Find the Latest Status about robert browning poems home thoughts from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, robert browning poems home thoughts.
Manoj Kumar
कभी बन्द कमरे भी छोड़ कभी बन्द कमरे भी छोड़ कुछ और भी है इसके आगे क्यूँ तू वक्त खपा रहा फिजूल में, कोई और भी देता है जवाब निकल तू भी देख ख्वाब.. बीतती है कैसे शाम की उलझन हथेली पे कैसे होते टिफिन के ढक्कन एक मुसाफिर आता है, एक मुसाफिर जाता है पर रोज सामने से गुजरता है दुनिया की हर तस्वीरों से मंहगी है ये, जो कभी पराए भी मिला करते हैं। पांव जलते हैं पत्थरों से तब जागे आवाज आती हैं सीने स भाग रे तू कमाने परदेस, छोड़ पराया अपना देस झाँकती रहतीं हैं माँ खिड़कियों से, सोचती बच्चा फिर सम्भलेगा कैसे निकल तो रहा है घर से, पर कलेजा कैसे हो ठंडक इन मोह से, आसान नहीं है घर की थाली छोड़ना आसान नहीं है वो बिस्तर छोड़ना माँ को चुप करना, बीबी से वादा करना.. कभी बन्द कमरे भी छोड़ कुछ और भी है इसके आगे... -मनोज कुमार ©Manoj Kumar #poems #nojoto❤ #treandingsayari #Home #Life❤ #imonational
#poems nojoto❤ #treandingsayari #Home Life❤ #imonational
read moreअंकिता 'गीत '
White kuch is tarah guzarti hai zindagi,, mano mutthi ki ret si❤️ ©अंकिता 'गीत ' #Thinking #poems
Chandan
White बेहतर से बेहतर की तलाश करो,मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से,टूट जाए पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो ©Chandan #GoodNight #Shayari #poems #Nojotoshayeri✍️M #poems
#GoodNight Shayari #poems shayeri✍️M #poems
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
ये मकान भले आलिशान लगता है तिरे बगैर तो घर शमसान लगता है ये फ़िजा भी आनी जानी ही तो है अबके मौसम भी बेईमान लगता है दफ़न हैं माँ बाप के अरमान जिसमें आज तक मनहूस वो मकान लगता है कुछ गैरों की ख़ुशी से जल गया दिल कुछ अपने गमों से परेशान लगता है सीना ठोंक कर कहते क्यूँ नहीं तुम सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान लगता है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #Home
Pala ram Gader
White ज़िंदगी की राहों में मुश्किलें तो आएंगी, लेकिन हौसलों से कभी हार नहीं माननी चाहिए। ©Pala ram Gader #sad_quotes #poems
Manas Subodh
लिखना है मुझे "पिता का बोझ" लिख देनी है वो सारी बातें जो पिता कभी कह नहीं पाए लिखना है वो सारे सपने जो पिता छोड़ देते एक पड़ाव पर और अगर स्याही खत्म हो जाए तो लिखूंगा मै रेत पर जितनी बार भी नदी उसे मिटायेगी उतनी बार लिखूंगा पर सच कहू माँ की ममता से कठिन है समझना "पिता का स्नेह" ©Manas Subodh #FathersDay #poems
Shyarana Andaaz (अज्ञात)
बस एक अपना घर बनाने की लड़ाई में गुजर गए कई साल किराए के मकान में ©Shyarana Andaaz (अज्ञात) #Home