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Prince Raज
🎁मेंटली मैपिंग टूल्स(शब्द चित्र,छणिकायें)🎁 झूठे,सपनों का सौदागर/ऑसुओं को मोती बता कर बेचता था ! उसकी दुकान न चली/वह हैरान,परेशान था !! शायद,सारा गॉव/ऑसुओं को पहचानता था ! नयनों के जल, का कारण,अंजाम जानता था! तूफान और उसके बाद की तबाही/पहचानता था !! @:-प्रिंस राज*** #NojotoQuote #मेंटली #मैपिंग #टूल्स #nojoto #shayri
Alka Pandey
कोई आपसे कितनी भी ईर्ष्या करे आप शांत रहिए, क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो, समुंदर कभी सूखते नहीं। ©Alka Pandey जीवन की दासताएं। Adg grg , Vandana mishra, Suraj Kumar Singh, Seth ji, ambika jha, sudha tripathi,Rajesh Arora, भारत सोनी इलेक्ट्रीशियन,Raje
KP EDUCATION HD
KP TECHNOLOGY HD video editing apps for Android ©KP STUDY HD पर जिस अनुपात में नौकरियां जाएंगी उसी अनुपात में डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्र में नई नौकरियों का सृजन भी होगा। याद रहे एआई इंजीनियरिंग लाइ
Alka Pandey
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@arhan_haider
अब चूने में नील मिलाकर पुताई का जमाना नहीं रहा। चवन्नी, अठन्नी का जमाना भी नहीं रहा। फिर भी यह कविता आप सब के लिए पेश है-- हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते हैं चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस पाते हैं दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... दौड़-भाग के घर का हर सामान लाते हैं चवन्नी -अठन्नी पटाखों के लिए बचाते हैं सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... बिजली की झालर छत से लटकाते हैं कुछ में मास्टर बल्ब भी लगाते हैं टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं दो-चार बिजली के झटके भी खाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... दूर थोक की दुकान से पटाखे लाते हैमुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं बार-बार बस गिनते जाते है चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... धनतेरस के दिन कटोरदान लाते हैछत के जंगले से कंडील लटकाते हैं मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं प्रसाद की थाली पड़ोस में देने जाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... दिवाली बीत जाने पे दुखी हो जाते हैं कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .... बूढ़े माँ-बाप का एकाकीपन मिटाते हैं वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं सामान से नहीं, समय देकर सम्मान जताते हैं उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....🙏 #diwali #nojoto #nojotohindi बचपन की दिवाली पर लिखी यह पुरानी कविता है।। अब चूने में नील मिलाकर पुताई का जमाना नहीं रहा। चवन्नी, अठन्नी
Vikrant Rajliwal
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1
Vikrant Rajliwal
Vikran Rajliwal एक लघु परिचय। (A short introduction) Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (https:vikrantrajliwal.com) (कवि, श
Vikrant Rajliwal
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1)