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Stories related to अंत दीप भव

Vickygautam608

#Sad_Status अंत 'दर्द भरी शायरी' शायरी दर्द

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White हम, 
उसके आदी थे |
और उसी ने मेरा अंत लिख डाला ||

©Vickygautam608 #Sad_Status अंत  'दर्द भरी शायरी' शायरी दर्द

Parasram Arora

खूबसूरत अंत

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White हमारी इस खूबसूरत 
मुहब्बत का अंत भी 
झूबसूरत होना चाहिए 

लेकिम इस प्यार के 
अंत होने से पहले हमें 
इसे मुंहबत क़ी कसोटी
 पर परख लेना चाहिए

©Parasram Arora खूबसूरत अंत

Parasram Arora

फुल का उदय और अंत

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White जिस फुल को सुबह
 मैंने उगते देखा था 
उसी सांझ उसे मैंने 
मुरझा कर धरती पर 
बिखरते देखा.

और ये भी सच है 
उसी फूल को मैंने सुबह 
हँसते और महकरे हुए 
देखा था  लेकिन 
उसी साँझ उसे मैने 
धरती पर उसे 
दहाड़े मार कर  
रोते हुए भी देखा था

©Parasram Arora  फुल  का उदय और अंत

Matangi Upadhyay( चिंका )

अंत होगा 🤔 #matangiupadhyay #Hindi #SAD #thought Love Life

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पहली बार गिड़गिड़ाने से सूखे है "शब्द"
 दूसरी बार में “आँसू" 
और तीसरी बार के बाद सूख रहें है "भाव"
फिर, 
इस तरह मेरा सम्भल जाना ही, 
इस कहानी का अंत होगा...!!!

©Matangi Upadhyay( चिंका ) अंत होगा 🤔
#matangiupadhyay #Nojoto #hindi #Sad #thought #Love #Life

puja udeshi

रास्ता एक है जाने का चाहे उम्र 
का पड़ाव हो ये मृत्यु का आगमन 
होना तो है एक दिन घबराना नहीं 
हस्ते हुऐ स्वागत करना बुढ़ापे का 
और अंत का.....

©puja udeshi #बुढ़ापा #अंत #pujaudeshi

Shyarana Andaaz (अज्ञात)

NewYear2024-25 Title:- ये अंत है।। 31December2024 newyear अंत शायरी कुछ_टूटे_अरमान राहतइंदौरी मेरा_अंत_है

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New Year 2024-25 ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है,
अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।।

थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए
ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।।

उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज
ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।।

खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे
ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।।

किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत 
चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।।

कोई शिकवा नहीं गर एक शिकस्त जरूर है
ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।।

©Shyarana Andaaz (अज्ञात) #NewYear2024-25 
Title:- ये अंत है।।
#31December2024
#newyear #अंत #शायरी #कुछ_टूटे_अरमान
#राहतइंदौरी #मेरा_अंत_है

Shyarana Andaaz (अज्ञात)

Title:- ये अंत है।। 31December2024 newyear अंत शायरी कुछ_टूटे_अरमान राहतइंदौरी मेरा_अंत_है

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ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है,
अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।।

थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए
ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।।

उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज
ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।।

खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे
ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।।

किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत 
चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।।

कोई शिकवा नहीं, गर एक शिकस्त जरूर है
ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।।

©Shyarana Andaaz (अज्ञात) Title:- ये अंत है।।
#31December2024
#newyear #अंत #शायरी #कुछ_टूटे_अरमान
#राहतइंदौरी #मेरा_अंत_है

Death_Lover

Unsplash ज़िन्दगी की तलाश में निकला था, मौत का हर मन्ज़र देखा
घर में उजाले के लिए, लाशों से गुज़रता सिर्फ़ एक ही खंज़र देखा

थक-हारकर किसी किनारे बैठा, बैठते ही शांत सिर्फ़ समन्दर देखा
जो चलते हैं, चल रहे हैं और आगे चलेंगे भी, शान में उनकी सिर्फ़ सिकन्दर देखा

ज़िन्दगी की तलाश में निकला था "मक़सूद", मैंने अन्त में सिर्फ़ मौत का ही हर मन्ज़र देखा....

©Death_Lover #lovelife #प्रेम #मौत #जीवन #अंत #अनन्त

Gondwana Sherni 750

#traveling अंत

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Unsplash मै खुद से कुछ कहना चाहती हु 
पर कह नहीं पा रही 
की मुझे कुछ नहीं चाहिए 
न परिवार न प्यार ना दोस्त 
ना सुकून 
क्यों कि मुझे और दर्द सहने की क्षमता नहीं है 
वो दर्द जो छोटे छोटे बाते सुनाने से  
वो दर्द जो मेरा मजाक बनाने से होती है 
वो दर्द जब खुद कुछ करना चाहो तब कुछ कर न पाओ 
सुकुन से ना किसी को याद कर सकू 
ना किसी को भूल सकू 
ना अच्छे से सो सकू 
हा मै यही चाहती हु की मैं जब आज सोउ तब कल मैं ना उठूं 
क्यों कि सहन करने की क्षमता मुझमें नहीं है 
हा मै नहीं चाहती इस दुनिया में रहना 
क्यों कि मैं खुद को संभालने में असमर्थ हूं 
उम्मीद दूसरों से कर नहीं सकती 
जो मन में है उसे मै किसी को बात नहीं सकती 
क्यों कि मुझे उम्मीद किसी से लगाना ही नहीं है 
इस लिए मैं अपने पुरखो के पास प्रकृति में विलीन चाहती हु
मै दूर जाना चाहती हूं सब से

preeti Uikye 
18/12/24

©Gondwana Sherni 750 #traveling अंत

Shashi Bhushan Mishra

#दीप जलता है सदन में#

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दीप जलता है सदन में,
अंधेरा है व्याप्त मन में,

चलाता है श्वास सबका,
वही रक्षक  है  भुवन में,

प्रेम और विश्वास से ही,
प्रकट होते  ईश क्षण में,

कर रहे  गुणगान  सारे,
धरा से लेकर  गगन में,

सिंधु से जलश्रोत लेता,
वही भरता नीर घन में,

जागता है साथ हरपल,
साथ रहता है  सयन में,

हृदय में है व्याप्त गुंजन,
बसा ले उसको नयन में,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दीप जलता है सदन में#
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