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अनिल कसेर "उजाला"
White मान करो, सम्मान करो, न कभी भी बदनाम करो। गर फूल न बन सको तुम, काँटो सा न तुम काम करो। क्या रख्खा है ऊँच नीच में, सबका ही तुम ध्यान करो। इंसान को इंसान समझ लो, न खुद का तुम गुणगान करो। कर के नाश कहे अविनाशी हूँ, तुम ईश्वर का न अपमान करो। ©अनिल कसेर "उजाला" ईश्वर
ईश्वर
read moreShiv Narayan Saxena
White ईश्वर के इस जग विधान का, ईश्वर भाग्यविधाता है। पाप-पुण्य से अलग आत्मा, ईश्वर रूप कहाता है।। वर के मद में चूर मगर जब, ईश्वर से टकराता है। ईश्वर जिसे दंड देता है, उसको कौन बचाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #Sad_Status ईश्वर दंड जिसे देता है hindi poetry
#Sad_Status ईश्वर दंड जिसे देता है hindi poetry
read moreRAVI PRAKASH
White कौन बताता है समन्दर का रास्ता नदी को। जिसे मंजिल का जुनून है वो मशवरा नहीं लेते। ©RAVI PRAKASH #good_night कौन बताता है
#good_night कौन बताता है
read moreRAVI PRAKASH
White कौन बताता है समन्दर का रास्ता नदी को। जिसे मंजिल का जुनून है वो मशवरा नहीं लेते। ©RAVI PRAKASH #Sad_Status कौन बताता है
#Sad_Status कौन बताता है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी इतिहासों से चरित्र गायब आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया झूठ का ज्ञान परोसा जाता है त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है मेल मिलाप और अपनापन हैसियत से तौला जाता है क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया अन्तरकर्ण तक मूल पाठ नही जाता है सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब बस कानूनों से जग हाका जाता है नैनो परिवार परवान चढते पतन की ओर भारत जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है
#happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है
read moreनवनीत ठाकुर
जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur #ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
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