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Sweetysahdytto Dytto
ख्वाबों का करवां दो पल रुका ख्वाबों का करवां और फिर चल दिये हम कहा तुम कहा,दो पल की थी ये दिलों की दास्तान और फिर चल दिये तुम कहाँ हम कहाँ । ©Sweetysahdytto Dytto #ख्वाबों का करवां
Prashant Singh
ख्वाबों का सूरज डूबता ही नही तेरे सिवा कोई तमन्ना ही नही।। वक्त बेवक्त छलक उठती हैं आंखे इनको अदब का सलीका ही नही।। एक मुझमें ही सब तोड़ फोड़ हुई एक तुझमे तो कुछ टूटा ही नही।। एक ही शख्स ने चुन लिए इतने आंसू किसी और के लिए कुछ बचा ही नही।। -शिशू ख्वाबों का सूरज
Bhushan kumar
ख्वाबों का मुसाफ़िर.. एहसासों के हाथ... निकल चला सफर पे.. सितारों के साथ... मुसाफ़िर ख्वाबों का...
paritosh@run
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने.. अपनी आँखों को ''तेरे ख्वाब'' का लालच देकर... ©paritosh@run ख्वाबों का लालच ..
ख्वाबों में तू
लम्हें कुछ पल के हों पर यादें उम्र भर की होती हैं। ©ख्वाबों में तू ख्वाबों का कारवां
Suraj kumar
जिंदगी बेजान सी लग रही है, वक्त की लेकर लुकाछिपी अनजान शहर में गुजर रही है! हमने जीने के तरीकों के लिए, ममता का आंचल छोड़ा! बनाने चले जिंदगी , तो इसके लिए मां का काजल छोड़ा! मां के हथेली में, दुनिया का हर सुख नजर आता है ! जब भी देखता हूं तस्वीर मां की, तो अपना वह कल नजर आता है! गुजारा था वह लम्हा, मां के साए से लिपटकर! प्यारा था वह लम्हा, हर साए से बढ़कर ! पत्थर हो या पहाड़, हमें उनसे लड़ना है! उन सपनो के खातिर, हमें पत्थरों को भी चूर चूर करना ! जिंदगी मुकाम देगी, उसी खुसी को त्याग कर! हमें खुशी मिलेगी, मां के सपनों को पूरा कर! हमे खुसी मिलेगी मा के सपनों को पूरा कर!! - सूरज कुमार ख्वाबों का शहर......
श्वेता पांडेय 'सांझ'
कुछ क्षणिको की साँस अभी चेतन हैं मुझमे अब कोई अवरोधों को भेज दें पूरा करना हैं एक अधूरा काव्य मैं एक अंजुली भर ख़्वाबों को उड़ेल देना चाहती हूँ उन नन्हे किरदारों के पास जिनसे मुझे हैं प्रतिपल आस बाधाओं के दलदल में वो लिखेंगे फिर से मेरे ख्वाबो का आकाश #ख्वाबों #का #आकाश
pawan bhargav
आज फिर याद आयी मुझे मेरे शहर की जहाँ ना कोई नुमाइश और ना कोई ही ख़्वाहिश चेहरे वहाँ हज़ार हैं लेंकिन सब बेनकाब हैं उस शहर में न कोई हथियार हैं और न ही कोई दवा महफिले तो हज़ारो होती हैं वहाँ लेकिन फ़सानो में किस्से नही कहानियां होती है लोगों की जहां फिर रूबरू होना चाहता हुँ में दुनियां से यूँ मगरूर होना अब शोक़ नहीं देख लिया ज़लील होके हमने अब मरहम नही बचा इस नमक के शहर में ख्वाहिशे अधूरी ही सही क्यूँ ना फिर जियां जाए चलो आज उस शहर में फिर यूँही मदहोश हुआ जाए....... pawan bhargav @ख्वाबों का शहर