jain prem ❤️
prem ❤️
read moreParasram Arora
White ज़ब एक दिन घर मे आग लगी तो एक समाज सुधारक ने आकर आग बुझाने मे सहायता का आश्वासन दिया लेकिन वो स्नाजसेवी उस लगी आग को बुझाने के बजाय उसे हवा देकर आग को और भी बड़ा गया था ©Parasram Arora आग और समाज सुधारक
आग और समाज सुधारक
read moreSam
जिस गली में प्रेम रस बरसा ना हो, ऐसी कोई गली नजर नहीं आती। ऐसा कोई नहीं..., जिसने प्रेम रस को ना पिया हो, ऐसी कहीं से कोई खबर नहीं आती? धीरे से चटका जब शीशा पूरी तरह, फिर चटकने की आवाज भी नहीं आती। ©Sam #prem ras
#Prem ras
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset saat samundar ki tarah Teri meri Dosti hai Jahan jao tu jaati hai main jata hun Ho jaati hai ©DineshpratapsinghkhusroNikhil #SunSet Desh Prem
#SunSet Desh Prem
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
Beti hai meri Guru darbar mein. uski jindagi ko SOP raha hun Guru ke hath mein. ©DineshpratapsinghkhusroNikhil Guru Prem
Guru Prem
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset Desh ke liye Kaun jita . Paisa ke liye Marta hai ©DineshpratapsinghkhusroNikhil #SunSet Desh Prem
#SunSet Desh Prem
read moreपूर्वार्थ
White आधुनिक समाज का सच आज के इस आधुनिक युग में, देखो कैसा हाल हुआ, रिश्तों का मोल घटा, हर रिश्ता बस सवाल हुआ। दिल के बंधन अब कमजोर, स्वार्थ की दीवारें ऊँची, भावनाएँ रह गईं पीछे, आगे दौड़ी इच्छाएँ दूषित। रिश्ते अब खेल बन गए, बस पल भर की बात, जहाँ प्यार की गहराई थी, वहाँ दिखावा है रात। दिखावे की इस दुनिया में, सच्चाई गुमनाम हुई, दिलों के जुड़ने की जगह, बस सौदे की बात हुई। शादियाँ अब तमाशा हैं, बस एक आयोजन भव्य, जहाँ सादगी थी पहले, अब दिखावे का पर्व। सात फेरे, सात वचन, अब रस्में बन गईं, जहाँ प्रेम था कभी गहरा, वहाँ रिवाजें सिमट गईं। तलाक अब मजाक है, बंधन को तोड़ना आसान, जहाँ समझौता था पहले, अब बस अभिमान। साथ चलने की जगह, अलग राहें चुन ली जातीं, प्यार की जगह नफरत, हर रिश्ते को खा जाती। प्रोग्रेसिव इस समाज का, ये कैसा सच है भाई, जहाँ रिश्तों की कीमत नहीं, बस स्वार्थ की भरपाई। कहाँ गए वो दिन पुराने, जहाँ प्रेम था आधार, आज तो सब बन गया है, बस एक व्यापार। सोचो, समझो, और बदलो, रिश्तों को मोल दो, जहाँ दिलों की बातें हों, वहाँ मत स्वार्थ जोड़ो। इस आधुनिकता में कहीं, रिश्तों का सम्मान न खो दो, वरना ये समाज एक दिन, बस खाली नाम रह जाएगा। ©पूर्वार्थ #समाज