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Mukeshdan Gadhavi
White Change in hard at first, messy in the middle, and gorgeous at the end. ©Mukeshdan Gadhavi #Thinking
gopi kiran
We don’t know who time will bring into our lives, We don’t know the inner world of the guest who arrives. As their importance grows in the toil of our thoughts, Respect for experiences with them also grows. The conversations we have turn into memories. We don’t know if fate will guide the path with them or not, But in that companionship, trust becomes the foundation of longing. In the journey we take from somewhere, step by step, there are footprints alongside ours. If the purpose of time is to make that bond last forever, The inspiration for that comes from within the heart. The heart yearns to preserve them, It even endures hardships for that. ©gopi kiran #Sky
डॉ राघवेन्द्र
✍️आज की डायरी✍️ ✍️कायनात समझता हो..... ✍️ हक़ उस पर ही जताओ जो हालात समझता हो । बात उससे ही बढ़ाओ जो अल्फ़ाज समझता हो ।। नज़रों के देखने के अंदाज़ से भी मतलब निकलते हैं । निगाहें उससे ही मिलाओ जो जज़्बात समझता हो ।। मिलता रहे जो अक्सर, दर्द उससे ही बाँटना तुम । उससे कुछ न कहना जो बेजा मुलाकात समझता हो ।। दिल उनसे मिला लेना जो तुम्हें अपना ही मान ले । उनसे क्या छिपाना जो तुम्हारे खयालात समझता हो ।। ऐसे शख्स का साथ कभी तुम भी न छोड़ना "नीरज"। जो सबको भुलाकर तुम्हें पूरी कायनात समझता हो ।। ✍️नीरज ✍️ ©डॉ राघवेन्द्र #Sky
मनीष कुमार पाटीदार
White सोचते हैं बहुत सोचना आसान है। दिखाई दे सच, सच भी नादान है। जो गुज़र गई उसका मलाल नहीं, जो गुज़र रहा पल वह मेहरबान है। हर चेहरा जाना पहचाना तो नहीं, मगर अजनबी भी यहॉं मेहमान है। किसी की राह में सहारा बन जाना, अच्छी आदत में कहॉं नुकसान है। नज़र तो पैनी रखेंगे अपने काम में, नज़र में आजकल अच्छे इंसान है। ज्यादा टकटकी न लगाना 'मनीष' अभी - अभी सफ़र में इम्तिहान है। ©मनीष कुमार पाटीदार #Thinking
Sakshi Shankhdhar
White शहर में थे लाखों मगर, हम बस उन्ही पर मर गए, हमने छोड़ दी दुनिया उनके लिए, और वो जनाब किसी और के हो गए। वादा था राह ए मोहब्बत पर चलने का, हमको बीच सफ़र में छोड़, जनाब हमसफर किसी और के हो गए। हमारे तो ख्वाबों में वो बसते है, जब खोली आंखे एक सुबह, जनाब हकीकत में किसी और के हो गए। अजनबी सा रिश्ता था, मिले भी थे अजनबी राहों में, मोहब्बत का सिलसिला चोरी से शुरू हुआ, जनाब सरेआम किसी और के हो गए। उनकी यादों में इतना जले रात दिन, जैसे जलता है परवाना शमा के लिए, जनाब यूं होके बेखबर किसी और के हो गए। ©Sakshi Shankhdhar #Thinking